दुनिया में कौन-कौन है रूस के दोस्त?

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आज हम आपको रूस के दोस्त के बारे में बताने जा रहे हैं! रूस ने भारत और चीन को अपना पक्‍का दोस्‍त बताया है। उसने दोनों को अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर अपने मुख्‍य सहयोगी के तौर पर पेश किया है। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की नई विदेश नीति पर जारी डॉक्‍यूमेंट में इन दोनों देशों को बिल्‍कुल अलग रखा गया है। 42 पेज के डॉक्‍यूमेंट से मोदी सरकार की उलझन बढ़ने के आसार हैं। आज भारत के जितने अच्‍छे रिश्‍ते रूस से हैं, अमेरिका और पश्चिमी देश भी उसे उतना ही गले लगाना चाहते हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया दो खेमों में बंट गई है। लेकिन, भारत जैसे कुछ देशों ने अपने रुख को न्‍यूट्रल रखा है। न तो वे पूरी तरह रूस के पाले में खड़े हो गए हैं। न ही अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों के। हालांकि, दोनों ही खेमे अपने पाले में भारत की मौजूदगी को पक्‍का करना चाहते हैं। रूस का फॉरेन पॉलिसी पर ताजा डॉक्‍यूमेंट भारत पर खेमा चुनने का दबाव बढ़ा सकता है। अमेरिका और पश्चिमी देश खासतौर से उससे इस तरह की अपेक्षा कर रहे हैं। दिलचस्‍प यह है कि रूस ने अपने साथ उन दो देशों के खड़े होने का हवाला दिया है जिनकी पिछले कुछ सालों से बुरी तरह खटपट है। रूस ने नई विदेश नीति पर ताजा दस्‍तावेज जारी किया है। 42 पन्‍नों के इस दस्‍तावेज में चीन और भारत का अलग से खास जिक्र किया है। इन दोनों देशों के साथ रिश्‍तों को और मजबूत बनाने की बात कही गई है। यूरेशिया में उसकी विदेश रणनीति में इन दोनों देशों को अहम भूमिका दी गई है।

डॉक्‍यूमेंट के अनुसार, रूस भारत के साथ अपने रणनीतिक गठजोड़ को जारी रखेगा। हर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की बात की गई है। यह सहयोग इस तरह बढ़ाया जाएगा जिससे दोनों देशों का फायदा हो। रूस का फॉरेन पॉलिसी पर ताजा डॉक्‍यूमेंट भारत पर खेमा चुनने का दबाव बढ़ा सकता है। अमेरिका और पश्चिमी देश खासतौर से उससे इस तरह की अपेक्षा कर रहे हैं। दिलचस्‍प यह है कि रूस ने अपने साथ उन दो देशों के खड़े होने का हवाला दिया है जिनकी पिछले कुछ सालों से बुरी तरह खटपट है। रूस ने नई विदेश नीति पर ताजा दस्‍तावेज जारी किया है। 42 पन्‍नों के इस दस्‍तावेज में चीन और भारत का अलग से खास जिक्र किया है। इन दोनों देशों के साथ रिश्‍तों को और मजबूत बनाने की बात कही गई है। यूरेशिया में उसकी विदेश रणनीति में इन दोनों देशों को अहम भूमिका दी गई है।द्विपक्षीय व्‍यापार के वॉल्‍यूम को बढ़ाने का जिक्र भी किया गया है। इसके तहत निवेश और तकनीकी क्षेत्र में भी सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। दुश्‍मन देशों की किसी भी अनुचित कार्रवाई से निपटने की बात भी कही गई है।

डॉक्‍यूमेंट ब्रिक्‍स, एससीओ, सीआईएस, ईएईयू, एससीटीओ और आरआईसी जैसे संगठनों के जरिये सहयोग बढ़ाने की बात करता है। इन सभी में रूस, चीन और भारत शामिल हैं। रूस ने इनमें अपना पार्टिसिपेशन बढ़ाने की बात कही है। वह इन्‍हें प्राथमिकता में रखना चाहता है।रूस का फॉरेन पॉलिसी पर ताजा डॉक्‍यूमेंट भारत पर खेमा चुनने का दबाव बढ़ा सकता है। अमेरिका और पश्चिमी देश खासतौर से उससे इस तरह की अपेक्षा कर रहे हैं। दिलचस्‍प यह है कि रूस ने अपने साथ उन दो देशों के खड़े होने का हवाला दिया है जिनकी पिछले कुछ सालों से बुरी तरह खटपट है। रूस ने नई विदेश नीति पर ताजा दस्‍तावेज जारी किया है। 42 पन्‍नों के इस दस्‍तावेज में चीन और भारत का अलग से खास जिक्र किया है। इन दोनों देशों के साथ रिश्‍तों को और मजबूत बनाने की बात कही गई है। यूरेशिया में उसकी विदेश रणनीति में इन दोनों देशों को अहम भूमिका दी गई है। भारत और रूस के दशकों से करीबी रिश्‍ते रहे हैं। रूस ने हर मुश्किल में भारत का साथ दिया है। वह भारत को हथियार आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश है। 2016-2020 तक भारत में आयात होने वाले हथियारों में रूस की हिस्‍सेदारी करीब 50 फीसदी थी।

यूक्रेन युद्ध के बीच चीन और भारत दोनों ने रूस से तेल आयात बढ़ाया है। रूस पर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने प्रतिबंधों की बौछार कर दी है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर भारत का रवैया न्‍यूट्रल रहा है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बातचीत के जरिये इसका हल तलाशने की पुरजोर पैरवी करते रहे हैं। वह दोनों देशों से शांति बनाने की कई बार अपील कर चुके हैं।