तमिलनाडु में भी सियासी उबाल देखने को मिल रहा है! स्थानीय निकायों को लोकतंत्र की जीवन रेखा बताते हुए स्टालिन ने कहा कि सामाजिक न्याय के प्रतीक पेरियार ईवी रामासामी और राजाजी ने क्रमशः इरोड और सलेम में स्थानीय निकायों के प्रमुख के रूप में अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया।तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और और द्रमुक प्रमुख एम.के. स्टालिन ने रविवार को शहरी क्षेत्र के प्रतिनिधियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अगर स्थानीय निकाय में अनुशासनहीनता और अनियमितता सिर उठाती है तो मैं तानाशाह बन जाऊंगा और कार्रवाई करूंगा। स्थानीय निकायों को लोकतंत्र की जीवन रेखा बताते हुए स्टालिन ने कहा कि सामाजिक न्याय के प्रतीक पेरियार ईवी रामासामी और राजाजी ने क्रमशः इरोड और सलेम में स्थानीय निकायों के प्रमुख के रूप में अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया।
कई नवनिर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की सलाह दी और अपने पति या पत्नी को उन्हें दी गई जिम्मेदारी को आत्मसमर्पण न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को कानून, निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और लोगों की सेवा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “मैं चेतावनी देता हूं कि इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी। कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” स्टालिन ने कहा कि उनके कई करीबी दोस्त उन्हें बता रहे हैं कि वह ‘अत्यधिक’ लोकतांत्रिक हो गए हैं। उन्होंने कहा, “अगर अनुशासनहीनता और अनियमितता उनके सिर पर चढ़ जाती है, तो मैं तानाशाह बन जाऊंगा और कार्रवाई करूंगा।”
द्रमुक के शीर्ष नेता ने कहा कि पार्टी ने इतनी आसानी से सत्ता पर कब्जा नहीं किया और यह पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के निस्वार्थ कार्य का परिणाम है और इसी तरह वह पिछले 5 दशकों से लोगों के लिए अपनी कड़ी मेहनत के बाद मुख्यमंत्री बने।
1975-77 के दौरान कुख्यात आपातकाल के दौरान अपनी कैद और 1989 में ही विधायक बनने को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को लोगों के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और जिम्मेदारियों के आने का इंतजार करना चाहिए।उन्होंने कहा कि लोगों की सद्भावना अर्जित करना कठिन है और कहा कि वह पिछले 50 वर्षों से लोगों के बीच काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि लोगों की जरूरतों को समझकर काम करेंगे तो जनता उनके पीछे-पीछे आएगी। उसी समय, यदि आप गलतियां करते हैं, तो वे आपसे दूर हो जाएंगे। यह मत भूलो कि वे आपका बहिष्कार करेंगे।”
डीएमके प्रमुख ने कहा कि सम्मेलन का मूल उद्देश्य यह संदेश देना है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ कोई आरोप नहीं होना चाहिए, चाहे वह महापौर हो या पार्षद!समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, नमक्कल में रविवार को आयोजित इस समारोह में ए. राजा ने कहा, “पेरियार जब तक जिंदा रहे, अलग तमिलनाडु की मांग करते रहे. हमारे मुख्यमंत्री (स्टालिन) अन्ना (अन्नादुरई) के रास्ते पर चल रहे हैं. हमें पेरियार का रास्ता अख्तियार करने पर मजबूर न करें. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से विनम्रता से अनुरोध करते हैं कि हमारे राज्य को स्व-शासन का अधिकार दे दिया जाए
ए. राजा ने आगे कहा कि हम तमिलनाडु की सत्ता में हैं और ये बात सत्ता के अभिमान में आकर नहीं कह रहे हैं. डीएमके ने अलग तमिलनाडु राज्य की मांग छोड़ दी है, लेकिन अब हम राज्य की स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. गौर करने की बात है कि डीएमके सांसद ने जिस वक्त पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए ये बात कही, वहां पर सीएम स्टालिन भी मौजूद थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने इस मसले पर कुछ नहीं कहा और चुप्पी साधे रखी!
TOI के मुताबिक, डीएमके सांसद राजा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के पास ज्यादा अधिकार हैं, जबकि राज्य सरकारों को कई मामलों में केंद्र के भरोसे रहना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जीएसटी में तमिलनाडु 6.5 फीसदी का योगदान देता है, जबकि उसे सिर्फ 2.2 प्रतिशत ही वापस मिलता है. छोटे-छोटे मामलों में भी राज्य सरकारों को केंद्र का मुंह ताकना पड़ता है!
वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के स्टालिन ने शनिवार को कहा कि वह परामर्श और आम सहमति के जरिए सरकार चला रहे हैं, जिसका उद्देश्य एकतरफा फैसले करना नहीं, बल्कि लोगों की स्थिति में सुधार करना है। मुख्यमंत्री ने लोगों को किसी भी हाल में निराश नहीं होने देने का आश्वासन देते हुए उनके दिलों में बसने की इच्छा व्यक्त की।
स्टालिन ने लगभग 80,750 लोगों को 500 करोड़ रुपये की कल्याण सहायता वितरित करने और 28.60 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरी हुई 95 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने 99 नयी परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।