दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में रहने वाली महिलाओं के लिए फ़्री बस यात्रा का ऐलान किया था. राजधानी में रहने वाली हर महिला बस में फ़्री सफ़र कर सकती है. उन्हें किसी भी बस में कोई पैसे देने की आवश्यकता नहीं. उस समय केजरीवाल ने कहा यह भी कहा था कि बेटियों के साथ हमारा समाज अभी भी कहीं न कहीं और भेदभाव करता है. फ़्री बस कासफ़र 29 अक्टूबर 2019 से ही शुरू हो गया था. जिसके तहत दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) और क्लस्टर की बसों में मंगलवार से महिलाएँ मुफ़्त सफ़र करने लगी थी.
महिलाएँ फ़्री बस यात्रा से अत्यंत ख़ुश हैं उनका कहना है कि अब उन्हें दूर जाने के लिए ज़्यादा सोचना नहीं पड़ता यहाँ तक कि दूर जगह भी दूर नहीं लगती. महिलाओं ने यह भी बताया कि घर चलाने में थोड़ी राहत मिली है क्योंकि कहीं भी जाने के लिए किराया नहीं देना पड़ता और वहीं पैसे घर में काम आ जाते हैं. सरकार के इस फ़ैसले ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बना दिया है. इसका कारण बाहर जाने के लिए किराये के पैसे लेने की अब ज़रूरत नहीं पड़ती. जिससे अधिक पैसे बच जाते हैं.
उदाहरण के माध्यम से समझाए तो कीर्ति जो 30 साल की है और कीर्ति का घर दक्षिणी दिल्ली में स्थित है लेकिन वह काम करने औरंगज़ेब रोड जाती है. इन्होंने बताया की पहले ओला में सफ़र करती थी लेकिन जब से सरकार ने महिलाओं के लिए बस फ़्री कर दिया तो मैं भी बस से सफ़र करने लगी और अन्य परिवहन से आना जाना बंद कर दिया. जिससे काफ़ी पैसा बचाया. ऐसा ही एक और उदाहरण कनाट प्लेस के एक बस स्टॉप पर सप्ताह के दिनों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक होती है जबकि पहले ऐसा नहीं हुआ करता था. अधिकांश के लिए, समय और दूरी को उनके द्वारा ली जाने वाली बसों की संख्या से मापा जाता है. मीना द्वारा कहा गया “मेरा घर कनाट प्लेस (CP) से दो बसों की दूरी पर है”.
यह बड़ी संख्या इस अविश्वसनीय रूप से सरल योजना की बढ़ती लोकप्रियता का सबूत देती है, जिसकी कीमत 1,000 करोड़ रुपये है. परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 2019 में इसकी शुरुआत के बाद से, नीति में 2020-21 में 25% प्रतिशत और 2021-22 में28% प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में लगभग 33% प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है.
दिल्ली सरकार की बस मार्शल योजना परिवहन विभाग द्वारा 2015 में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए शुरू की गई थी. राजघाट डिपो के एक मार्शल कालू गेहरवाल ने कहा कि हालांकि बसों में पुरुषों का वर्दी में होना अनिवार्य है, कई लोग बिना वर्दी के ही चलते हैं. “डिपो के अधिकारी मार्शल तैनात करते हैं. यदि वे कम चल रहे हैं, तो बसें बिना किसी के चलती हैं, ”उन्होंने कहा.
हालांकि महिला कंडक्टर अब कई बसों मे देखी जाती हैं जिनका होना एक अलग दृश्य है, गहरवाल ने कहा कि सुरक्षा चिंताओं के कारण उन्हें रात की पाली नहीं मिलती है. “उनके पास सुबह 8 से शाम 4.30 बजे की शिफ्ट है. लेकिन हम सुनिश्चित करते हैं कि कुछ भी अनहोनी न हो. विशाल ने कहा कि अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी में सुधार, बार-बार पुलिसिंग और मेट्रो स्टेशनों, बस स्टॉप और सड़कों के आसपास गतिविधि में बढ़ोतरी जैसे उपाय भी सुनिश्चित करेंगे कि महिलाएं रात में यात्रा कर सकें.
जब से सरकार ने बस में सफ़र मुफ़्त किया है भारी संख्या में महिलाएँ बस से सफ़र करने लगी है कई ऐसी महिलाएँ भी हैं जो पहले मेट्रोसे सफ़र करना पसंद करती थी पर अपने फ़ायदे के लिए पैसे बचाने के लिए बस से सफ़र करने लगी हैं. अक्सर आपने ये भी ध्यान दियाहोगा कि महिलाएँ बस में चढ़ती हैं और एक स्टॉप आते ही उतर जाती है जिससे उन्हें काफ़ी हद तक आराम मिल गया है. जैसा कि आज के समय में कई महिलाएँ बस में सफ़र करने के लिए गुलाबी टिकट को लेना ज़रूरी नहीं समझते और कभी चैकर चढ़ जाते हैं तो उनसे पूछते हैं कि टिकट क्यों नहीं ली तो बड़े ही आराम से बोलती है “टिकट ले या ना ले क्या फ़र्क पड़ता है”. सरकार महिलाओं के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है जिससे महिलाएँ जीवन को आसान समझे और किसी पर निर्भर न रह सके. सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है जिसकी वजह से लोग उन्हें ढेर सारा प्यार और दुआएँ दे रहे हैं.