आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत के द्वारा भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप वाली प्रतिमा का अनावरण किया गया! ज्योतिसर की पवित्र भूमि पर शंख बजाने और मंत्रों के उच्चारण के बीच 40 फुट से अधिक ऊंची भगवान श्रीकृष्ण की विराट स्वरूप वाली प्रतिमा का अनावरण आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया। इस मौके पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, सीएम खट्टर और गीता ज्ञान संस्थान के अध्यक्ष गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज भी उपस्थिति रहे।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गुरुवार को गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर में भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप वाली प्रतिमा का अनावरण किया गया। 40 फीट ऊंची इस प्रतिमा का अनावरण हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में किया गया। गौरतलब है कि भगवान कृष्ण की विराट स्वरूप वाली प्रतिमा का वजन लगभग 35 टन है। इसे चार प्रकार की धातुओं से मिलाकर बनाया गया है। इसमें 85 प्रतिशत तांबे और 15 प्रतिशत अन्य धातुओं का मिश्रण किया गया है। इस कार्यक्रम को लेकर जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, इस विशाल रूप में भगवान कृष्ण के नौ रूपों को दर्शाया गया है।
इस मौके पर ‘भगवद गीता की वर्तमान प्रासंगिकता’ विषय पर ब्रह्मसरोवर में स्थित गीता ज्ञान संस्थानम में एक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ। इसमें संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राज्यपाल ने ठीक ही बताया कि गीता एक समुदाय या संप्रदाय से संबंधित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया को मानवता का सार देती है। उन्होंने आगे कहा कि पवित्र ग्रंथ के इस ज्ञान के कारण कुरुक्षेत्र महाभारत की भूमि होने के साथ-साथ दुनिया में गीता की भूमि के रूप में भी जाना जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि आज हर जगह कट्टरता दिखाई दे रही है। लोगों का एक दूसरे पर से भरोसा उठ गया है। उन्होंने कहा कि देशों के बीच युद्ध देखे जा रहे हैं। हालांकि भारत में ऐसा कम ही देखने को मिलता है, क्योंकि देश की संस्कृति में गीता है। जब तक मानव जाति है, गीता प्रासंगिक रहेगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गीता के संदेश पर बोलते हुए कहा कि गीता हमें सिखाती है कि समस्याओं का सामना कैसे किया जाए। हमें समस्याओं से दूर नहीं भागना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्मांड की समस्याओं का समाधान और मानवता की समस्याओं का समाधान और कभी न खत्म होने वाले सुख का ज्ञान गीता में है।
गौरतलब है कि कृष्णा सर्किट परियोजना की पहली साइट ज्योतिसर के नवीनीकरण के पहले चरण के तहत “विराट स्वरूप” प्रतिमा का अनावरण किया गया था। इसके अलावा ज्योतिसर में ‘अनुभव केंद्र’ के नाम से एक केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है। इसके अगले साल तैयार होने की संभावना है। इसे पांच भवनों में बांटा जाएगा। पहले भवन में महाभारत के युद्ध से पहले की घटनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।हरियाणा पर्यटन विभाग की वेबसाइट के अनुसार, गीता का जन्म स्थान ज्योतिसर कुरुक्षेत्र का सबसे पूजनीय तीर्थस्थल है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत का युद्ध ज्योतिसर से शुरू हुआ था। यहीं पर भ्रमित अर्जुन को युद्ध की पूर्व संध्या पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का शाश्वत संदेश प्रदान किया था। इस अवसर पर हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री कंवर पाल भी मौजूद थे।सरसंघ संचालक मोहन भागवत ने संबोधन में कहा कि गीता किसी एक संप्रदाय का ग्रंथ नहीं है। यह बात सही है। भारत में हिंदू परपंरा में गीता है। हिंदू समाज उसका ट्रस्टी है। जब तक सृष्टि है, तब तक गीता की प्रासंगिकता है। गुरु नानक देव जी आपने दोष न लिवे करता। कृष्ण तो युद्ध लड़े ही नहीं, केवल रथ के पहिए ही दौड़ाए। भगवान की रीति है कि वो माध्यम से करवाता है। अर्जुन को लड़ने के लिए गीता का उपदेश दिया गया, परंतु गीता में अहिंसा का उल्लेख है। इसलिए कर्त्तव्य करों और निर्मल मन से करो। मोहन भागवत ने कहा कि गीता जीवन विद्या है। संपूर्ण विश्व से अपना जीवन बनता है। गीता की आज जरूरत है। सृष्टि में पर्यावरण बिगड़ गया है। जगह जगह कट्टरता है। आपस में द्वेष है। मनुष्य का मन संकुचित हो रहा है। संपूर्ण मानवता की एकता की बात तो करता है परंतु पड़ोस में ही गुट बनाकर लड़ता है। मुझे कुरुक्षेत्र में आने का सौभाग्य मिला।राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि हरियाणा हरि का है। हरियाणा देवों की भूमि है। हरियाणा गीता का केंद्र है। कुरुक्षेत्र न केवल देश में नहीं बल्कि दुनिया के मैप् में स्थान मिलेगा। भगवत गीता एक मजहब का ग्रंथ नहीं है। पूरे मानव जीवन को संदेश देने वाली है गीता। मानव समाज जब तक रहेगा, तब तक गीता रहेगी। गीता ज्ञान संगठन के ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कहीं न कहीं बुराई से भी अच्छाई निकल सकती है। धृतराष्ट्र की वाणी से पहला शब्द अधर्म नहीं निकला। आज एक महत्वपूर्ण दिवस है। भगवद् गीता का अवतरण स्थल ज्योतिसर अपनी पहचान खोता जा रहा था। 2014 में जब सरकार आई तो ज्योतिसर की चर्चा हुई। ज्योतिसर को उसका स्वरूप मिले, यह युग युगातंर के लिए एक प्रेरणा बनी रही।सरकार ने जो निर्णय लिया, वह सराहनीय है। दो साल कोविड के कारण गति धीमी हुई। आज ज्योतिसर में विराट स्वरूप की प्रेजेंटेशन अद्भुत थी। गीता भारत का गौरव है। सभी स्थान लुप्त होने की कगार पर थे। आज कुरुक्षेत्र को नई पहचान मिली है। कुरुक्षेत्र को महाभारत के नाम से जाना जाता था। भगवान श्री कृष्ण ने पूरे विश्व के लिए शांति का उद्घोष दिया। गीता के माध्यम से उपदेश दिया। इसलिए कुरुक्षेत्र की पहचान लैंड ऑफ द भगवद् गीता से होनी चाहिए।