ललित मोदी इस समय सोशल मीडीया में छाये हुए हैं! आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी को तो आप जानते ही होंगे। हाल ही में सुष्मिता सेन के साथ रिश्ते को लेकर वे सुर्खियों में आए थे। लेकिन क्या आप उनके दादाजी गुजरमल मोदी को जानते हैं? ललित मोदी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके बारे में कोई भी चर्चा बिना उनके दादाजी के जिक्र के पूरी कर देना, बेमानी होगी। ललित मोदी एक दिग्गज कारोबारी घराने से ताल्लुक रखते हैं। बिजनस की दुनिया में इस कारोबारी घराने का अच्छा-खासा नाम है। बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे की ललित मोदी के दादा ने एक पूरा शहर बसा दिया था। आज ही के दिन यानी 9 अगस्त को साल 1902 में गुजरमल मोदी का जन्म हुआ था।
गुजर गई थी मां
ललित मोदी के दादा का पूरा नाम राय बहादर सेठ गुजरमल मोदी है। इनका बचपन का नाम राम प्रसाद मोदी था। गुजरमल का जन्म महेंद्रगढ़ में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। महेंद्रगढ़ अब हरियाणा राज्य में है। गुजरमल के पैदा होने के छह दिन बाद ही उनकी मां चांदी देवी की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद गुजरमल का पालन-पोषण सौतेली मां गुजरी देवी ने किया। अपनी सौतली मां के सम्मान में ही उन्होंने राम प्रसाद से अपना नाम गुजरमल कर लिया।
दसवीं कक्षा में गुजरमल ने अपना परीक्षा शुल्क नहीं भरा था, जिससे उनका एक साल खराब हो गया। इसके बाद उनके पिता ने कम उम्र में ही उन्हें पारिवारिक व्यवसाय में डाल दिया। हालांकि, गुजरमल घर से पढ़ाई करते रहे। ललित मोदी के दादा ने 17 साल की उम्र में कारोबारी दुनिया में कदम रख दिया था। वे पिता के साथ घर का बिजनेस करने लगे, लेकिन वे कुछ बड़ा करना चाहते थे। वे सिर्फ 400 रुपये लेकर घर से निकल गए थे। उन्होंने इस रकम से वनस्पति घी/तेल का काम शुरू किया।
धीरे-धीरे पैसा बढ़ा तो गुजरमल के सपने भी बड़े होते गए। उन्होंने 100 बीघा जमीन खरीद ली। यह जमीन उन्होंने दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर बेगमाबाद में खरीदी। यहीं से उनकी किस्मत चमकनी शुरू हो गई। साल 1933 में वे इंग्लैंड से मशीनें लेकर आए। इन मशीनों से उन्होंने एक चीनी मिल शुरू की। बेगमाबाद का यही इलाका आज मोदीनगर के नाम से जाना जाता है।
ललित के दादा ने दो शादियां की थीं। गुजरमल की पहली शादी राजबन देवी से हुई थी। राजबन से उन्हें 10 संतानें हुईं। लेकिन उनकी जन्म के समय ही या बचपन में मौत हो गई। इसके बाद उन्होंने 1932 में दयावती मोदी से दूसरी शादी की। इस शादी के लिए गुजरमल को उनकी पहली पत्नी ने ही मनाया था। दयावती मोदी से ही ललिल के पिता कृष्ण कुमार मोदी का जन्म हुआ। दयावती से गुजरमल के 11 बच्चे हुए। इनमें 5 बेटे और 6 बेटियां थीं।
गुजरमल मोदी की चीनी मिल सफल रही। इसके बाद गुजरमल साल 1939 में अपने पुराने बिजनेस पर लौट आए। वे फिर से वनस्पति के कारोबार में आ गए। साल 1941 में उन्होंने वनस्पति तेल से साबुन बनाना शुरू किया। इस काम ने उन्हें काफी सफलता दिलाई। ब्रिटिश हुकूमत ने गुजरमल को ‘राय बहादुर’ की उपाधि से सम्मानित किया था। बढ़िया टाउनशिप मोदीनगर की स्थापना करने और उनके कारोबारी योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया था।
ललित मोदी के दादा ने रुकने का नाम नहीं लिया। साबुन के बाद उन्होंने तेल, कपड़ा, पेंट और वार्निश, ग्लिसरीन, लालटेन, बिस्किट, टॉर्च, रबर, स्टील और रेशम जैसे उत्पादों को अपने कारोबार में शामिल किया। इस तरह साल 1963 तक गुजरमल का कारोबार मोदी ग्रुप में बदल गया। साल 1968 में गुजरमल को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
मोदी ग्रुप का कारोबार गुजरमल मोदी और उनके भाई केदार नाथ मोदी के परिवारों के बीच बंटा। इसके बाद गुजरमल मोदी के कारोबार को उनके बेटे केके मोदी ने संभाला। केके मोदी के सबसे बड़े बेटे ललित मोदी ही हैं। इस समय मोदी ग्रुप Marlboro, Four Square और Red & White जैसे ब्रैंड्स की सिगरेट बनाता है। पान विलास भी मोदी ग्रुप का ही ब्रैंड है। इसके अलावा मोदी ग्रुप देशभर में 24×7 नाम के ऑल पर्पज स्टोर्स भी चलाता है।
कृष्ण कुमार मोदी यानी केके मोदी की शादी 1961 में बीना मोदी से हुई थी। दो साल बाद साल 1963 में ललित मोदी का जन्म हुआ। ललित मोदी की एक बहन चारू मोदी और एक भाई समीर मोदी हैं। चारू मोदी भारती मोदी ग्रुप की तरफ से चलाए जा रहे एजुकेशनल वेंचर को संभालती हैं। वहीं, दूसरी ओर समीर मोदी रिटेल और कॉस्मेटिक्स वेंचर संभालते हैं।