2024 में लोकसभा चुनाव आने वाले हैं! राजनीति के अपने अलग-अलग रंग है। ये रंग सड़क से लेकर संसद तक दिखते हैं। खूबसूरत और स्वस्थ्य लोकतंत्र हमेशा रंगों से सराबोर रहता है। लुटियंस दिल्ली में आज कांग्रेस का विरोध मार्च था। विरोध के दौरान कांग्रेस के सांसद काले कपड़ों में नजर आए। इतना ही नहीं संसद भवन में भी काले कपड़े पहनकर ही पहुंचे। लोकतंत्र की मजबूती के लिए विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है मगर साल 2014 के बाद से अब तक विपक्ष मंच पर कहीं दिखा ही नहीं। आज कांग्रेस जिस तरह से सड़कों पर उतरी उससे कांग्रेस की ताकत का एहसास तो हुआ मगर सवाल फिर वही कि कब तक। प्रियंका गांधी के तेवर आज मजबूत विपक्ष की झलक दिखा रहे थे।
लेकिन बीजेपी ने महंगाई की आड़ में गांधी परिवार के बचाव का तिकड़म बताकर कांग्रेस की इस जोर-आजमाइश पर पानी फेरने को जोरदार कोशिश की। ऊपर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदर्शन के पीछे 5 अगस्त का कनेक्शन बताकर कांग्रेस को मुश्किल में डालने की जबर्दस्त चाल चल दी। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी शाह के सुर में सुर मिलाया। दोनों ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने महंगाई नहीं, राम मंदिर निर्माण के विरोध में काले कपड़े पहने ताकि कट्टरपंथी मुसलमानों को खुश किया जा सके। कांग्रेस ने इस आरोप को घृणित मानिसकता का सबूत बताया, लेकिन हकीकत में पार्टी के लिए इस आरोप से बच निकल पाना आसान नहीं हो पाएगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में महंगाई का स्तर आसमान छू रहा है। वित्त मंत्री ने आंकड़ों के जरिए भले ही इसे बाकी देशों के मुकाबले कम बताया मगर उन्होंने भी कहा कि महंगाई बढ़ी है। यूपीए शासनकाल के वक्त महंगाई का स्तर बढ़ता था तो बीजेपी पूरे देश में आंदोलन करती थी। बीजेपी नेता संसद तक बैलगाड़ी से जाते थे। बीजेपी नेता स्मृति इरानी ने सड़क से लेकर संसद तक चक्का जाम कर दिया था। लगता था कि देश के पास एक मजबूत विपक्ष है। लेकिन 2014 से 2022 तक कांग्रेस विपक्ष में नहीं दिखी। आज कांग्रेस का रूप देखने लायक था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बार-बार कह रहे थे कि हम डरने वाले नहीं है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये विरोध वाकई महंगाई और बेरोजगारी को लेकर था या फिर जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर था।
इसका विश्लेषण करते हैं कांग्रेस के युवा नेता के एक बयान से। एक निजी न्यूज चैनल ने जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट से पूछा कि क्या उनकी पार्टी आगे भी धरना-प्रदर्शन करती रहेगी तो उन्होंने कहा कि मुद्दे आधारित सवाल तो किए जाते रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमारा विरोध सरकार की नीतियों के खिलाफ है। सरकार के खिलाफ होना देश के खिलाफ होना नहीं है। विपक्ष के नाते हमारी जो जिम्मेदारी और जो दायित्व है, वह पूरा करते रहेंगे। कोई कितना भी लाठी चला ले, कितना भी दबाने की कोशिश करे, हम मुद्दे उठाते रहेंगे। हम अपना काम बड़े अदब से करते रहेंगे। सरकार को भी यह सोचना चाहिए कि जनता ने उसे तानाशाही के लिए नहीं चुना है। लोकतंत्र में चेक एंड बैलेंस होना चाहिए, उत्तरदायित्व तय होना चाहिए।’
