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बायकॉट के बावजूद चीन से आयात क्यों बढ़ रहा? | MojoPatrakar
Friday, April 18, 2025
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बायकॉट के बावजूद चीन से आयात क्यों बढ़ रहा?

बायकॉट के बावजूद चीन से आयात बढ़ता जा रहा है! हम पिछले कई साल से बायकॉट चाइनीज गुड्स का नारा लगा रहे हैं। इसके वावजूद पिछले साल चीन से इंपोर्ट 46.29 फीसदी बढ़ा था। चालू साल में भी यह 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। इस साल के नौ महीने में ही चीन से इंपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 31 फीसदी ज्यादा रहा है। ऐसा तब हो रहा है जबकि लोग दैनंदिन जीवन में चाइनीज गुड्स का बहिष्कार कर रहे हैं। सरकार भी आत्मनिर्भर भारत को कार्यरूप देने पर जोर-शोर से काम कर रही है।चीन से भारत इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी के अलावा कई तरह के केमिकल ख़रीदता है। ये केमिकल भारत के फ़ार्मा इंडस्ट्री के लिए अहम हैं। इसके अलावा ऑटो पार्ट्स और मेडिकल सप्लाई भी शामिल है। खिलौने, घरेलू उपयोग की वस्तुएं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक पार्ट्स भी वहां से खूब आते हैं। वहां से एक्टिव फार्मा इंग्रेडिएंट एपीआई न आए तो हमारा दवा उद्योग ठप पड़ जाएगा। अपने वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, साल 2021 में इन सभी चीज़ों का चीन से आयात बढ़ा है। चीन से लैपटॉप और कंप्यूटर, ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर के अलावा एसिटिक एसिड का आयात रिकॉर्ड बढ़ा है।

कोरोना काल से पहले भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ा था। उस समय चाइनीज गुड्स के बायकॉट का नारा तेजी से चला था। लेकिन, आंकड़े कुछ और बयां करते हैं। कोरोना काल में तो काफी दिन इंपोर्ट बंद रहा। जब यह खुला तो तेजी से बढ़ता गया। चाइना जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ़ कस्टम GAC ने जनवरी 2022 में भारत से व्यापार का डेटा जारी किया था। इस डेटा के अनुसार, साल 2021 में भारत का चीन के साथ व्यापार 125.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। चीन से भारत का व्यापार तब बढ़ रहा है, जब दोनों देशों में तनाव है।तनाव के बीच दोनों देशों के बीच सिर्फ व्यापार बढ़ा ही नहीं, बल्कि रिकार्ड भी बना। ऐसा पहली बार हुआ जबकि चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर से ऊपर पहुंचा। इसमें भारत ने 97.52 अरब डॉलर का इंपोर्ट किया था और एक्सपोर्ट महज़ 28.14 अरब डॉलर का था।बीते साल चीन से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट, दोनों का रिकॉर्ड बना था। पिछले साल भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड 125 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया था। पिछले साल, भारत में चाइनीज इंपोर्ट 46.2 फीसदी बढ़ कर 97.52 अरब डॉलर पर गया था। इस दौरान भारत ये चीन को एक्सपोर्ट भी 34.2 फीसदी बढ़ कर 28.14 अरब डॉलर पर चला गया था। तब भी साल 2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 69.38 अरब डॉलर रहा था।

चीन के कस्टड डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार इस साल भी भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ा है। साल 2022 के पहले नौ महीनों में दोनों देशों का व्यापार 103.63 अरब अमेरिकी डॉलर पर चला गया है। यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 14.6 प्रतिशत अधिक है। इस दौरान भारत को चीन का निर्यात 31 फीसदी बढ़ कर 89.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया। दूसरी ओर इन नौ महीनों में भारत का निर्यात 36.4 फीसदी की गिरावट के साथ 13.97 अरब डॉलर रहा। इसके चलते कुल व्यापार घाटा 75.69 अरब डॉलर से अधिक हो गया।

बात सिर्फ भारत की नहीं है। साल दर साल, पूरी दुनिया की निर्भरता चीन पर बढ़ी है। इस समय मैन्यूफैक्चरिंग के मामले में दुनिया भर के देश चीन पर निर्भर हैं। चाहे मेडिकल सप्लाई की बात करें या इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स, फ़र्नीचर, खिलौना, घरेलू सामान। तमाम चीज़ों का चीन खूब निर्यात करता है। दो साल पहले ही आंकड़ा आया था कि चीन का दुनिया भर को निर्यात आधा ट्रिलियन डॉलर का है।भारत से मुख्य रूप से एग्रीकल्चर से जुड़ी वस्तुएं निर्यात की जाती हैं। वह भी अनप्रोसेस्ड फार्म में। यदि किसी एग्रीकल्चर प्रोडक्ट की प्रोसेसिंग कर दी जाए तो उसका वैल्यू कई गुना बढ़ जाता है। लेकिन हम यह सब चीज रॉ फार्म में भी भेज देते हैं। इसलिए हमें कम दाम मिलता है। इस समय भारत से चीन को निर्यात किए जाने वाली मुख्य वस्तुओं में चावल, सब्ज़ियां, सोयाबीन, फल, कॉटन और सी फ़ूड आदि शामिल हैं। कुछेक अपवाद को छोड़ दें तो भारत चीन को तैयार माल या फिनिश्ड गुड्स नहीं बेचता है।

ऐसा नहीं है कि चीन के साथ अपना व्यापार घाटा पहली बार बढ़ा है। पिछले पांच साल के आंकड़ों को उठा कर देख लीजिए तो यह लगातार बढ़ ही रहा है। साल 2017 में चीन से भारत का व्यापार घाटा 51 अरब डॉलर था। यह साल 2021 में 69.38 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इस साल भी नौ महीने में ही व्यापार घाटा 75.69 अरब डॉलर के पार चला गया है। मतलब कि इस साल भी व्यापार घाटा पिछले साल के मुकाबले ज्यादा रहेगा। साथ ही चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का भी कभी-कभार नारा सुनाई देता है।

अपने यहां सरकारी गलियरों से लेकर आम आदमी तक, सब चीन को दुश्मन समझता है। लेकिन यह भी सच है कि भारत काफी हद तक चाइनीज वस्तुओं पर निर्भर है। हालांकि, हम चीन पर निर्भरता कम करने को प्रयासरत हैं, पर ऐसा होता नहीं दिखता। अभी भी हमारा बाजार चाइनीज सामानों से पटा हुआ है। उद्योग जगत के तो अधिकतर कच्चे माल वहीं से आ रहे हैं। रेलगाड़ी के पहिए से लेकर काज-बटन में काम आने वाली सूई, सब कुछ चीन से ही तो आ रहा है।

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