सिद्दीक कप्पन जो कि एक पत्रकार है, उनके बारे में तो आप जानते ही होंगे! पत्रकार सिद्दीक कप्पन करीब दो साल बाद खुली हवा में सांस ले पाएंगे। ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की दुहाई देते हुए SC ने शुक्रवार को कप्पन की जमानत मंजूर कर दी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने कप्पन को हाथरस में दलित युवती से रेप की करवेज के लिए जाते वक्त गिरफ्तार किया था। उनपर अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन ऐक्ट (UAPA) की धाराएं लगाई गईं। यूपी पुलिस का आरोप था कि कप्पन घटना के बहाने हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के सामने पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं रखा जो ‘भड़काऊ’ हो। सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा राव की बेंच ने कप्पन को जमानत देते हुए अहम टिप्पणियां की हैं। आइए जानते हैं सिद्दीक कप्पन कौन हैं, उनके खिलाफ क्या केस है और बेल देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा।
केरल से आने वाले सिद्दीक कप्पन पेशे से पत्रकार हैं। सितंबर 2020 में यूपी के हाथरस में एक दलित युवती की गैंगरेप के बाद हत्या का मामला सामने आया। वारदात की चर्चा अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक में हो रही थी। कप्पन और उनके साथी इसी मामले को कवर करने हाथरस जा रहे थे। 5 अक्टूबर 2020 को मथुरा में टोल प्लाजा पर उनकी कार रोकी गई। यूपी पुलिस ने कार में मौजूद चारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया। कप्पन की गिरफ्तारी की राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रकार और मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी निंदा की। एक मलयालम पोर्टल के लिए काम करने वाले कप्पन उस वक्त केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) की दिल्ली दिकाई के सचिव थे।
फरवरी 2021 में कप्पन को अपनी बीमार मां को देखने जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से पांच दिन की जमानत मिली। यूपी पुलिस ने अप्रैल 2021 में कप्पन के खिलाफ चार्जशीट दायर की। पिछले साल जून में मथुरा की एक अदालत ने चारों आरोपियों के खिलाफ शांति भंग करने से जुड़े आरोप रद्द कर दिए। इसी महीने कप्पन की मां का देहांत हो गया। अप्रैल 2022 में कप्पन के परिवार ने फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। परिवार का कहना था कि कोविड-19 पॉजिटिव टेस्ट होने के बाद कप्पन के साथ बुरा बर्ताव हो रहा है। अदालत ने कप्पन को दिल्ली AIIMS में भर्ती कराने का आदेश दिया था। ठीक होने के बाद कप्पन को वापस मथुरा जेल भेज दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। कोर्ट ने कहा कि राज्य की ओर से अबतक ऐसा कुछ पेश नहीं किया गया जो भड़काऊ हो। जेठमलानी ने जिन ‘पैम्फलेट्स’ का जिक्र किया, उन्हें देखने के बाद अदालत ने कहा कि ये विदेश से लिया गया है और इसमें अश्वेत लोगों के बारे में बात की गई है। कप्पन की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके क्लाइंट को उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने कहा कि पैम्फलेट में जो ‘टूलकिट’ थी, वह ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ से जुड़ी थी, हाथरस केस से नहीं।कोर्ट ने कहा कि पैम्फलेट में हाथरस गैंगरेप पीड़िता के लिए न्याय की बात भी की गई है और उसके लिए लड़ना अपराध नहीं हो सकता। अदालत ने पूछा, ‘हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति का अधिकार है और वह एक विचार बढ़ा रहे हैं कि एक पीड़िता है जिसे न्याय की जरूरत है और इसलिए हम सबको मिलकर आवाज उठानी चाहिए। क्या यह कानून की नजर में अपराध है?’
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कप्पन को राहत दे दी। हालांकि, अदालत ने साफ किया कि वह केस की मेरिट्स पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है। SC ने कप्पन को तीन दिन के भीतर ट्रायल कोर्ट ले जाने और वहां की शर्तों के हिसाब से रिहाई का आदेश दिया। जमानत की शर्त यह है कि कप्पन अगले छह हफ्ते दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में ही रहेंगे। उसके बाद वह केरल जा सकते हैं। कप्पन को अपना पासपोर्ट भी कोर्ट में जमा कराना होगा।
कप्पन करीब दो साल सलाखों के पीछे रहे। उनकी रिहाई के लिए पत्नी रैहानाथ ने हर दरवाजा खटखटाया। कई विरोध-प्रदर्शन आयोजित कराए। पति को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद रैहानाथ ने कहा, ‘अदालत ने पाया है कि कप्पन निर्दोष हैं और इसलिए जमानत दी गई। दो साल हो गए हैं और यह हमारे लिए बहुत कठिन था और हमने इसका सामना गहरी भावनाओं और पीड़ाओं के साथ किया।’