Monday, January 13, 2025
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ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में क्यों पेश की दलील!

ट्विटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट में दलील पेश की है! याचिका में ट्विटर ने कहा कि अपने आदेश में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को लोगों द्वारा कुछ चुनिंदा जानकारियों तक पहुंच अवरुद्ध करने को कहा है। इसमें कई अकाउंट को निलंबित करना भी शामिल है।सोशल मीडिया मंच ट्विटर ने अपने प्लेटफार्म से 1474 अकाउंट और 175 ट्वीट को हटाने के केंद्र सरकार के आदेश को मनमाना करार दिया है और कहा है कि यह आदेश आईटी कानून की धारा 69ए के अनुरूप नहीं हैं। ट्विटर ने यह दलील कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के आदेश को चुनौती देते हुए दी।

याचिका में ट्विटर ने कहा कि अपने आदेश में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को लोगों द्वारा कुछ चुनिंदा जानकारियों तक पहुंच अवरुद्ध करने को कहा है। इसमें कई अकाउंट को निलंबित करना भी शामिल है। कंपनी ने कहा कि मंत्रालय ने हाल ही में 1474 अकाउंट और 175 ट्वीट को हटाने का निर्देश दिया है, अपनी याचिका में कंपनी ने कहा कि कई यूआरएल ऐसे हैं जिनमें राजनीतिक और पत्रकारिता संबंधी सामग्री है। इस तरह की सामग्री को हटाना मंच पर दी गई अभिव्यक्ति की आजादी का सरासर उल्लंघन है। कंपनी ने यह भी दावा किया कि कई मामलों में मंत्रालय ने प्रतिबंधित करने से जुड़े आदेश में उचित कारण भी नहीं बताए हैं जो धारा 69ए के तहत जरूरी है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय ने 27 जून को जारी खत में निर्देश दिया है कि यदि याचिकाकर्ता उसके निर्देशों का पालन करने में नाकाम रहता है तो उसे आईटी कानून की धारा 79(1) के तहत मिली संरक्षा को वापस ले ली जाएगी और गंभीर परिणाम भुगतने के साथ ही आपराधिक कार्यवाही का भी सामना करना होगा। ट्विटर ने कहा कि उसने सरकार के आदेशों को पालन किया है लेकिन 11 अकाउंट के संदर्भ में उसने आपत्ति जताई। इसके जवाब में सरकार ने 10 ट्विटर अकाउंट को प्रतिबंधित करने के अपने आदेश को वापस ले लिया।

याचिका में 34 मामलों का उल्लेख किया गया है जिन्हें सरकार पूरी तरह से प्रतिबंधित करना चाहती है जबकि ट्विटर का कहना है कि वह बिना उचित कारण दिए वह ऐसा करने में असमर्थ है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी उन सभी अकाउंट और ट्वीट की जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के समक्ष पेश की है जिन्हें सरकार ने ब्लॉक करने का कहा है।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को पत्र लिखकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाले अकाउंट को प्रतिबंधित करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने आपत्तिजनक और भड़काऊ सामग्री की जांच करने और फिल्टर करने का एक तंत्र तैयार करने का भी आग्रह किया है।

 मिश्रा ने खत में लिखा कि ट्विटर प्रचार-प्रसार के सबसे अहम और विश्वसनीय स्रोत में से एक बन गया है। हालांकि कुछ लोग इस मंच का इस्तेमाल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए भी कर रहे हैं। वे ट्विटर का इसलिए उपयोग करते हैं ताकि उन्हें लोगों से तुरंत पहचान मिल सके। पिछले कुछ महीनों के दौरान यह देखा गया है कि इन लोगों ने ऐसे मंचों पर धार्मिक मामलों को इस तरह से पेश करना शुरू कर दिया है, जिससे न केवल विभिन्न धर्मों के बीच सद्भाव प्रभावित हुए बल्कि कानून व्यवस्था भी बिगड़े।

हालिया पोस्टों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ विशेष धार्मिक समूहों को निशाना बनाना शुरू किया है। इन सभी पर विचार करते हुए, मेरा आपसे आग्रह है कि साझा किए जाने से पहले किसी भी सामग्री की जांच खुद ट्विटर करें और आपत्तिजनक या भड़काऊ पाए जाने पर इसे प्रकाशित या साझा होने से तत्काल रोका जाए। बार-बार ऐसे प्रयास करने वाले लोगों के अकाउंट को भी प्रतिबंधित किया जाए। मध्य प्रदेश पुलिस के नोटिस पर ट्विटर ने हाल ही में लघु फिल्म ‘काली’ को लेकर फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई के ट्वीट को हटा दिया था। साथ ही भोपाल पुलिस ने बृहस्पतिवार को लीना के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया था।मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल को पत्र लिखकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाले अकाउंट को प्रतिबंधित करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने आपत्तिजनक और भड़काऊ सामग्री की जांच करने और फिल्टर करने का एक तंत्र तैयार करने का भी आग्रह किया है।

 मिश्रा ने खत में लिखा कि ट्विटर प्रचार-प्रसार के सबसे अहम और विश्वसनीय स्रोत में से एक बन गया है। हालांकि कुछ लोग इस मंच का इस्तेमाल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए भी कर रहे हैं। वे ट्विटर का इसलिए उपयोग करते हैं ताकि उन्हें लोगों से तुरंत पहचान मिल सके।

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