चीन के पूर्व राष्ट्रपति हु जिंताओ को कौन नहीं जानता! जिंताओ ने अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान विरोधियों के खिलाफ भयंकर दमन चक्र चलाया था। हालात ऐसे थे कि उस समय जिंताओ को चैलेंज करने वाला कोई दूसरा नेता नहीं था। आज उसी नेता को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन चीनी कांग्रेस के दौरान जिनपिंग के सामने से बेइज्जत कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस दौरान वे पहले तो जिनपिंग के कुछ कागजातों को छूने की कोशिश की। इस दौरान शी जिनपिंग और पीछे खड़े सुरक्षा गार्ड ने उनका हाथ पकड़ लिया। बाद में जब उन्हें जबरन उठाकर ले जाया गया तो वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कुछ कहते भी नजर आए। इसके जवाब में जिनपिंग ने सिर हिलाया। उन्होंने प्रधानमंत्री ली केकियांग के कंधे पर हाथ भी रखा, लेकिन सुरक्षाकर्मी जबरन उन्हें बाहर लेकर चले गए।
हु जिंताओ वर्तमान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के धुर विरोधी हैं। 2012 में दो बार के राष्ट्रपति रह चुके हु जिंताओ एक और कार्यकाल चाहते थे। लेकिन, पार्टी की नीतियों को वह बदल नहीं सके। उस समय तक चीन में किसी एक व्यक्ति को अधिकतम दो बार ही राष्ट्रपति बनने का अधिकार था। इस कानून को शी जिनपिंग ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान बदल दिया और अब तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने हैं। 2012 में जब जिंताओ का कार्यकाल खत्म हुआ तो वे अपने चहेते ली केकियांग और हू चुनहुआ में से किसी एक को राष्ट्रपति बनवाना चाहते थे। लेकिन, शी जिनपिंग ने देश के किसानों, बिजनेसमैन और सेना से खुद को जोड़कर ऐसी जाल बुनी कि जिंताओ बुरी तरह से उलझ गए। बाद में जिंताओ के करीबी ली केकियांग को प्रधानमंत्री पद से संतोष करना पड़ा। लेकिन, इस बार उनकी भी प्रधानमंत्री पद से छुट्टी कर दी गई है।
हु जिंताओ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ राजनेता हैं। वह 2002 से 2012 तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के महासचिव, 2003 से 2013 तक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं। जिंताओ 2004 से 2012 तक केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष भी रहे हैं। हु जिंताओ 1992 से 2012 तक सीसीपी पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के भी सदस्य रह चुके हैं। सीसीपी पोलित ब्यूरो ही चीन की वास्तविक शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है। हु 2002 से 2012 तक चीन के सर्वोच्च नेता थे। हु जिंताओ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के जरिए सत्ता में आए। उन्होंने गुइझोउ प्रांत और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के लिए पार्टी कमेटी सचिव के रूप में काम किया। इस दौरान जिंताओ ने इन क्षेत्रों में पार्टी और देश के प्रति असंतोष को कुचलने के लिए कठोर दमन की कार्रवाई की। इसने पार्टी के शीर्ष नेताओं का ध्यान हु जिंताओं की तरफ आकर्षित किया।
हु जिंताओ पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं का ध्यान उनकी दमनकारी नीतियों के कारण ही आया था। हु जिंताओ पार्टी कमेटी सचिव के पद से ही तिब्बती लोगों के कट्टर दुश्मन थे। जिंताओ का मानना था कि तिब्बती लोग चीन के कभी भी सगे नहीं हो सकते हैं। उनके ही कार्यकाल में तिब्बत में चीन विरोधी गुटों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल किया गया। इतना ही नहीं, तिब्बत की बौद्ध मठो में सेना के अधिकारियों को बैठाया गया, जिससे कोई विरोध न कर सके। तिब्बती लोगों के खिलाफ व्यापक तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं हुईं। जिंताओ के ही आदेश पर तिब्बत में हान समुदाय के लोगों को बसाने का काम शुरू किया गया, जिससे इलाके की डेमोग्राफी को बदला जा सके। उनका मानना था कि हान लोग पक्के देशभक्त हैं और तिब्बत में उनके आने से लोगों में देशभक्ति की भावना मजबूत होगी।
उन्हें तिब्बत से हटाकर सीसीपी केंद्रीय सचिवालय के प्रथम सचिव और बाद में जियांग जेमिन के अधीन उपाध्यक्ष बनाया गया। हु जिंताओ पुरानी पीढ़ी के कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं में शामिल हैं। पुरानी पीढ़ी के प्रभावशाली नेताओं में सोंग पिंग, हू याओबांग, देंग शियाओपिंग और जियांग जेमिन का नाम गिना जाता है। चीनी राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के दौरान उन्होंने चीनी अर्थव्यवस्था पर सरकारी नियंत्रण को बढ़ाने का काम किया। उन्होंने अपने सहयोगी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ एक दशक तक लगातार आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया। इसने चीन को एक प्रमुख विश्व शक्ति के रूप में दुनिया में स्थापित किया। उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। उइगर जातीय अल्पसंख्यकों के विरोध को कुचला, असंतुष्ट नेताओं पर नकेल कसी और तिब्बत में अशांति और अलगाव विरोधी कानून पारित करवाया। हु जिंताओ के कार्यकाल के दौरान अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और अन्य विकासशील देशों में चीन का प्रभाव बढ़ा।