Friday, November 22, 2024
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उत्तरकाशी टनल में बचाव कार्य के लिए कौन-कौन सी टीमें है?

आज हम आपको बताएंगे कि उत्तरकाशी टनल में बचाव कार्य के लिए आखिर कौन-कौन सी टीमें लगी हुई है! आज से 16 दिन पहले 12 नवंबर को उत्तरकाशी के पास बन रहे सिल्क्यारा टनल बनाते वक्त वहां बड़ा हादसा हो गया। काम कर रहे 41 मजदूर टनल के मलबे के गिरते ही फंस गए। तब से लेकर आज तक उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सीएम धामी के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जनरल वीके सिंह ही नहीं बल्कि पीएम मोदी की भी इसपर विशेष नजर है। वहीं मजदूरों को बचाने के लिए एक्सपर्ट्स भी अपना पूरा प्रयास कर रहे हैं। इसमें मद्रास सैपर्स, एनडीएमए, अर्नोल्ड डिक्स भी शामिल हैं। भारतीय सेना के ये वो जांबाज हैं जो सुरंग को चूहे की तरह हाथों से खोदेंगे। इस काम ये सेना कापी माहिर है। कम चर्चा में रहने वाले मद्रास सैपर्स टॉप क्लास इंजीनियर्स का ग्रुप है। मुश्किल मिशन और इंजीनियर्स की जरूरत होने पर इन्हें आवाज दी जाती है। इन्हें मैनुअल ड्रिंलिंग के लिए बुलाया गया है। अंग्रेजों के जमाने से बनी ये कोर टीम बिना हथियारों के उतरती है। सैपर्स का मतलब छोटा भाई होता है। सैपर्स का मतलब ऐसे सैनिक जो सड़कों, पुलों के निर्माण, मरम्मत, माइन्स बिछाने और हटाने जैसे काम करते हैं।

मजदूरों को बचाने के लिए एक और एक्सपर्ट के तौर पर आगे आए हैं। हालांकि यह कोई टीम नहीं बल्कि एक व्यक्ति है और विदेशी है। नाम है अर्नोल्ड डिक्स। आस्ट्रेलियाआ नागरिक अर्नोल्ड डिक्स इंटरनैशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। डिक्स पर 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की जिम्मेदारी है। उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिया है कि 41 मजदूर सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाएंगे। अर्नोल्ड डिक्स को रेस्क्यू ऑपरेशन का एक्सपर्ट माना जाता है। अंडरग्राउंड सुरंग और परिवहन बुनियादी ढांचे के विशेषज्ञ हैं। डिक्स को पता है कि सुरंग जैसी चीजों को बनाने में कैसी-कैसी दिक्कतें आ सकती हैं।

सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी आगे आया है। एनडीएमए के सदस्य अता हुसैन ने कहा कि हम मजदूरों को निकालने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि वर्टिकल ड्रिलिंग अब लगभग 30 मीटर तक कर लिया गया है। हालात नियंत्रण में हैं, आवश्यकता के अनुसार भोजन और दवाएं अंदर जा रही हैं। मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी महत्व दिया गया है। बैकअप संचार स्थापित किया गया है और लगातार परिवार के सदस्य उनसे बातचीत कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री वहां पर गए थे,चिंता की कोई बात नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे को भी 41 मजदूरों को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह लगभग 3 दिनों से डेरा डाले हुए हैं। वहीं पीएम मोदी भी सीएम पुष्कर सिंह धामी से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। उनकी इसपर विशेष नजर है। भास्कर खुल्बे ने हालांक मजदूरों को बाहर निकाले जाने की बात कही थी लेकिन अभी हालात जस के तस हैं। वहीं पीएम मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने आज सुरंग में फंसे मजदूरों से बातचीत की। उन्हें कौन सी भोजन सामग्री भेजी जा रही है उसकी भी जानकारी ली।

बता दे कि कैमरे के सुरंग में भेजे जाने को लेकर सीएम धामी ने भी ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने लिखा ‘सिल्क्यारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फंसे श्रमिकों की पहली बार तस्वीर प्राप्त हुई है। सभी श्रमिक भाई पूरी तरह सुरक्षित हैं, हम उन्हें शीघ्र सकुशल बाहर निकालने हेतु पूरी ताक़त के साथ प्रयासरत हैं।’ सोमवार को मजदूरों की स्थिति देखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था, पर अंदर धूल होने से तस्वीर साफ नहीं आ पाईं। अब दिल्ली से एंडोस्कोपिक कैमरे मंगाए गए थे जिन्हें आज मंगलवार सवेरे पाइप से भीतर पहुंचाया गया। इस दौरान कैमरे से टनल के भीतर फंसे हुए सभी 41 मजदूर दिखाई दिए। सभी सुरक्षित हैं।

उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों तक पाइप के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है। रात को खिचड़ी के बाद सुबह नाश्ता तैयार कर भेजा गया। साथ ही वॉकी टॉकी के जरिए उनसे संपर्क का प्रयास भी किया जा रहा है।वर्टिकल ड्रिलिंग अब लगभग 30 मीटर तक कर लिया गया है। हालात नियंत्रण में हैं, आवश्यकता के अनुसार भोजन और दवाएं अंदर जा रही हैं। मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी महत्व दिया गया है। बैकअप संचार स्थापित किया गया है और लगातार परिवार के सदस्य उनसे बातचीत कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री वहां पर गए थे,चिंता की कोई बात नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे को भी 41 मजदूरों को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एनएचआईडीसीएल टनल के भीतर मजदूरों के लिए एस्केप टनल बना रहा है, जिसका काम अंतिम चरण में है।

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