Saturday, February 8, 2025
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बीजेपी क्यों करना चाहती है तेलंगाना पर फोकस?

दक्षिण भारत में बीजेपी अपना दबदबा जमाना चाहती है! 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी उत्तर भारत के साथ ही अब दक्षिण भारत पर अधिक फोकस कर रही है। दक्षिण भारतीय राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल में पैठ जमाने की कोशिश कर रही पार्टी की नजर तेलंगाना पर है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा पार्टी के मिशन साउथ की ही एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। तेलंगाना एक ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी को लगता है कि वह आसानी से सत्ता हासिल कर सकती है। फिलहाल बीजेपी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए राज्य पर फोकस कर रही है। तेलंगाना में कुल 17 संसदीय क्षेत्र हैं। बीजेपी की नजर इन 17 सीटों में से 10 सीटों पर है। अभी बीजेपी के पास राज्य की चार संसदीय सीटें हैं। भगवा पार्टी के थिंक-टैंक का मानना है कि पार्टी में जीत की उच्च संभावनाएं हैं और इन्हीं संभावनाओं को लेकर बीजेपी राज्य में आगे बढ़ रही है। दक्षिण भारत की बात है तो बीजेपी अभी भी कर्नाटक से आगे नहीं बढ़ पाई है। बीजेपी के पास आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल से कोई भी लोक सभा सांसद नहीं है। जबकि इन तीन राज्यों में 84 सीटें आती हैं। इसी तरह तेलंगाना में उसे पहली बार 2019 के चुनाव में 4 लोक सभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी को अब दक्षिणी राज्यों में विस्तार का सबसे पहला रास्ता तेलंगाना ही नजर आ रहा है।

विधानसभा क्षेत्रों के विपरीत, जहां भाजपा अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों की कई सीटों पर जीतने योग्य उम्मीदवारों की तलाश कर रही है, उसके पास लोकसभा क्षेत्रों के लिए दुर्जेय उम्मीदवार हैं। पूर्व सांसद और देश के सबसे अमीर राजनेताओं में से एक चेवेल्ला से कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी, पूर्व सांसद एपी जितेंद्र रेड्डी, महबूबनगर से पूर्व मंत्री डीके अरुणा, पेद्दापल्ली से पूर्व सांसद जी विवेक वेंकटस्वामी, मेडक या मलकाजगिरी से पूर्व सांसद विजयशांति। बीजेपी के ये ऐसे प्रत्याशी हैं जो 2024 में टीआरएस और कांग्रेस की जीत मुश्किल बनाने की क्षमता रखते हैं।

तेलंगाना में अभी बीजेपी के चार सांसद हैं। सिकंदराबाद का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, करीमनगर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय, निजामाबाद से डी अरविंद और आदिलाबाद का प्रतिनिधित्व सोयम बापू राव करते हैं। हालांकि कुछ मौजूदा सांसद 2023 के विधानसभा चुनावों में चुनावी मैदान में उतरने के इच्छुक हैं, लेकिन सूत्रों ने कहा कि भगवा पार्टी के थिंक-टैंक ने कम से कम 10 लोकसभा क्षेत्रों के लिए अच्छी योजना बनाई है। तेलंगाना बीजेपी के उपाध्यक्ष जी मनोहर रेड्डी ने कहा कि इसके अलावा, पार्टी के पास पहले से ही भुवनगिरी और नलगोंडा की सीटों पर चुनाव लड़ने वाले दुर्जेय उम्मीदवारों के नाम हैं। उनके नाम उचित समय पर सामने आएंगे।

बीजेपी का फोकस साउथ स्टेट्स में खासकर तेलंगाना पर है। क्योंकि कर्नाटक में बीजेपी की सत्ता है। आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी का कहीं न कहीं मोदी के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर हैं। वह मोदी विरोधी नहीं हैं। केरल में बीजेपी को प्रसार करने में अभी कुछ समय और लगेगा। तमिलनाडु में अभी बीजेपी के विस्तार में टाइम लगेगा क्योंकि यहां पर 39 लोकसभा सीटों में से 37 सीटें डीएमके गठबंधन के खाते में हैं। 1 सीट पर AIADMK+ है। ऐसे में बीजेपी को अभी तेलंगाना राज्य में अपना विस्तार नजर आ रहा है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े देखें तो विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर 12% बढ़ा था। बीजेपी को लगता है कि थोड़ी सी मेहनत करके वह आसानी से यहां 10 सीटों पर कब्जा कर सकती है।

