हाल ही की रिसर्च के मुताबिक यह पता चला है कि देश में दिन भर दे हार्ट अटैक स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं! कम उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ते हृदय रोगों के मामले स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं। करीब एक-दो दशक पहले तक हृदय रोगों को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्याओं के तौर पर जाना जाता था, हालांकि अब 40-50 साल या इससे कम आयु के लोग भी इसके तेजी से शिकार होते देखे जा रहे हैं। हाल ही में मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को भी वर्कआउट के दौरान हार्ट अटैक आया था, फिलहाल वह अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बढ़ते जोखिम को देखते हुए वयस्कों से लेकर बुजुर्गों तक सभी लोगों को हृदय की सेहत का विशेष ध्यान देते रहना जरूरी हो जाता है।
सामान्यतौर पर हृदय की सेहत को नुकसान पहुंचाने के लिए हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और सोडियम के अधिक सेवन को प्रमुख कारक के तौर पर देखा जाता है, पर क्या हृदय की समस्याओं के लिए सिर्फ इन्हे ही एक कारक माना जा सकता है।विशेषज्ञ कहते हैं, निश्चित तौर पर इन कारकों के चलते लोगों में समस्या बढ़ जाती है पर इसके अलावा कुछ और बिंदु हैं जिनको अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। हालिया अध्ययन में ऐसे ही एक कारक को लेकर विशेषज्ञों ने लोगों को अलर्ट किया है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल के अलावा जिस एक कारक को हाल के वर्षों में बढ़ती हृदय रोग की समस्याओं के लिए जिम्मेदार पाया गया है, आइसोलेन और लोनलीनेस की आदत उनमें से एक है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के अनुसार, सामाजिक अलगाव और अकेलापन, दिल के दौरे और स्ट्रोक दोनों के जोखिम को 30 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। यदि आपकी भी अकेले रहने का आदत है या फिर आप अकेलापन महसूस कर रहे हैं तो इसे ठीक करने के लिए प्रयास बहुत आवश्यक हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 18 से 22 वर्ष की आयु के बीच अकेलेपन की समस्या सबसे अधिक देखी जा रही है। लोगों का सामाजिक गतिविधियों में कम लगाव जबकि सोशल मीडिया से बढ़ती नजदीकी इस अकेलेपन का कारण हो सकती है। हमें हमेशा इस बात पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता है कि सामाजिक गतिविधियों को सोशल मीडिया की दोस्ती से रिप्लेश नहीं किया जा सकता है।अध्ययन की लेखिका क्रिस्टल विली सेने कहती हैं, चार दशकों से अधिक के शोध ने स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है कि सामाजिक अलगाव और अकेलापन दोनों प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों से जुड़े हैं, विशेषकर हृदय रोग के मामले में।
विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो सामाजिक अलगाव और अकेलापन महसूस करना एक दूसरे से संबंधित हैं पर इन्हें एक ही मान लेना सही नहीं है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इन दोनों को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि ये स्ट्रोक या दिल के दौरे पड़ने के मजबूत जोखिम कारक हो सकते हैं। इस तरह की भावनाएं मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की सेहत को हानि पहुंचा सकती हैं, जिसपर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। हृदय रोगों के शिकार ज्यादातर लोगों में निदान के दौरान पाया जाता है कि उनमें अन्य कारकों के साथ अकेलेपन की दिक्कत रह चुकी है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि हृदय रोगों से बचाव के लिए जीवन शैली में सुधार के साथ इन दोनों विषयों पर भी ध्यान रखने की आवश्यकता है क्योंकि इनका प्रभाव साइलेंट किलर की तरह हो सकता है।विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो सामाजिक अलगाव और अकेलापन महसूस करना एक दूसरे से संबंधित हैं पर इन्हें एक ही मान लेना सही नहीं है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इन दोनों को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि ये स्ट्रोक या दिल के दौरे पड़ने के मजबूत जोखिम कारक हो सकते हैं। इस तरह की भावनाएं मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की सेहत को हानि पहुंचा सकती हैं, जिसपर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। हृदय रोगों के शिकार ज्यादातर लोगों में निदान के दौरान पाया जाता है कि उनमें अन्य कारकों के साथ अकेलेपन की दिक्कत रह चुकी है। चूंकि हाल के वर्षों में हृदय रोगों का जोखिम कम आयु वाले लोगों में भी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, ऐसे में सभी लोगों को स्वस्थ-पौष्टिक खाद्य पदार्थों के सेवन, नियमित व्यायाम, धूम्रपान या शराब से दूरी बनाने और लोगों से मिलते-जुलते रहने की आदत बनानी चाहिए। ये आपमें गंभीर हृदय रोगों के खतरे को काफी हद तक कम करने में मददगार हो सकते हैं।