उद्धव ठाकरे पर बीजेपी ने एक बार फिर तंज कस दिया है! शिंदे गुट के साथ प्रतिष्ठा की जंग हारने के एक दिन बाद उद्धव ठाकरे अपने समर्थकों के सामने आक्रामक और दमदार नजर आए। उन्होंने शनिवार को मातोश्री के बाहर कार की सनरूफ से खड़े होकर समर्थकों को संबोधित किया। अगले चुनाव का बिगुल फूंकते हुए उद्धव ने पूछा, ‘क्या आप डर गए हो? मेरे पास अब आपको कुछ देने के लिए नहीं है।’ उद्धव के इस अंदाज को देखकर लोग उनकी तुलना पिता व शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे से करने लगे। 1968 में गेटवे ऑफ इंडिया पर रैली के दौरान बाल ठाकरे ने कार की बोनट पर खड़े होकर भाषण दिया था जिसे लोग आज भी भूले नहीं हैं। उधर बीजेपी ने उद्धव पर तंज कसते हुए कहा कि कार पर खड़े हो जाने से कोई बालासाहेब नहीं बन जाता। शनिवार को ठाकरे गुट के कई नेता और समर्थक एकजुटता दिखाने के लिए मातोश्री के बाहर जुटे लेकिन भीड़ के दबाव के कारण सुरक्षाकर्मियों को मुख्य द्वार बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उद्धव को जब इस बारे में बताया गया तो वह खुद ही बाहर आ गए। इसके बाद उन्होंने बीच सड़क पर माइक्रोफोन और स्पीकर के साथ अपनी कार के सनरूफ पर खड़े होकर 10 मिनट का भाषण दिया।
शिवसेना(यूबीटी) प्रमुख उद्धव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें चुनावों के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘क्या आप डर गए हैं? आपको देने के लिए मेरे पास अभी कुछ नहीं है।’ इस पर, उनके समर्थकों ने जोरदार आवाज में कहा कि वे डरे नहीं हैं और उनसे अगले कदम के लिए निर्देश देने का आग्रह किया। उद्धव ने कहा, ‘हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जबतक कि चुनावों में चोर को सबक नहीं सिखा देते हैं। फौरन चुनावों की तैयारी शुरू करें।’ उद्धव ने कहा, ‘चोर ने मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर फेंका है। लेकिन उन्हें मधुमक्खी के डंक का अनुभव नहीं है।’ उद्धव ने अब जनता पर फैसला करने को छोड़ दिया है। उन्होंने कहा, ‘लोग फैसला करेंगे कि शिवसेना किसकी है।’
इसी के साथ सोशल मीडिया पर उद्धव की तस्वीर के साथ बाल ठाकरे की ब्लैक ऐंड वाइट फोटो वायरल होने लगी। शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे ने अक्टूबर 1968 में मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर अपनी फीएट कार के बोनट पर चढ़कर भाषण दिया था। 1968 में पुलिस ने शिवसैनिकों को एक रैली के लिए स्टेज बनाने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद बाल ठाकरे ने तय किया कि वह अपनी कार के बोनट से समर्थकों को संबोधित करेंगे। तब बालासाहेब ने अपने संबोधन में मुंबई के मराठी भाषी लोगों से ‘मराठी मानुष’ (माटी के पुत्र) के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए पार्टी का समर्थन करने की अपील की थी।
पिछले साल शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को लेकर विवाद के दौरान भी मुंबई की पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर ने बाल ठाकरे की यह तस्वीर शेयर की थी। तब बीएमसी की तरफ से परमिशन न मिलने से नाराज ठाकरे गुट ने चेतावनी दी थी कि जिस तरह 60 के दशक में बालासाहेब ने फीएट पर खड़े होकर रैली को संबोधित किया था, उसी तरह उद्धव और आदित्य भी शिवाजी पार्क में घुस कर गाड़ी पर खड़े होकर रैली को संबोधित करेंगे।
उधर बाल ठाकरे से तुलना पर बीजेपी ने उद्धव ठाकरे पर जमकर कटाक्ष किया। 1968 में पुलिस ने शिवसैनिकों को एक रैली के लिए स्टेज बनाने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद बाल ठाकरे ने तय किया कि वह अपनी कार के बोनट से समर्थकों को संबोधित करेंगे। तब बालासाहेब ने अपने संबोधन में मुंबई के मराठी भाषी लोगों से ‘मराठी मानुष’ (माटी के पुत्र) के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए पार्टी का समर्थन करने की अपील की थी।बीजेपी प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने तंज कसते हुए कहा कि कार पर चढ़कर कोई बालासाहेब ठाकरे की कॉपी कर ले तो वह बाल ठाकरे नहीं बन जाता।
बीजेपी प्रवक्ता ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘गाड़ी पर खड़े होकर कॉपी करने से कुछ नहीं होगा।1968 में पुलिस ने शिवसैनिकों को एक रैली के लिए स्टेज बनाने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद बाल ठाकरे ने तय किया कि वह अपनी कार के बोनट से समर्थकों को संबोधित करेंगे। तब बालासाहेब ने अपने संबोधन में मुंबई के मराठी भाषी लोगों से ‘मराठी मानुष’ (माटी के पुत्र) के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए पार्टी का समर्थन करने की अपील की थी। बालासाहेब ठाकरे ने दिन रात मेहनत की. कार्यकर्ताओं का ख्याल रखा। संगठन खड़ा किया। शिवसैनिकों को सत्ता तक पहुंचाया लेकिन कॉपी बहादुर कभी घर से बाहर निकले नहीं, कार्यकर्ताओं से मिले नहीं। धोखा देकर सत्ता हथियाई। अच्छी-खासी पार्टी गंवाई।’