मुक्तदा अल-सदर इराक के शिया धर्मगुरु है! इराक में राजनीतिक अस्थिरता का पुराना इतिहास है। लेकिन शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के राजनीति छोड़ने की घोषणा के बाद से इराक में सिविल वार जैसी स्थिति हो गई है। अल-सदर के समर्थक सड़कों पर उतर आए और राजधानी के ग्रीन जोन में धावा बोल दिया। रात भर ग्रीन जोन में लगभग सात गोले बरसे हैं। अल सदर के लगभग 15 समर्थकों की मौत हो गई है। इससे पहले भी जुलाई में उनके समर्थक संसद में घुस गए थे। ऐसे में सवाल है कि आखिर मुक्तदा अल-सदर कौन हैं, जिनके एक इशारे से ही इराक जल उठा है।
मुक्तदा अल सदर एक शिया धर्मगुरु हैं। वह इराक में सबसे ताकतवर नेताओं में से एक हैं। अक्टूबर 2021 में हुए चुनाव में उनकी पार्टी सबसे बड़ी विजेता बनी। हालांकि उन्हें सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत नहीं मिला है। सदर के पिता मोहम्मद सादिक और ससुर मोहम्मद बाकिर भी इराक के प्रभावशाली धर्मगुरु थे। दोनों को ही सद्दाम हुसैन ने मार डाला था। सदर की बात करें तो भले ही वह शिया हों, लेकिन इराक में ईरान की दखलअंदाजी के खिलाफ हैं।अल सदर अपने पिता की विचारधारा से प्रभावित हैं। जब 2003 में सद्दाम हुसैन की मौत हुई तो वह चर्चा में आ गए। उन्होंने हजारों लोगों को साथ जोड़ कर अल सदरिस्ट मूवमेंट की शुरुआत की। इस मूवमेंट में मिलिट्री विंग भी है, जिसका नाम जैश अल-मेहदी या मेहदी की सेना था, बाद में इसे बदल कर सरया अल-सलाम यानी शांति ब्रिगेड कर दिया गया। अल सदर भले ही ईरान के समर्थक न हों, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह अमेरिका को पसंद करते हैं। 2003 में एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘सद्दाम एक छोटा नाग था, लेकिन अमेरिका एक बड़ा नाग है।’
इराक के समाज में लिबरल विचारधारा के वह खिलाफ हैं। वह समलैंगिकों और महिला-पुरुषों के मिक्स होने की निंदा करते रहे हैं। 2018 में सदर ने एक नया गठबंधन बनाया और इराक के पहले संसदीय चुनाव में 54 सीटें जीती। इस्लामिक स्टेट की हार के बाद ये चुनाव हुआ था। नई इराकी सरकार को बनाने में उन्होंने अमेरिका के हस्तक्षेप को खारिज कर दिया और उसे एक आक्रमणकारी देश करार दिया। अंदरूनी कलह से परेशान चल रहे देश में सदर ने एक बार खुद को फिर बदला। इस बार उन्होंने एक इराकी राष्ट्रवादी के रूप में खुद को स्थापित किया। उन्होंने इराक में ईरान के प्रभाव की आलोचना की।
साल 2019 के दिसंबर में राजधानी बगदाद स्थित सदर के घर पर ड्रोन से हमला हुआ था। हालांकि इस दौरान अल सदर की किस्मत अच्छी रही, क्योंकि वह घर में मौजूद नहीं थे। इस हमले में घर क्षतिग्रस्त हुआ, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। 2020 में कासिम सुलेमानी पर अमेरिका के ड्रोन हमले के बाद अल सदर ने अमेरिका के साथ सुरक्षा समझौते को तत्काल रद्द करने, अमेरिकी दूतावास को बंद करने और अमेरिकी सैनिकों को इराक से बाहर करने का आह्वान किया।
साल 2020 में सदर ने ईरान और अमेरिका दोनों को चेतावनी दी कि वह अपने झगड़े में इराक को शामिल न करें। उन्होंने कहा था कि ईरान और अमेरिका के झगड़े में इराक पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा था कि इराक और इराकी लोग इस झगड़े में अपना नुकसान नहीं कराने वाले। अब मुक्तदा अल-सदर ने राजनीति को छोड़ने की घोषणा कर दी है, जिसके कारण उनके समर्थक भड़क गए हैं।
अल सदर के अनुयायी उनकी हर बात को मानते हैं। इसका एक नमूना इसी साल जुलाई में तब दिखा जब उनके समर्थक पार्लियामेंट में घुस गए थे।साल 2020 में सदर ने ईरान और अमेरिका दोनों को चेतावनी दी कि वह अपने झगड़े में इराक को शामिल न करें। उन्होंने कहा था कि ईरान और अमेरिका के झगड़े में इराक पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा था कि इराक और इराकी लोग इस झगड़े में अपना नुकसान नहीं कराने वाले।उन्होंने कहा था कि इराक और इराकी लोग इस झगड़े में अपना नुकसान नहीं कराने वाले। अब मुक्तदा अल-सदर ने राजनीति को छोड़ने की घोषणा कर दी है, जिसके कारण उनके समर्थक भड़क गए हैं। अब मुक्तदा अल-सदर ने राजनीति को छोड़ने की घोषणा कर दी है, जिसके कारण उनके समर्थक भड़क गए हैं। अल सदर ने एक बयान जारी कर उन्हें सुरक्षित घर लौटने को कहा, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने संसद की बिल्डिंग को छोड़ दिया। लोगों की भीड़ इकट्ठा कर पाने की क्षमता और जमीन से जुड़े हुए समर्थकों के चलते अल सदर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ते हैं।