आजकल की युवा पीढ़ी में भी एक खास तौर की बीमारी उत्पन्न हो गई है जिसे साइलेंट हार्ट अटैक भी बोला जाता है! छाती में दर्द, अचानक सांस फूलते जाना जैसे लक्षण हार्ट अटैक के अंतर्गत आते हैं, जिसके बारे में आम तौर पर लोगों को पता होता है और इनके दिखाई देने पर रोगी को तुरंत इलाज के लिए भी लेकर जाते हैं। लेकिन एक स्टडी के मुताबिक़ तकरीबन 45 फ़ीसदी हार्ट अटैक के कोई लक्षण नहीं होते। इस स्थिति को साइलेंट हार्ट अटैक की श्रेणी में रखा जाता है। अब जैसा कि नाम से भी ज़ाहिर है साइलेंट हार्ट अटैक ख़ामोशी से दस्तक देते हैं, और इनके होने का सही सही पता नहीं लगाया जा सकता, लेकिन याद रहे ये उतने ही ख़तरनाक होते हैं, और क्योंकि लक्षण साफ तौर से सामने नहीं होते हैं तो बेशक इलाज में भी देरी होने की सम्भावना रहती है, स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए इस विषय में व्यापक जानकारी का प्रसार बेहद ज़रूरी है। तो आखिर क्या है साइलेंट हार्ट अटैक और इसका इलाज व बचाव कैसे सुनिश्चित किया जाता है!
साइलेंट हार्ट अटैक में व्यक्ति छाती में दर्द की बजाय जलन महसूस करता है, साथ ही कमजोरी और अनावश्यक थकान जैसे लक्षण भी महसूस करता है। ऐसे में ज़ाहिर है कि व्यक्ति इसे पूरी तरह हार्ट अटैक की श्रेणी में देख पाने में असमर्थ होता है, क्योंकि ये एसिडिटी, अपच, डीहाइड्रेशन, थकान आदि के भी लक्षण हो सकते हैं। साइलेंट हार्ट अटैक की स्थिति तब बनती है जब हृदय की ओर रक्तप्रवाह धीरे हो जाता है या बंद हो जाता है। अक्सर साइलेंट हार्ट अटैक से पहले और बाद में व्यक्ति एकदम सामान्य महसूस करता है, जिसके चलते दूसरा हार्ट अटैक अतिरिक्त जोखिम का कारण बन सकता है और बहुत मुमकिन है कि यदि समय पर रोग को पकड़ा न गया तो जान भी जोखिम में आ सकती है।
साइलेंट हार्ट अटैक का पता लगाने के लिए एलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और इकोकार्डियोग्राम आदि जांच की जा सकती है, जिससे हृदय में आ रहे बदलावों का पता करके इस स्थिति का पता लगाया जाता है। फिर बीमारी की स्थिति के अनुसार इलाज की दिशा तय की जत्ती है जिसमें एंजियोप्लास्टी, हार्ट ट्रांसप्लांट, बाईपास सर्जरी समेत तमाम कई तरह के इलाज हो सकते हैं।
लक्षणों से इतर यदि बात करें तो बेशक जो बचाव के नियम हृदयरोग पर लागू होते हैं वही साइलेंट हार्ट अटैक पर भी होते हैं. बस सावधानियां अतिरिक्त हो सकतीं हैं ताकि समस्या को पहचाना जा सके, इसलिए निम्लिखित बिन्दुओं पर अमल करें :-
अक्सर देखा गया है कि अपच, एसिडिटी आदि के लक्षण नज़र आने पर घरेलू उपचार किये जाते हैं। लेकिन ज़रूरी है कि शरीर में प्रत्यक्ष रूप से मामूली नज़र आने वाली तकलीफों के लिए घरेलू उपचार में समाधान नहीं ढूँढा जाए और डॉक्टर से ही सलाह ली जाए, क्योंकि मुमकिन है कि ये मामूली भी हों लेकिन इनकी गंभीरता को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता जो किसी हार्ट अटैक के भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें ताकि साइलेंट हार्ट अटैक की गुंजाइश होने पर पता लगाया जा सके और इलाज सुनिश्चित किया जा सके।
यदि पहले से हृदयरोग की समस्या से जूझ रहे हैं तो उपरोक्त बिंदु का विशेष रूप से ध्यान रखें।
अपने खान पान में में पोषण को तरजीह दें। फाइबर युक्त भोजन लें। बैलेंस्ड डाइट लें, और अपने संबंधित डॉक्टर से सलाह लेकर भी अपना डाइट प्लान बनाया जा सकता है।
यदि बीपी की समस्या से जूझ रहे हैं तो नियमित चेक करते रहें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें। और इस स्थिति में भी छाती में जलन और असामान्य थकान को नज़रंदाज़ करने के बजाय डॉक्टर की सलाह लें। क्योंकि बीपी की समस्या में यदि सचेत न रहा जाए तो बहुत से रोगों का जोखिम रह सकता है।
नियमित व्यायाम करें। शरीर को निष्क्रिय न रखें। शरीर को पोषण के साथ साथ उचित व्यायाम की भी आवश्यकता होती है, और रोगों का जोखिम कम रहता है।
धूम्रपान व नशे की लत से दू रहें।अपने खान पान में में पोषण को तरजीह दें। फाइबर युक्त भोजन लें। बैलेंस्ड डाइट लें, और अपने संबंधित डॉक्टर से सलाह लेकर भी अपना डाइट प्लान बनाया जा सकता है।
यदि बीपी की समस्या से जूझ रहे हैं तो नियमित चेक करते रहें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें। और इस स्थिति में भी छाती में जलन और असामान्य थकान को नज़रंदाज़ करने के बजाय डॉक्टर की सलाह लें। क्योंकि बीपी की समस्या में यदि सचेत न रहा जाए तो बहुत से रोगों का जोखिम रह सकता है।