Friday, March 14, 2025
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कौन है सत्‍यपाल मलिक? जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहा घमंडी!

उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन लिया गया है! उपराष्ट्रपति पद के लिए NDA ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का नाम फाइनल किया है। धनखड़ की उम्‍मीदवार का ऐलान बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने किया। NDA की तरफ से उम्‍मीदवारी के लिए मुख्तार अब्बास नकवी, नजमा हेपतुल्ला, आरिफ मोहम्मद जैसे नाम चर्चा में थे। धनखड़ को ‘किसान पुत्र’ बताकर पार्टी ने VP कैंडिडेट बनाया है। जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ मूल रूप से राजस्‍थान के रहने वाले हैं। उन्‍हें उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी की नजरें राजस्‍थान चुनाव को साधने पर होंगी। वैसे जाट और किसान बैकग्राउंड, इन दो शर्तों पर एक और गवर्नर खरे उतर रहे थे मगर उनका बड़बोलापन आड़े आ गया। बात हो रही है मेघालय के गवर्नर सत्‍यपाल मलिक की, जिन्‍होंने संवैधानिक पदों पर रहते हुए बीजेपी को असहज करने वाले बयानों की झड़ी सी लगा दी।

मलिक पर भी दांव खेल सकती थी बीजेपी!

सत्‍यपाल मलिक को बीजेपी दो साल पहले तक खूब प्रमोट कर रही थी। 2017-18 में वह बिहार के साथ-साथ ओडिशा के गवर्नर भी रहे। फिर उन्‍हें एनएन वोहरा की जगह जम्‍मू और कश्‍मीर भेजा गया। J&K के उपराज्‍यपाल के रूप में मलिक की तैनाती बड़ी अहम थी। पांच दशक बाद वहां कोई राजनीतिक शख्‍स एलजी के पद पर नियुक्‍त हुआ था। अगस्‍त 2018 से लेकर अक्‍टूबर 2019 तक मलिक वहां के उपराज्‍यपाल रहे। मलिक के एलजी रहते ही 5 अगस्‍त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली सरकार ने अनुच्‍छेद 370 हटाने का फैसला किया। J&K के बाद मलिक को राज्‍यपाल बनाकर गोवा भेज दिया गया। अगस्‍त 2020 में मलिक को गोवा से हटाकर मेघालय का गवर्नर बनाया गया।सत्यपाल मलिक देश की राजनीति की लगभग हर विचारधारा के हिस्सेदार रहे हैं। समाजवादी, कांग्रेस, जनता दल, बीजेपी। जाट किसान परिवार से आने वाले सत्यपाल मलिक के पूर्वज यूं तो हरियाणा के हैं, लेकिन पैदाइश वेस्ट यूपी की है। लोहिया के समाजवाद से प्रभावित होकर बतौर छात्र नेता अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले सत्यपाल मलिक ने 70 के दशक में कांग्रेस विरोध की बुनियाद पर यूपी में नई ताकत बनकर उभर रहे चौधरी चरण सिंह का साथ पकड़ा। चरण सिंह कहा करते थे, ‘इस नौजवान में कुछ कर गुजरने का जज्बा दिखता है।’ उन्होंने 1974 में उस समय की अपनी पार्टी- भारतीय क्रांति दल से सत्यपाल मलिक को टिकट दिया और 28 साल की उम्र में सत्यपाल विधायक चुन लिए गए।

उम्र और तजुर्बे से परिपक्व होते वक्त सत्यपाल को जब यह अहसास हुआ कि चौधरी साहब का साथ उन्हें वेस्ट यूपी की पॉलिटिक्स तक ही सीमित रखेगा, तो वे कांग्रेस विरोध छोड़कर कांग्रेस में ही शामिल हो गए। 1984 में राज्यसभा पहुंचे। अगले ही कुछ सालों के भीतर कांग्रेस के अंदर से ही कांग्रेस के खिलाफ एक नारा गूंजने लगा था, ‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है।’ वीपी सिंह ने सत्यपाल से पूछा, ‘हमारे साथ आओगे?’ सत्यपाल जनता दल में आ गए। सांसद बने और वीपी सरकार में मंत्री भी, लेकिन 2004 में उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली और अपने राजनीतिक गुरु चौधरी चरण सिंह के ही पुत्र अजित सिंह के खिलाफ बागपत से चुनाव लड़ गए। हार मिली, लेकिन बीजेपी ने उन्हें अपने साथ बनाए रखा। 2014 में मोदी सरकार आने के बाद उन्हें पहले बिहार का राज्यपाल बनाया गया, फिर वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने, इसके बाद गोवा और फिर मेघालय के।

