आखिर क्यों बदला गया है मिजोरम की मतगणना का दिन?

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हाल ही में मिजोरम की मतगणना का दिन टाल दिया गया है! चुनाव आयोग ने ईसाई-बहुल मिजोरम में वोटों की गिनती की तारीख बदल दी। अब राज्‍य में मतगणना 4 दिसंबर को होगी। अन्य चार राज्य जहां 7 से 30 नवंबर के बीच चुनाव हुए थे – छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना – में मतगणना तय कार्यक्रम के अनुसार रविवार 03 दिसंबर को होगी। चुनाव आयोग ने कहा कि उसे अलग-अलग क्षेत्रों से आवेदन मिले, जिनमें काउंटिंग की तारीख बदलने का अनुरोध किया गया था। EC ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा कि रविवार का ‘मिजोरम के लोगों के लिए विशेष महत्व है’। दरअसल मिजोरम में पिछले कुछ समय से काउंटिंग की तारीख बदलने की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे थे। चूंकि रविवार को चर्च में सर्विस का दिन होता है, इसलिए काउंटिंग किसी और दिन कराने की मांग हो रही थी। राज्यभर में विरोध प्रदर्शन हुए। हालांकि, EC के फैसले पर चर्चों के समूह मिजोरम कोहरान ह्रुएतुते समिति के अध्यक्ष चौंगमिंगथांगा ने कहा, ‘हम बेहद खुश हैं, हम इसे गॉड का हस्तक्षेप मानते हैं कि हमारी प्रार्थनाओं और इच्छाओं को ECI के माध्यम से स्वीकार कर लिया गया है।’ MKHC राज्य के 15 प्रमुख चर्चों का समूह है। चुनाव आयोग ने स्थानीय लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए मतगणना को एक दिन के लिए टाला। मगर चर्च का उसे ‘इंटरवेंशन ऑफ गॉड’ यानी भगवान का हस्तक्षेप बताना ठीक नहीं। ऐसा करके एक संवैधानिक संस्था की ओर से लोकहित में लिए गए फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं। EC के फैसले से कुछ घंटों पहले ही, मिजोरम में एनजीओ कोऑर्डिनेशन कमिटी NGOCC के बैनर तले प्रदर्शन हुए। राजधानी आइजोल में एक सार्वजनिक सभा आयोजित की। वहां दो सूत्री प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें से एक में वोटों की गिनती के लिए रविवार को चुनने की निंदा की गई। दूसरे में चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया को स्थगित करने का आग्रह किया गया। NGOCC में प्रभावशाली सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन CYMA और मिजो जिरलाई पावल MZP शामिल हैं।

NGOCC के अध्यक्ष लालहमछुआना ने शुक्रवार को कहा कि मतगणना की तारीख रविवार को पड़ती है, जो ईसाइयों के लिए एक पवित्र दिन है। उन्होंने कहा कि मिजोरम एक ईसाई बहुल राज्य है। लालहमछुआना ने कहा कि ‘यह विरोध प्रदर्शन मिजो समुदाय और उनके धर्म की रक्षा के अलावा और कुछ नहीं है।’ उन्होंने राजनीतिक दलों से मतगणना के दिन अपने कार्यालय बंद रखने का आग्रह किया। उम्मीदवारों और नेताओं से अनुरोध किया कि वे विरोध स्वरूप तीन दिसंबर को मतगणना केंद्रों पर न आएं।

बीते रविवार 26 नवंबर को मिजोरम के चर्चों ने चुनाव आयोग को मनाने में मदद के लिए ‘ईश्वरीय हस्तक्षेप’ की मांग करते हुए विशेष प्रार्थनाएं आयोजित कीं। ईसाई बहुल राज्य होने के चलते मिजोरम में रविवार को केवल पूजा का दिन माना जाता है। MKHC ने पिछले शनिवार 25 नवंबर को सभी चर्चों से आग्रह किया था कि वे काउंटिंग की तारीख में बदलाव की खातिर ‘भगवान से मदद’ लेने के लिए रविवार की चर्च सर्विस के दौरान प्रार्थनाएं आयोजित करें। भारतीय चुनाव आयोग आमतौर पर चुनाव की तारीखें चुनते समय विशेष दिनों को ध्यान में रखता है। ECI ने पांच राज्यों में मतगणना के लिए एक कॉमन डेट – 3 दिसंबर चुनी थी। राजस्थान में, ECI ने यह सूचना मिलने पर कि 23 नवंबर को ‘बड़े पैमाने पर शादियां’ हैं, मतदान की तारीख बदलकर 25 नवंबर कर दी थी। ठीक ऐसे ही, मिजोरम में काउंटिंग की तारीख बदल दी गई है। इसमें ‘भगवान का हस्‍तक्षेप’ कहां रहा? क्‍या ऐसा बता कर चर्च भारत की एक संवैधानिक संस्‍था के फैसले पर उंगली नहीं उठा रहा!

इधर मिजोरम विधानसभा चुनाव की मतगणना का दिन बदला, उधर कांग्रेस ने सवाल दाग दिया। पार्टी ने पूछा कि इतना सरल कदम उठाने में इतनी देरी क्यों क्यों हुई। INC महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘मिजोरम चुनाव में भाग लेने वाले राजनीतिक दलों ने वहां मतगणना की तिथि तीन दिसंबर से चार दिसंबर करने के लिए कहा था।लालहमछुआना ने कहा कि ‘यह विरोध प्रदर्शन मिजो समुदाय और उनके धर्म की रक्षा के अलावा और कुछ नहीं है।’ उन्होंने राजनीतिक दलों से मतगणना के दिन अपने कार्यालय बंद रखने का आग्रह किया। उम्मीदवारों और नेताओं से अनुरोध किया कि वे विरोध स्वरूप तीन दिसंबर को मतगणना केंद्रों पर न आएं। एक महीने से अधिक समय पहले प्रतिवेदन दिया गया था, लेकिन निर्वाचन आयोग चुप रहा। आज कुछ देर पहले ही इसकी तारीख आगे बढ़ाई गई है।’ उन्होंने सवाल किया, ‘इतना सरल और स्पष्ट कदम उठाने में देरी क्यों?’