हाल के दिनों में कई कांग्रेसी नेता बदजुबानी करते हुए नजर आए! कांग्रेस गलतियों से शायद सीख नहीं रही है। चुनाव से पहले नेताओं की बदजुबानी का उसे पहले भी खामियाजा भुगतना पड़ा है। अब उसी लकीर पर वह फिर चल पड़ी है। इस बार पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री ने मर्यादा लांघी है। शनिवार को वह भूल गए कि नरेंद्र मोदी सिर्फ किसी पार्टी के नेता नहीं हैं। अलबत्ता, वह देश के प्रधानमंत्री भी हैं। मिस्त्री ने देश के पीएम के लिए सड़कछाप भाषा का इस्तेमाल किया। बोले कि गुजरात चुनाव में वह पीएम को उनकी ‘औकात’ दिखाएंगे। गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करने के बाद सीनियर लीडर ने यह बयान दिया। मिस्त्री का यह बयान कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। यह कांग्रेस को 2017 के ट्रैक पर ले गया है। तब पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को ‘नीच’ कहा था। उस वक्त भी गुजरात विधानसभा चुनाव थे। अय्यर के बयान को बीजेपी ने चुनावी मुद्दा बना दिया था। चुनावी नुकसान से बचने के लिए अय्यर को तब पार्टी ने निलंबित कर दिया था। हालांकि, कांग्रेस को चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। सवाल यह है कि कांग्रेस जब कई बार इस बदजुबानी का नुकसान उठा चुकी है तो बार-बार उसके नेता वही गलती क्यों दोहराते हैं। आइए, कांग्रेस के नेताओं की इस कमजोर कड़ी को समझने की कोशिश करते हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने घोषणापत्र जारी किया। इसमें कई तरह के वादे किए। मसलन, राज्य के लोगों को 3,000 रुपये बेरोजगारी भत्ता और पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के साथ 10 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज और बिजली बिल माफी की बात की। यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदल देंगे। यहां तक सबकुछ ठीक था। इसके बाद कांग्रेस पटरी से उतर गई। पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री बोले वह गुजरात चुनाव में पीएम को उनकी ‘औकात’ दिखाएंगे। मोदी कितनी कोशिश कर लें, सरदार पटेल नहीं बन सकते हैं। यह कहकर उन्होंने बैठे-बैठाए बीजेपी को हमलावर होने का मौका दे दिया। तुरंत बीजेपी ने प्रतिक्रिया की। उसने इसका मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस को आगाह किया। कहा कि गुजरात की जनता कांग्रेस को जरूर सबक सिखाएगी। यह वैसी ही गलती है जो 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मणिशंकर अय्यर ने की थी। उन्होंने पीएम मोदी के लिए ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल किया था। आखिर कांग्रेस नेताओं से बार-बार इस तरह की बदजुबानी क्यों हो जाती है।
जानकार कहते हैं कि कांग्रेस नेताओं को लगता है कि वह पीएम मोदी को अपशब्द कहकर आलाकमान को खुश कर सकते हैं। वे पीएम मोदी को सार्वजनिक मंचों से जितना ज्यादा भला-बुरा कहेंगे, पार्टी में प्रमोशन के चांस भी उतना ज्यादा बढ़ जाएंगे। पीएम मोदी को शायद इसी वजह से कांग्रेसी नेता खुलकर अपशब्द बोलते हैं। ‘हिटलर की मौत मरेगा’ (सुबोधकांत सहाय), ‘नालायक’ (अलका लांबा), ‘कुत्ते जैसी मौत होगी’ (शेख हुसैन), ‘चुनाव के दिन मोदी को गाड़ देंगे’ (अजय राय), ‘बंदर’ (रणदीप सुरजेवाला), ‘जेबकतरा’ (राहुल गांधी) ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं। राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, कमलनाथ, सुरजेवाला से लेकर कांग्रेस के छुटभैया नेता तक पीएम को गाली देते रहे हैं। यह और बात है कि इसका नतीजा उलटा आया है।
देश में एक बड़ा वर्ग पीएम मोदी को पसंद करता है। तो, एक ऐसा भी वर्ग है जो उन्हें बहुत नापसंद करता है। शायद कांग्रेसी नेताओं की कोशिश रहती है कि वे मोदी को टारगेट कर इस दूसरे वाले वर्ग को अपनी तरफ खड़ा कर सकते हैं। यह और बात है कि कांग्रेस को अब तक इस स्ट्रैटेजी का फायदा नहीं मिला है। उलटा यह उस पर भारी पड़ी है। हर गुजरते साल औेर दिन के साथ कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। जब कांग्रेस नेता पीएम मोदी पर व्यक्तिगत हमले करते हैं तो उन्हें लोगों की सहानुभूति मिलती है। इसका फायदा बीजेपी चुनाव दर चुनाव उठाती जा रही है। हालांकि, यह बात कांग्रेसी नेताओं को पल्ले नहीं पड़ रही है।
कुछ एक्सपर्ट्स इसे सत्ता से दूर रहने की कांग्रेस की छटपटाहट के साथ भी जोड़कर देखते हैं। 2014 के बाद से केंद्र की सत्ता से हटने के बाद कांग्रेस एक के बाद एक राज्यों में भी अपनी पकड़ खोती गई है। वहीं, बीजेपी का वर्चस्व लगातार देश में बढ़ता गया है। कुछ सालों के अंदर बीजेपी के इतना ताकतवर हो जाने में पीएम मोदी का अहम किरदार रहा है। कांग्रेस नेताओं की खीझ समय-समय पर बाहर आ जाती है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर उनका गुस्सा भी है।
कांग्रेसी नेताओं के बड़बोलेपन की वजह कमजोर शीर्ष नेतृत्व भी है। जिसका जो मन आ रहा है बोल रहा है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से ऐसे कोई निर्देश नहीं आते हैं जो अमर्यादित भाषा पर अंकुश लगाने की बात करते हों। न ही बड़बोले नेताओं पर कोई ऐक्शन ही होता है। नेता ‘फर्क नहीं पड़ता है’ वाले एटीट्यूड में आ गए हैं। जबकि सच यही है कि ऐसे बड़बोले नेता ही पार्टी के सबसे बड़े दुश्मन हैं। कभी दिग्विजय सिंह कुछ बोल देते हैं तो कभी अधीर रंजन और सुरजेवाला। फिर रफ्फू करने की नौबत आती है। इसने पार्टी का काफी नुकसान किया है।