सचिन पायलट की बात के मतलब निकालें जाएं तो उनकी आवाज और बयान में वो भरोसा नहीं दिखा। उन्होंने सवाल को टालते हुए कहा कि मुद्दे आधारित सवाल किए जाते रहेंगे मगर उन्होंने ये नहीं कहा कि हां, कांग्रेस इन मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर संसद तक घेरेगी। उनको कहना चाहिए विरोध हर स्तर तक जारी रहेगा। खैर, बीजेपी का इस मामले में अलग स्टैंड है। बीजेपी विरोध प्रदर्शन को लेकर अग्रेसिव है। बीजेपी इसको ये बताने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस पर जब ईडी का शिकंजा तेज हो गया है इसलिए महंगाई और बेरोजगारी का बहाना करके विरोध कर रही है। पिछले दिनों ईडी ने यंग इंडिया का दफ्तर सील कर दिया था। नेशलन हेराल्ड मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा है। इसके चलते राहुल गांधी और सोनिया गांधी से कई बार पूछताछ हो चुकी है।
राहुल गांधी और सोनिया गांधी जब भी ईडी के सामने हाजिर हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। कांग्रेस विरोध की ये तस्वीरें बीते कुछ महीनों में खूब आईं। मगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनता गुस्सा जनता के मुद्दे पर नहीं आया। 2014 से लेकर 2022 तक कांग्रेस ने कभी ऐसा विरोध नहीं किया, जिसको लेकर सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा हो। ऐसा नहीं है कि इतने सालों में बीजेपी की सारी नीतियां ऐसी रहीं कि जिससे विरोध की गुंजाइश नहीं थी। लेकिन इस दौरान कांग्रेस का रोल समझ में नहीं आया। बीजेपी इस मामले को अलग रंग दे रही है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बयान दिया है कि कांग्रेस ने आज काले कपड़े जान बूझकर पहने थे। क्योंकि आज ही दिन अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया गया था। मतलब बीजेपी ने कांग्रेस के विरोध को राम मंदिर से जोड़ दिया। हालांकि ये जनता का स्वविवेक है कि वो किसकी बात मानती है।
बीजेपी का मैकेनिजम समझना बहुत मुश्किल है। दिन,तारीख और वक्त पर बीजेपी की निगाहें टिकी होती हैं। जब सभी टीवी न्यूज चैनलों ने प्रियंका गांधी को कवर करना शुरू कर दिया तो बीजेपी थोड़ा परेशान हुई। क्योंकि आज प्रियंका गांधी का अपना एक अलग रूप था। वो रूप जिसको लोग काफी वक्त पहले से देखना चाहते थे। प्रियंका गांधी आज सड़क पर जम गईं, पुलिस बैरिकेड को लांघ गई, महिला पुलिसकर्मियों से भिड़ गईं अपने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया। अचानक देखते ही देखते हर न्यूज चैनल में पर सिर्फ प्रियंका ही छाईं थीं। बीजेपी को ये बात नागवार गुजरी तो इस डेंट को संभालने का जिम्मा दिया युवा नेता अनुराग ठाकुर को।
2024 के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं। कांग्रेस को अगर वापसी करनी है तो डिफेंस मोड पर रहकर काम नहीं करना होगा। बीजेपी के पास ऐसा मैकेनिजम है जिसके जरिए वो आते हुए तीरों को जोड़कर पुल बनाकर दरिया पार कर जाती है। इसका जीता जागता उदाहरण है 2019 लोकसभा चुनाव। राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है का नारा दिया। पूरे कांग्रेस के नेताओं ने अपनी-अपनी डीपी में इसको लगा लिया। राहुल गांधी ने अग्रेसिव इस नारे को हर चुनावी रैली के दौरान बोला। मगर क्या हुआ। पीएम मोदी ने एक मुहिम छेड़ दी जिसका नाम था मैं भी चौकीदार हूं। इस चुनावों में कांग्रेस फिर पटखनी खा गई। अब कांग्रेस को कुछ अलग सोचना होगा, कुछ अलग करना होगा। कुछ ऐसा करना होगा जो बीजेपी नहीं सोच रही। खैर, आज कांग्रेस सड़कों पर दिखी तो लोगों को ये लगा कि कांग्रेस अभी जिंदा है।