नेहरू ने अकबर को महान क्यों कहा था

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अक्सर इतिहास पढ़ते हुए एक सवाल आँखो के सामने तैरने लगता है कि क्या अकबर महान था. अगल-अलग तर्क यह बताते हैं कि वह महान नही था, क्योंकि वह मुगल था, आंक्रता का नाती था वगैरह-वगैरह. लेकिन आखिर अकबर को महान बनाने के पीछे तर्क क्या दिये जाते हैं यह समझने की जरूरत हैं. इतिहासकार बताते हैं कि अकबर एक अंदर समन्वय और समता के अद्भुत गुण थे. उसने गंगा-जमुनी तहजीब और सेकुलर विचारों को व्यवहार में लाया. इस बात को परखने के लिए मैंने एक पुस्तक पढ़ी नाम है, ‘ कौन है भारत माता’. लेखक हैं पुरूषोत्तम अग्रवाल. अग्रवाल साहब दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने अपनी पुस्तक में नेहरू के माध्यम से अकबर का एक चित्र हम लोगों के सामने रखा है. जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुत्री इन्दिरा को कुछ पत्र लिखे थे जिनका उल्लेख इस लेख में होगा.

नेहरू ने क्या लिखा है अकबर के बारे में

जवाहरलाल नेहरू इंदिरा को अपने पत्र में लिखते हैं कि, अकबर अगल-अलग मज़हबों के लोगों के बहसें सुनता रहता था और बहुत से सवाल पूछता, शायद उसे मामूल हो गया था कि सत्य का ठेका किसी ख़ास मजहब ने नही ले रखा है और उसने यह ऐलान कर दिया कि वह संसार के सारे मज़हबों में आपसी उदारता के सिद्धान्त को मानता है.

अकबर, बाबर की तीसरी पीढ़ी में थे. लेकिन मुगल लोग अभी इस देश में नए थे. वह विदेशी समझे जाते थे और उनका कब्जा फौजी ताकतों के दम पर था. अकबर के राज ने मुगल राजवंश की जड़ जमा दी. इसी के राज में ‘महान मुगल का खिताब काम में लाया जाना लगा. वह बहुत निरंकुश था और उसके हाथ में बेलगाम सत्ता थी. अकबर एक तरह से भारतीय राष्ट्रीयता का जन्मदाता था. ऐसे समय में, जबकि देश के राष्ट्रीयता का कुछ भी निशान न था, और मजहब लोगों को एक-दूसरे से अलग कर रहा था, अकबर ने समझ-बूझकर, समान भारतीय राष्ट्रीयता के आदर्श को, फूट डालने वाले मज़हबी दावों के ऊपर रख दिया.

अकबर के बारे में बदायूँनी लिखता है कि, “जहाँपनाह हरेक की राय इकट्ठी करते हैं, ख़ासकर ऐसे लोगों की जो मुसलमान नही थें, और उनमें जो बात पसंद आती, उसे रख लेते और जो उनके मिज़ाज के ख़िलाफ़ होतीं उनको फेंक देते थे.”

अकबर को ईसाई बनाने आए जेजुइट लोग लिखते हैं कि, “अकबर में हम उस नास्तिक की-सी आम ग़लती देखते हैं जो दलील को ईमान का दास बनाने से इन्कार करता है और जिस बात की गहराई को उसका कमज़ोर दिमाग़ न पा सके उसे वह सच नही मानता था. जो लोग बादशाह की जात पर हमला करते हैं उन पर भी अकबर की रहम दिली और नम्रता की रोशनी पड़ती रहती है.

अकबर मुगल था इसलिए कट्टर हिन्दू उसके खिलाफ हैं और वह आपसी भाईचारे की बात करता हैं इसलिए कट्टर मुसलमान उसके खिलाफ हैं. पश्चिमी दुनिया से पहले अकबर ने सेकुलर विचारों को अपनाया और आने वाले नस्लों को एक दिशा दे गया.

