भारत में कई शहरों को जी-20 की मेजबानी के लिए घोषित कर दिया गया है! दुनिया के 20 ताकतवर देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है। 1 दिसंबर, 2022 को भारत ने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की। अगले साल अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन से पहले देशभर में बड़े कार्यक्रम होंगे। दिल्ली, चंडीगढ़, गुवाहाटी, लखनऊ, पुणे, इंदौर, सूरत समेत प्रमुख शहरों में जी-20 की बैठकें आयोजित होनी हैं। इनमें 20 सदस्य देशों से इतर संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे प्रमुख वैश्विक संगठन हिस्सा लेंगे। इसके अलावा सिंगापुर, स्पेन, बांग्लादेश समेत कुछ अन्य देशों को भी स्थायी न्योता भेजा जाता है। वे भी इन बैठकों में शिरकत करेंगे। भारत की जी-20 अध्यक्षता का थीम ‘वसुधैव कुटुम्बुकम’ है। भारत के लिए अगला एक साल बेहद अहम है। वैश्विक मामलों में भारत नेतृत्व कर सकता है, यह साबित करने का मौका है। भारत को बतौर महाशक्ति उभारने में भी ये इवेंट्स अहम होंगे। आइए, जानते हैं देश के किन-किन शहरों में कब-कब जी-20 की बैठकें होंगी। G20 इंडिया की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार, दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच 15 शहरों में इवेंट्स होंगे। इन शहरों में बेंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नै, गुवाहाटी, इंदौर, जोधपुर, खजुराहो, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पुणे, कच्छ का रण, सूरत तिरुवनंतपुरम और उदयपुर शामिल हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते बतौर जी-20 अध्यक्ष भारत की भूमिका के बारे में बताया था। जयशंकर ने कहा था कि भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान कई वैश्विक मुद्दों पर जी-20 देशों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा कि भारत इस अवसर का उपयोग देश के ‘थ्री डी’ यानी डेमोक्रेसी, डेवलपमेंट और डायवर्सिटी (लोकतंत्र, विकास और विविधता) को रेखांकित करने के लिए करेगा। जयशंकर ने राज्यसभा में बताया कि जी-20 बैठकों का आयोजन भारत की मेजबानी में होने वाले ‘शीर्ष अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में से एक’ होगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 से जुड़ी बैठकें भारत में पहले ही शुरू हो चुकी हैं। देश भर में विभिन्न स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी 200 बैठकों का आयोजन किया जाएगा। विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 से जुड़ी बैठकें भारत में पहले ही शुरू हो चुकी हैं। देश भर में विभिन्न स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी 200 बैठकों का आयोजन किया जाएगा। जयशंकर ने कहा कि जी-20 की बैठक ‘भू-राजनीतिक संकट, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और टिकाऊ विकास लक्ष्य की गति और कर्ज के बढते बोझ’ के व्यापक संदर्भ में आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रयास जी-20 के भीतर आम सहमति बनाना और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को आकार देना और साथ ही इस अजेंडे को आगे बढ़ाना है।’जयशंकर ने कहा कि जी-20 की बैठक ‘भू-राजनीतिक संकट, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और टिकाऊ विकास लक्ष्य की गति और कर्ज के बढते बोझ’ के व्यापक संदर्भ में आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रयास जी-20 के भीतर आम सहमति बनाना और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को आकार देना और साथ ही इस अजेंडे को आगे बढ़ाना है।’
जी-20 कोई सामान्य ग्रुप नहीं। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में समन्वय बनाने के लिए यह प्रीमियर फोरम है।विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 से जुड़ी बैठकें भारत में पहले ही शुरू हो चुकी हैं। देश भर में विभिन्न स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी 200 बैठकों का आयोजन किया जाएगा। जयशंकर ने कहा कि जी-20 की बैठक ‘भू-राजनीतिक संकट, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और टिकाऊ विकास लक्ष्य की गति और कर्ज के बढते बोझ’ के व्यापक संदर्भ में आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रयास जी-20 के भीतर आम सहमति बनाना और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को आकार देना और साथ ही इस अजेंडे को आगे बढ़ाना है।’ दुनिया की 85 फीसदी जीडीपी इन्हीं 20 देशों से आती है। समूचे विश्व का 75 प्रतिशत व्यापार जी-20 देशों के बीच होता है। दो-तिहाई वैश्विक आबादी इन देशों में रहती है। जाहिर है, जी-20 को साधने का मतलब दुनिया को साधना होगा।
1 दिसंबर को, जब भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘जी20 के लिए भारत का एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी और कार्रवाई उन्मुख होगा।’विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 से जुड़ी बैठकें भारत में पहले ही शुरू हो चुकी हैं। देश भर में विभिन्न स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी 200 बैठकों का आयोजन किया जाएगा। जयशंकर ने कहा कि जी-20 की बैठक ‘भू-राजनीतिक संकट, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और टिकाऊ विकास लक्ष्य की गति और कर्ज के बढते बोझ’ के व्यापक संदर्भ में आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रयास जी-20 के भीतर आम सहमति बनाना और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को आकार देना और साथ ही इस अजेंडे को आगे बढ़ाना है।’ उन्होंने कहा था कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारियों जैसी आज की चुनौतियों से आपस में लड़कर नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करके ही निपटा जा सकता है।