हाल ही में आनंद महिंद्रा और राजीव मल्होत्रा के बीच अनबन देखी गई है! चीजों को देखने का अपना-अपना नजरिया होता है। किसी घटना को आप सिर्फ वर्तमान या भविष्य के लिहाज से ही नहीं देखते हैं बल्कि उसे इतिहास के आईने में परखकर किसी नतीजे पर पहुंचते हैं। कई बार कई बातें भविष्य के आकाश में सतरंगी छटा बिखेरने वाली लगेंगी, लेकिन जैसे ही उन्हें इतिहास की चलनी में चालेंगे तो उनसे इंद्रधनुषी रंग धुंधले होते दिखेंगे और घुप्प अंधेरे की आशंका सताने लगेगी। लेकिन, सही आकलन तो उसे ही कहेंगे जो हर पहलू से परखने के बाद हाथ लगे। आभासी दुनिया वर्चुअल वर्ल्ड को मजबूत आधार देने वाली कंपनी गूगल हैदराबाद में अपना विशालकाय दफ्तर खोलने जा रहा है। तैयार होने पर अमेरिका में अपने मुख्यालय के बाद गूगल का यह सबसे बड़ा ऑफिस होगा। इस खबर पर भारत के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने खुशी जताई। चीन की आकांक्षा में सिर्फ इतना अंतर है कि वह अमेरिकी कंपनियों को अपने चंगुल में फंसाकर निगलने और उसके बाद खुद के बनाए उत्पादों से अमेरिका को मात देने की चाहत रखता है। भारत सॉफ्टवेयर या अन्य चीजों में यही करने में असफल रहा और सिर्फ मजदूर मुहैया कराने तक सीमित रह गया। इस प्रक्रिया में भारत का संभ्रांत वर्ग बिचौलिए की भूमिका निभाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और अपने पॉकेट भर रहे हैं।तभी रिसर्चर-ऑथर राजीव मल्होत्रा ने उनकी क्लास ले ली। आइए पहले जानते हैं कि आनंद महिंद्रा ने क्या कहा था। दरअसल, आनंद महिंद्रा देश के उन उद्योगपतियों में शामिल हैं जो सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर बहुत ऐक्टिव रहते हैं। उन्होंने एक एक्स पोस्ट में हैदरबाद में गूगल ऑफिस का निर्माण शुरू होने की खबर पर खुशी का इजहार किया। हालांकि, राजीव मल्होत्रा का नजरिया कुछ अलग है। वो आनंद महिंद्रा को इतिहास का आईना दिखाकर थोड़ी आशंका व्यक्त करते हैं। मल्होत्रा एक्स पर ही महिंद्रा को जवाब देते हैं, ‘ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्रियां भारत में ही लगाई थीं। मूर्ख भारतीय संभ्रांत वर्ग/राजाओं को तब भी गर्व महसूस हो रहा था।महिंद्रा ने लिखा, ‘यह खबर सिर्फ एक नई भवन परियोजना की नहीं है। मैं इसे बहुत धीरे-धीरे पढ़ रहा हूं ताकि इसका मतलब मेरे मन में गहरे उतर सके। जब गूगल जैसी वैश्विक, प्रतिष्ठित विशालकाय कंपनी अमेरिका के बाहर अपना सबसे बड़ा दफ्तर किसी खास देश में खोलने का फैसला करती है तो यह सिर्फ कमर्शियल न्यूज नहीं है, इसमें जियोपॉलिटिक्स का बड़ा संदेश छिपा है। आखिरकार, यह सब यहां हो रहा है।’
ऊपर का बयान पढ़कर ही समझ में आ जाता है कि हैदराबाद में गूगल का इतना बड़ा ऑफिस खुलने से आनंद महिंद्रा किस कदर खुश हैं क्योंकि वो इसे सिर्फ वाणिज्य-व्यवसाय नहीं बल्कि जियोपॉलिटिक्स में भारत की बढ़ती ताकत के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, राजीव मल्होत्रा का नजरिया कुछ अलग है। वो आनंद महिंद्रा को इतिहास का आईना दिखाकर थोड़ी आशंका व्यक्त करते हैं। मल्होत्रा एक्स पर ही महिंद्रा को जवाब देते हैं, ‘ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्रियां भारत में ही लगाई थीं। मूर्ख भारतीय संभ्रांत वर्ग/राजाओं को तब भी गर्व महसूस हो रहा था। चीन की आकांक्षा में सिर्फ इतना अंतर है कि वह अमेरिकी कंपनियों को अपने चंगुल में फंसाकर निगलने और उसके बाद खुद के बनाए उत्पादों से अमेरिका को मात देने की चाहत रखता है। भारत सॉफ्टवेयर या अन्य चीजों में यही करने में असफल रहा और सिर्फ मजदूर मुहैया कराने तक सीमित रह गया। इस प्रक्रिया में भारत का संभ्रांत वर्ग बिचौलिए की भूमिका निभाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और अपने पॉकेट भर रहे हैं। ऋषियों की भूमि के लिए यह शर्मनाक है।’ मजे की बात है कि मल्होत्रा ने अपने इस पोस्ट में आनंद महिंद्रा को टैग भी किया है।
राजीव मल्होत्रा इन्फिनिटी फाउंडेशन के संस्थापक, रिसर्चर, ऑथर और स्पीकर हैं। वो औपनिवेशिक मानसिकता पर कड़ा प्रहार करते हुए भारत और भारतीयता की जड़ें मजबूत करने का अभियान चलाते हैं। आभासी दुनिया वर्चुअल वर्ल्ड को मजबूत आधार देने वाली कंपनी गूगल हैदराबाद में अपना विशालकाय दफ्तर खोलने जा रहा है। तैयार होने पर अमेरिका में अपने मुख्यालय के बाद गूगल का यह सबसे बड़ा ऑफिस होगा। इस खबर पर भारत के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने खुशी जताई। तभी रिसर्चर-ऑथर राजीव मल्होत्रा ने उनकी क्लास ले ली।ब्रेकिंग इंडिया, स्नेक्स इन द गंगा, बइिंग डिफरेंट, बैटल फॉर संस्कृत, एकेडमिक हिंदूफोबिया जैसी दर्जनों पुस्तकें लिखी हैं। इन पुस्तकों के हिंदी संस्करण भी प्रकाशित हुए हैं।