अकबर पर था बीरबल का प्रभाव

बदायूंनी ने अपने किताब में बादशाह अकबर के बारें में लिखा है कि, बीरबल के प्रभाव में आकर अकबर जल, पत्थर, पेड़ और सभी प्राकृतिक तत्वों की पूजा करने लगे थे. यहां तक कि वह गाय के सामने झुककर नमन करता थे और गाय के गोबर को भी खास दर्जा देते थे.’
बदायूंनी ने आगे यह भी लिखा है कि, ‘बीरबल ने अकबर को सूर्य की पूजा करने के लिए प्रोत्साहित किया. बीरबल ने अकबर को तर्क दिया कि सूर्य सभी को प्रकाश देता है और सभी फलों, फूलों और पृथ्वी के उत्पादों को पकाने में मदद करता है. सूर्य मानव को जीवित रखने में मदद करता है इसलिए उसकी पूजा की जानी चाहिए.’
‘अकबर ने बीफ के सेवन पर प्रतिबंध लगाया था. बदायूंनी ने अपनी किताब में लिखा है, ‘बीफ के सेवन पर कड़ा प्रतिबंध इसलिए लगाया गया था क्योंकि बीफ का सेवन पाचन के लिहाज से ठीक नहीं माना गया था.’

अकबर के कुछ कोट्स

1. दुनिया एक पुल है : लेकिन उस पार, कोई भी घर नहीं बना है.

2. सीखना एक पौधशालय है जिसमे हमारा पूरा विकास होता है.

3. हुक्म की तामील हो.

4. आम आदमी के लिए एक पत्नी का होना सबसे अच्छा होता है.

5. हर धर्म का सम्मान व बर्दाश्त करने की इच्छा.. कल के भारत को महान बनायेग

6. जीतने और राज करने में बड़ा अंतर होता है.

7. भगवान के अधिकांश भक्त अपने भाग्य की उन्नति में आमादा है, न की भगवान की पूजा करने में. कारण यह है कि देवत्व के लिए दावा प्रथागत हो रहा है.

8. एक राजा को हमेशा विजय पर आमादा होना चाहिए, वरना कही ऐसा न हो कि उसके पड़ोसी उसके खिलाफ युद्ध न छेड़ दे.

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Ravindra Kirti Founder Mojo Patrakar
Ravindra Kirti is a well-rounded Marketing professional with an impressive academic and professional portfolio. He is IIM Calcutta alumnus & holds a PhD in Commerce, having written an insightful thesis on consumer behavior and psychology, which informs his deep understanding of market dynamics and client engagement strategies. His academic journey includes an MBA in Marketing, where he specialized in strategic management, international marketing, and luxury retail management, equipping him with a global perspective and a strategic edge in high-end market segments.In addition to his business expertise, Ravindra is also academically trained in law, holding a Master’s in Law with specializations in law of patents, IT & IPR, police law and administration, white-collar crime, and corporate crime. This legal knowledge complements his role as the Chief at Jurislaw Partners, where he applies a blend of legal acumen and strategic marketing.With such a rich educational background, Ravindra excels across a range of fields, from legal marketing to luxury retail, and event design. His ability to interlace disciplines—commerce, marketing, and law—enables him to drive successful outcomes in every venture he undertakes, whether as Chief at Jurislaw Partners, Editor at Mojo Patrakar and Global Growth Forum, Founder of CircusINC, or Chief Designer at Byaah by CircusINC.On a personal note, Ravindra Kirti is not only a devoted pawrent to his pet, Kattappa, but also an enthusiast of Mixed Martial Arts (MMA) and holds a Taekwondo Dan 1. This active lifestyle complements his multifaceted career, reflecting his discipline, resilience, and commitment—qualities he brings into his professional relationships. His bond with Kattappa adds a warm, grounded side to his profile, showcasing his nurturing and compassionate nature, which shines through in his connections with clients and colleagues.Ravindra’s career exemplifies versatility, intellectual depth, and excellence. Whether through his contributions to media, law, events, or design, he remains a dynamic and influential presence, continually innovating and leaving a lasting impact across industries. His ability to balance these diverse roles is a testament to his strategic vision and dedication to making a difference in every field he enters.