कांग्रेस ने हाल ही में कर्नाटक का नया मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बना दिया है! कर्नाटक में सीएम कौन होगा, अभी कांग्रेस की ओर से औपचारिक ऐलान भी हो गया है। हालांकि सूत्रों के हवाले से छनकर आ रही जानकारी में साफ हो गया है कि सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। सीएम की कुर्सी के लिए दावेदारी ठोक रहे डीके शिवकुमार उनके डेप्युटी बनने के लिए राजी हो गए हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बुधवार की देर रात सीएम पद को लेकर राजनीतिक गतिरोध खत्म करने में सफल हुए। ‘पहले मैं, पहले मैं’ की स्थिति बनी हुई थी। पावर शेयरिंग फॉर्म्युले पर दोनों दावेदार राजी नहीं हो रहे थे। अब खरगे के हस्तक्षेप पर सरकार बनाने को लेकर आम सहमति बनी है। 20 मई को बेंगलुरु में शपथ ग्रहण समारोह होगा। कांग्रेस विधायक दल की बैठक आज शाम 7 बजे बेंगलुरु में बुलाई गई है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों को बेंगलुरु पहुंचने को कहा गया है। इस तरह से देखें तो कल शाम तक जो तनातनी और अनिश्चितता दिखाई दे रही थी, रात में दिल्ली का मौसम ठंडा होने के साथ ही कांग्रेस के भीतर का सियासी तापमान भी घट गया। बड़ा सवाल यह है कि पावर शेयरिंग यानी 2-3 साल के फॉर्म्युले से इनकार कर चुके शिवकुमार आखिर डेप्युटी बनने के लिए कैसे राजी हो गए? कर्नाटक का सियासी नाटक लोग पिछले कई दिनों से देख रहे हैं। दो दिनों तक खरगे, राहुल गांधी, शिवकुमार और सिद्धारमैया की मुलाकातें होती रहीं। तस्वीरों में नेताओं की मुस्कुराहट के आधार पर नतीजे पढ़े जाते रहे। डीके और सिद्धा, दोनों ही अपने-अपने दावे पर अड़े थे। डीके के बारे में कहा जा रहा था कि उन्होंने दो टूक कह दिया है कि वह मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर पार्टी में सामान्य विधायक की तरह काम करेंगे। पहले उन्होंने डेप्युटी सीएम का ऑफर भी ठुकरा दिया था। इसके बाद खबर आई कि पार्टी की ओर से शिवकुमार को डेप्युटी सीएम के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी और तीन-चार महत्वपूर्ण मंत्रालयों की पेशकश की गई। इस दौरान सिद्धारमैया भी कांग्रेस लीडरशिप से मिलकर अपनी बात रख रहे थे। चर्चा चली कि कि बारी-बारी से सीएम बनने को लेकर शिवकुमार ने कहा कि उन्हें पहले ढाई साल सीएम बनाया जाए, बाद में सिद्धारमैया को मौका दे दिया जाए।
दरअसल, सिद्धारमैया की उम्र 75 साल है और आखिर में उन्होंने यही दलील हाईकमान के सामने रखी। सिद्धा ने पहले अपने लिए सीएम पोस्ट मांगा। समझा जा रहा है कि अपने लिए आगे ‘खुला मैदान’ देखते हुए डीके ने डेप्युटी सीएम पोस्ट के लिए हामी भरी है। 2013 में पहली बार सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। यह उनका दूसरा कार्यकाल होगा। उनके बाद कर्नाटक के सबसे बड़े नेता के तौर पर डीके ही आगे होंगे। उन्हें पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाए रह सकती है और छह महत्वपूर्ण मंत्रालयों की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है। कांग्रेस को इस बात का डर लगातार बना हुआ था कि डीके के असंतुष्ट होने से ‘पायलट या सिंधिया पार्ट-2’ देखने को मिल सकता है। ऐसे में चार दिनों तक मंथन चलता रहा। डीके को पूरी तरह मनाने की कोशिशें की जाती रहीं जिससे वह बगावत न करें। उन्होंने खुलेआम कहा कि वह पीठ में छुरा नहीं घोपेंगे। सूत्रों के हवाले से टीवी रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि पावर शेयरिंग में ढाई-ढाई साल के फॉर्म्युले पर सहमति बनी है और पहले सिद्धा ही सीएम रहेंगे।
वैसे तो सिद्धा और शिव दोनों कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं। कांग्रेस अहिंदा फॉर्म्युले यानी अल्पसंख्यक, ओबीसी और दलित पर आगे बढ़ते हुए सिद्धा को मौका देना चाहती है। 2024 का चुनाव भी कुछ महीनों में होना है। कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 20 पर अहिंदा फैक्टर काम कर सकता है। उधर, शिवकुमार ने पिछले चार साल में कांग्रेस के वोटबैंक को मजबूत करने का काम किया। उनके ऊपर कई मामले चल रहे हैं। फिलहाल के लिए सिद्धा को सीएम बनाने की एक वजह शिवकुमार पर चल रहे केस भी हैं जिसमें आगे उन पर शिकंजा कस सकता है। ऐसे में यूं मानिए कि सिद्धा की बढ़ती उम्र और अपने केसों के चलते शिवकुमार फिलहाल डेप्युटी बनने के लिए राजी हुए!
बुधवार दोपहर बाद सिद्धारमैया की दावेदारी के पक्के होने के संकेत मिलने लगे थे, जब कर्नाटक में उनके घर के बाहर समर्थक मिठाई बांटते दिखे। प्रदेश के कई सीनियर नेताओं के बयान भी आने लगे। हालांकि दिल्ली से कहा जाता रहा कि अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अगले 72 घंटों में कर्नाटक में एक नया मंत्रिमंडल होगा।