बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को अब एक नया साथ मिल गया है! बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को बिहार के सबसे ‘ताकतवर’ अधिकारी का साथ मिल गया है। बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने पत्र जारी कर कहा है कि शिक्षकों अन्य कार्यों में नहीं लगाया जाए। दरअसल, बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से कुछ दिन पहले शिक्षक नियुक्ति के परीक्षा ली गई थी। अब अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन और ओएमआर शीट की स्कैनिंग का कार्य चल रहा है। इस कार्य में स्कूल के शिक्षक भी लगाए गए हैं। लेकिन अब इस कार्य में शिक्षकों को नहीं लगाया जाएगा। इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने पत्र जारी सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है। इससे पहले शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने भी इस कार्य के लिए शिक्षकों को लगाए जाने पर नाराजगी जताया था। बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने अपने पत्र में कहा है कि सत्यापन कार्य शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों, कर्मियों और शिक्षकों को छोड़कर, जिला के किसी भी विभाग के अधिकारी और कर्मी से ये कार्य करवाया जाए। जिलाधिकारी को कहा गया है कि इस संबंध में अलग से संशोधित आदेश निर्गत किया जाए। मुख्य सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि इस समय शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाई जा रही है। ऐसे में शिक्षा विभाग के अधिकारी, कर्मी और शिक्षकों को सत्यापन कार्य से मुक्त रखा जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि ओएमआर शीट स्कैनिंग का मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ है। शिक्षा विभाग के अधीन स्कूलों से शिक्षक पद पर नियुक्ति से संबंधित है, जो बहुत ही संवेदनशील है। ऐसे में प्रमाण पत्रों का सत्यापन करना और ओएमआर शीट की स्कैनिंग के कार्यों में शिक्षा विभाग के लोगों के प्रतिनियुक्त करना उचित प्रतित नहीं होता है। ऐसे में शिक्षा विभाग के कर्मियों को इस कार्य से अलग रखा जाए और उन्हें मूल काम पर वापस भेजा जाए।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने मंगलवार को निर्देश दिया था कि शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षक, बीपीएससी के लिए दस्तावेजों का सत्यापन नहीं करेंगे। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने बिहार लोक सेवा आयोग के सचिवा को पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंनों कहा था कि शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षकों को सत्यापन कार्य में लगाए जाने से असुविधा हो रही है। ऐसे में शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी और शिक्षक मूल काम पर वापस लौटेंगे। बता दें कि पिछले कुछ माह से चर्चा में रहने वाले शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग के बीच रार ठन गई है। बीपीएससी ने पत्र भेजकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। साथ ही बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने भी सोशल मीडिया के जरिए जवाब दिया है। सरकार अपने अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति करती है और बाद में उन्हें बदल देती है। इससे हमें कोई चिंता नहीं होती है। ऐसे तत्व को जो टीआरआई-डीवी कैंसिल कराने की कोशिश क रह हैं, उन्हें और ज्यादा कोशिश करनी चाहिए। बीपीएससी के अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा है कि डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन जारी रहे है।
इधर, शिक्षा विभाग के पत्र के जवाब में बीपीएससी ने जो पत्र भेजा है। वह ‘अमर उजाला’ आपको जस के तस पढ़ा रहा रहा है। बीपीएससी के सचिव रवि भूषण ने शिक्षा विभाग के पत्र पर आश्चर्य जताया। इसके बाद जवाबी पत्र में लिखा कि सूचित करना है कि प्रमाणपत्रों का सत्यापन पूर्व प्रचलित व्यवस्था के अनुरूप दो स्तरों पर किया जाता रहा है। पहला- आयोग के स्तर से जो परीक्षा फल के अंतिम प्रकाशन के पूर्व किया जाता है और दूसरा- अधियाची विभाग के स्तर से जो सफल अभ्यर्थियों के नियोजन के समय किया जाता रहा है। दोनों का अपना-अपना औचित्य है और दोनों एक दूसरे के पूरक है। बिना अपने स्तर से सत्यापन कार्य के आयोग द्वारा न ही कोई अनुशंसा भेजी जा सकती है और न ही कोई डोसियर। आयोग के इस सत्यापन कार्य में राज्य सरकार हमेशा सहयोग करती रही है और इसके लिए किस विभाग के किस पदाधिकारी / कर्मी को प्रतिनियुक्त किया जाए यह राज्य सरकार का विषय है। इस सम्बन्ध में कोई आपति / अनुरोध राज्य सरकार से किया जाना चाहिए।