आखिर पाकिस्तान में क्यों ध्वस्त किए जा रहे हैं मंदिर?

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पाकिस्तान में लगातार मंदिर ध्वस्त किए जा रहे हैं! पाकिस्तान के 22 लाख हिंदू कहां जाएं? पाकिस्तान के अल्पसंख्यक किससे फरियाद करें? इस देश में रह रहे लाखों हिंदुओं के साथ जो अन्याय हो रहा है वो इसके लिए किससे न्याय मांगे क्योंकि सरकार तो खुद ही हिंदुओं को परेशान करने के कोई मौके नहीं छोड़ना चाहती और कदम-कदम पर पाकिस्तानी सरकार इस बात को साबित करती रहती है। मंदिर हिंदुओं की आस्था का केन्द्र होता है और पाकिस्तान की सरकार इसी आस्था के केन्द्र पर प्रहार करती है। कराची में बने 150 साल पुराने हिंदुओं के मंदिर को तोड़ दिया गया है। आधी रात में जब सब सो रहे थे पाकिस्तान की सरकार के इशारे पर प्रशासन ने हिंदुओं का मंदिर ही ढहा दिया। ये माता रानी का मंदिर था और यहां के लोगों के लिए आस्था बड़ा केन्द्र। करीब 500 वर्ग फीट में बना ये मंदिर काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि इस मंदिर के नीचे काफी खजाना भी गड़ा हुआ है। लोगों का कहना है कि इस मंदिर को जानबूझकर ढहाया गया है ताकि इस जमीन को बिल्डर को दिया जा सके।

यहां तक कि ये बात भी सामने आई है कि इसके फर्जी दस्तावेज बनाकर मंदिर की जमीन पहले ही बिल्डर को दे दी गई है। खुद का बचाव करते हुए प्रशासन अब ये बोल रहा है कि मंदिर की हालत ठीक नहीं थी और इसलिए जर्जर हालत की वजह माता रानी के इस मंदिर को ढहाना पड़ा, लेकिन पाकिस्तान के मंदिरों से जुड़े आंकड़े ही खुद उनकी पोल खोलते हैं और बताते हैं कि किस तरह पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अन्याय हो रहा है। इस मंदिर की मूर्तियों को अब हिंदुओं ने एक छोटे से कमरे में रखा है।

जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था तब पाकिस्तान में 428 मंदिर थे, लेकिन धीरे-धीरे इन मंदिरों को ढहाया जाने लगा। कभी किसी बहाने से तो कभी किसी और बहाने से। पिछले साल ही पाकिस्तान के इस्लामाबाद 3-4 मंदिर ढहाए गए। इस साल भी अब तक दो मंदिर गिरा दिए गए हैं। इस तरह पिछले 70 सालों में पाकिस्तान 409 प्राचीन मंदिरों का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म कर चुका है। कुछ मंदिरों को तोड़ दिया गया है जबकि कुछ मंदिरों की जगहों पर होटल, मदरसे, सरकारी स्कूल, मिठाई की दुकान और रेस्टोरेंट खोल दिए गए हैं।

पाकिस्तान खुद लोकतांत्रिक देश बताता है। यहां पर हिंदू सबसे अल्पसंख्यक हैं। एक डाटा के मुताबिक पाकिस्तान में आज भी हिंदुओं की संख्या 22 लाख 10 हजार है, लेकिन इस बात से पाकिस्तान की सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। पाकिस्तान में अब सिर्फ 19 मंदिर बाकी रह गए हैं। जिस तरह तेजी से उन्हें गिराया जा रहा है इससे ये साफ है कि जल्द उन मंदिरों को भी गिरा दिया जाएगा। ये एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है। अल्पसंख्यकों को साथ कई और तरीके से भी अत्याचार किए जाते हैं। यहां तक की जनगणना भी हिंदुओं के सही आंकड़े पेश नहीं किए जाते। हिंदुओं की संख्या कम दिखाने के लिए पाकिस्तान ने अपनी जनगणना में अनुसूचित जाति को धर्म बनाकर पेश किया था ताकि हिंदुओं में बंटवारा हो जाए।

सबसे बड़ी बात ये है कि हिंदुओं के साथ पाकिस्तान में हो रहे इस अन्याय के खिलाफ वो कही फरियाद भी नहीं कर सकते। शुक्रवार को मंदिर तोड़ने के खिलाफ जब हिंदुओं से प्रशासन से बात की तो उन्होंने ये कह कर अपनी कन्नी काट ली कि मंदिर का संरचना काफी पुरानी हो गई थी बता दे कि पाकिस्तान के इस्लामाबाद 3-4 मंदिर ढहाए गए। इस साल भी अब तक दो मंदिर गिरा दिए गए हैं। इस तरह पिछले 70 सालों में पाकिस्तान 409 प्राचीन मंदिरों का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म कर चुका है। और उसे गिराना जरूरी था। तो क्या अगर कोई मंदिर पुराना हो जाएगा तो उसकी मरम्मत की जाएगी या फिर उसे ढहा दिया जाएगा। अगर पाकिस्तान में मस्जिद भी पुरानी हो जाएगी तो क्या उसे भी गिरा दिया जाएगा या फिर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करना ही इसका मकसद है।

लेकिन सवाल यहां पर यह उठता है कि बार-बार सिर्फ यह कह देना कि मंदिरों की हालत ठीक नहीं थी, या कुछ कमी थी और इन सभी बहानों के जरिए अगर आप हिंदू के मंदिर गिराए जाते हैं तो यह बात कहां तक सही है! क्योंकि पाकिस्तान में पिछले 70 सालों में 409 प्राचीन मंदिरों का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है और क्या यह बात सही है?