तीखे बयानों से खटकने लगे मलिक

केंद्र सरकार के प्रति मलिक के तेवर पिछले डेढ़ साल में बेहद तीखे हो चले हैं। सितंबर 2020 में तीन कृषि कानूनों बनाए जाने के बाद से मलिक ने सरकार के खिलाफ कई बयान दिए। कुछ में वह समझाते, कुछ में बीजेपी नीत एनडीए सरकार को धमकाते। उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह कह रहे थे ‘मैं उनसे (मोदी) मिलने गया था। मैंने उन्हें बताया- आप गलतफहमी में हैं। इन सिखों को हराया नहीं जा सकता। इनके गुरू के चारों बच्चे उनकी मौजूदगी में खत्म हो गए। लेकिन, उन्होंने सरेंडर नहीं किया था। ना इन जाटों को हराया जा सकता है। मैंने कहा कि दो काम बिल्कुल मत करना। एक तो इन पर बल प्रयोग मत करना, दूसरा इनको खाली हाथ मत भेजना, क्योंकि ये भूलते भी नहीं है।’

किसान आंदोलन के दौरान मेघालय के राज्‍यपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और ब्‍लूस्‍टार ऑपरेशन का जिक्र कर एक तरह से मोदी को इशारा किया था कि वे सिखो से पंगा न लें। मलिक बोले, ‘अगर ये (किसान आंदोलन) ज्‍यादा चलता रहा तो मैं नहीं जानता कि आप में से कितने लोग जानते हो, लेकिन मैं सिखों को जानता हूं। मिसेज (इंदिरा) गांधी ने जब ब्‍लूस्‍टार किया, उसके बाद उन्‍होंने अपने फार्महाउस पर एक महीना महामृत्‍युंजय का यज्ञ कराया। अरुण नेहरू ने मुझे बताया कि मैंने कहा कि फूफी आप तो ये बात नहीं मानती, ये क्‍यों करा रही हैं… तो उन्‍होंने कहा कि तुम्‍हें पता नहीं है मैंने इनका अकाल तख्‍त तोड़ा है, ये मुझे छोडेंगे नहीं। उनको लग रहा था कि ये होगा। जनरल वैद्य को पूना में जाकर के मारा।’

मलिक ने पिछले दिनों लॉन्‍च अग्निपथ योजना पर भी सवाल उठाए हैं। केंद्र सरकार पर ‘घमंड में रहने’ का आरोप लगाते हुए मलिक ने कहा था कि ‘अगर फौज में असंतुष्‍ट लड़के जाएंगे तो उनके हाथ में राइफल होगी, उसकी कोई दिशा होगी, पता नहीं किधर चल जाए? केंद्र सरकार बहुत घमंड में रहती है। हो सकता है इससे कुछ बुरा हो, तब बैकफुट पर आए।’ मलिक का इशारा कृषि कानूनों की तरफ था जिन्‍हें लंबे आंदोलन के बाद सरकार ने वापस ले लिया था। हाल ही के एक इंटरव्‍यू में मलिक ने कहा था, ‘जब मैं पहली बार (केंद्र के खिलाफ) बोला था, तब से ही मेरी जेब में इस्तीफा है। जिस दिन मोदी जी की तरफ से इशारा मिल जायेगा, उन्हें हटाना नहीं पड़ेगा। बस वह इतना बोल दें कि मैं आपके साथ असहज महसूस कर रहा हूं। मैं उसी दिन छोड़ कर चला जाऊंगा।’

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