बीजेपी ने तेलंगाना में मंडल स्तर तक कार्यालय बना लिए हैं। यहां कार्यक्रमों में 100 लोगों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा रही है। वॉल राइटिंग के जरिए हर गांव तक कमल पहुंचाने की मुहिम लगातार चली है। 6 महीने में हर जिले में राष्ट्रीय नेता का दौरा शुरू हो गया है। आपको याद होगा कुछ दिनों पहले तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की थी। इस बैठक से बीजेपी ने इशारा दिया था कि अब उनका अगला लक्ष्य दक्षिण भारत और खासकर तेलंगाना ही है। बीजेपी तेलंगाना और कर्नाटक में अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है। इसके कई कारण है। बीजेपी लगातार दक्षिण के राज्यों में ग्राउंड के नेताओं को अपने साथ जोड़ रही है।

बीजेपी ने तेलंगाना समेत दक्षिणी राज्य में विस्तार के लिए छह मुद्दे तैयार किए हैं, जिनपर भगवा पार्टी आगे बढ़ रही है। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा हिंदुत्व का है, जो पार्टी का हमेशा से ही मेन मुद्दा रहा है। कर्नाटक में हिजाब विवाद से लेकर हलाल मीट जैसे मुद्दे चल ही रहे हैं। वही तेलंगाना में भी भाग्यलक्ष्मी मंदिर मुद्दे से लेकर बीते दिनों टी राजा सिंह के बयान का मुद्दा गरमाया। यहां पर बीजेपी किसी न किसी तरह हिंदुत्व का मुद्दा उठाकर चल रही है। वहीं परिवारवाद, भ्रष्टाचार, डबल इंजन की सरकार, एकला चलो और नए चेहरों वाले मुद्दे भी बीजेपी आगे कर रही है। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक अपने भाषणों और दौरों के दौरान इन मुद्दों पर फोकस करते नजर आ रहे हैं।

अविभाजित आंध्र प्रदेश में एक समय कांग्रेस पार्टी का कोई विकल्प हो सकता है, इसकी कल्पना भी बेमानी थी। इसे हकीकत में एक ऐसे नेता ने कर दिखाया जिसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। वह थे एनटी रामाराव (एनटीआर) जिन्होंने 1983 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करके करिश्मा दिखाया था। अब बीजेपी चाहती है कि उसी तरह का करिश्मा एक बार फिर हो। इसलिए अब एनटीआर के पोते जूनियर एनटीआर को यहां आगे करने की तैयारी है। हालांकि इसे अटकलें बताया जा रहा है लेकिन पिछले महीने अमित शाह ने जूनियर एनटीआर से अचानक मुलाकात करके चर्चाओं के बाजार गर्म कर दिए थे। हालांकि न तो भाजपा की तरफ से जूनियर एनटीआर की राजनीतिक पारी का कोई बयान आया न ही ऐक्टर की ओर से कोई बयान दिया गया।

हाल ही में राज्य सभा के लिए भाजपा ने तेलंगाना से आने वाले केवी विजयेंद्र प्रसाद को उम्मीदवार बनाया था और उन्हें उच्च सदन में भेजा है। विजयेंद्र प्रसाद तेलगु और हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध स्क्रीन राइटर हैं। और उनके बेटे बाहुबाली फिल्म के निर्देशक एसएस राजामौली हैं। प्रसाद ने हिंदी फिल्म बजरंगी भाई जान से लेकर कई फिल्मों के लिए कहानी लिखी है। ऐसे में जूनियर एनटीआर से गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात के राजनीतिक मायने निकालना कोई चौंकाने वाली बात नहीं हो सकती है। क्योंकि अगर जूनियर एनटीआर भाजपा के साथ जुड़ते हैं या फिर भाजपा के लिए चुनाव में प्रचार करते हैं तो उनकी लोकप्रियता का फायदा पार्टी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों में मिल सकता है। यह किसी से नहीं छिपा कि दक्षिणी राज्यों में सियासत में अगर बड़ा करिश्मा किसी ने कर दिखाया है तो अधिकांश अभिनेता से नेता बने लोगों ने ही ऐसा किया है। अब बीजेपी राजामौली के पिता और जूनियर एनटीआर के साथ इसी दिखा में आगे बढ़ रही है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ समय में और भी सिनेमा जगत के लोग बीजेपी के साथ जुड़ सकते हैं, जिसका फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनाव में हो सकता है।

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