कौन थे डाकू तहसीलदार सिंह?जिसे बीजेपी ने दिया टिकट!

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एक ऐसा डाकू जिसे बीजेपी ने टिकट दिया था! तहसीलदार सिंह 1953 में पुलिस के हाथों अरेस्‍ट हुए थे। उन्‍हें फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन आचार्य विनोबा भावे और कुछ दूसरे लोगों के प्रयासों से राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सिंह ने मृत्‍युदंड को उम्रकैद में बदल दिया। इसके बाद 18 साल बरेली जेल में सजा काटने के बाद मध्‍य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने चंबल के बीहड़ों से डाकुओं का सफाया करने का मन बनाया। इसके लिए तहसीलदार सिंह का इस्‍तेमाल किया गया, लेकिन तरीका बदला गया… एनकाउंटर नहीं सरेंडर।

फिर 1960 से 1976 के बीच तहसीलदार सिंह की मध्‍यस्‍थता के बाद 654 डाकुओं ने सरेंडर कर दिया। इनमें मान सिंह के गिरोह के रूपा और लुखा डकैत शामिल थे। इन डाकुओं का पुनर्वास किया गया। तहसीलदार सिंह के बेटे शेर सिंह को एमपी के चीफ मिनिस्‍टर प्रकाश सिंह सेठी ने सब इंस्‍पेक्‍टर नियुक्‍त किया। बाद में वह डीएसपी के पद से रिटायर हुए।

राम मंदिर आंदोलन के दौर में तहसीलदार सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्‍यता ले ली। उस समय यूपी की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का दबदबा था। यूपी की राजनीति में उस समय बाहुबल की चलती थी। बूथ कैप्‍चरिंग आम थी। मुलायम सिंह यादव पर आरोप लगते थे कि उनकी पार्टी इटावा और आसपास के जिलों में बूथ कैप्‍चरिंग करके चुनाव जीतते हैं।

मुलायम सिंह की काट के तौर पर बीजेपी ने तहसीलदार सिंह को टिकट देकर इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट पर उतार दिया। बताया जाता है कि वोटिंग के समय तहसीलदार सिंह को खबर मिली कि समाजवादी पार्टी ने एक बूथ पर कब्‍जा कर लिया है। इसके बाद तहसीलदार सिंह पहुंचे और पूरी मतपेटियां ही उस बूथ से उठाकर ले गए। काफी चुनाव हिंसा हुई, कांग्रेस की ओर से एक और बाहुबली दर्शन सिंह यादव थे। लेकिन जीत मुलायम सिंह यादव की हुई।

बता दें कि उस वक्त प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी और कल्याण सिंह प्रदेश के मुखिया बने थे. उस समय पत्रकार और आज के नामी वकील मोहिसन अली ने न्यूज18 से बातचीत में बताया कि 15 मार्च 1991 को दस्यु सम्राट एवं भाजपा उम्मीदवार तहसीलदार सिंह ने इटावा कलेक्ट्रेट के एतिहासिक वट वृक्ष के चबूतरे पर बैठकर देश के नामी पत्रकारों को इंटरव्यू दिया था जिसमें उसने राम मंदिर आंदोलन के चलते मुलायम को राक्षस बताकर उन्ही की लंका में हराने का ऐलान किया था. मोहसिन ने बताया कि चुनाव में मुलायम के सामने बागी दस्यु सम्राट के अलावा कांग्रेस के टिकट पर बाहुबली दर्शनसिंह यादव थे.

चुनाव के दौरान नगला बाबा गांव में मुलायम-दर्शन के समर्थकों के बीच जमकर नारेबाजी और गोलीबारी हुई थी. बंदूकों और गोलियों की आवाजों के बीच ऐसी भगदड़ मच गई थी कि कवरेज के लिए मौजूद पत्रकारों तक को पास के मकानों में घुसकर अपनी जान बचानी पड़ी थीमुलायम सिंह की काट के तौर पर बीजेपी ने तहसीलदार सिंह को टिकट देकर इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट पर उतार दिया। बताया जाता है कि वोटिंग के समय तहसीलदार सिंह को खबर मिली कि समाजवादी पार्टी ने एक बूथ पर कब्‍जा कर लिया है। इसके बाद तहसीलदार सिंह पहुंचे और पूरी मतपेटियां ही उस बूथ से उठाकर ले गए।

काफी चुनाव हिंसा हुई, कांग्रेस की ओर से एक और बाहुबली दर्शन सिंह यादव थे।बता दें कि उस वक्त प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी और कल्याण सिंह प्रदेश के मुखिया बने थे. उस समय पत्रकार और आज के नामी वकील मोहिसन अली ने न्यूज18 से बातचीत में बताया कि 15 मार्च 1991 को दस्यु सम्राट एवं भाजपा उम्मीदवार तहसीलदार सिंह ने इटावा कलेक्ट्रेट के एतिहासिक वट वृक्ष के चबूतरे पर बैठकर देश के नामी पत्रकारों को इंटरव्यू दिया था जिसमें उसने राम मंदिर आंदोलन के चलते मुलायम को राक्षस बताकर उन्ही की लंका में हराने का ऐलान किया था. मोहसिन ने बताया कि चुनाव में मुलायम के सामने बागी दस्यु सम्राट के अलावा कांग्रेस के टिकट पर बाहुबली दर्शनसिंह यादव थे. लेकिन जीत मुलायम सिंह यादव की हुई। पूरा विधान सभा क्षेत्र सुरक्षाबलों की छावनी के रूप में तब्दील हो चुका था. चुनावी समर में मुलायम ने अपने दोनों बाहुबली प्रतद्विंदियों को पटखनी देकर जीत हासिल की थी. बाबू दर्शन सिंह ने चुनाव अवैध घोषित करके दोबारा चुनाव कराने की मांग की थी! हालांकि इसी सीट पर विधायक रहते हुए मुलायम ने यूपी की गद्दी संभाली थी! तो यह थे डाकू तहसीलदार सिंह!