आखिर अब तक क्यों नहीं लागू हुआ महिला आरक्षण?

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वर्तमान में अब तक महिला आरक्षण लागू नहीं हुआ है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नई संसद में प्रवेश करते ही महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया। हालांकि, विपक्ष नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से पेश इस विधेयक में दो प्रस्तावों का हवाला देकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि महिला आरक्षण को लागू करने से पहले नई जनगणना और परिसीमन करवाने की शर्तें रखने से पता चलता है कि मोदी सरकार ने फिर से जुमला ही फेंका है। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष को जवाब दिया। स्मृति ने अपने जवाब में हाथ में संविधान लेकर विपक्ष से ही सवाल कर डाला कि क्या विपक्ष इसके प्रावधानों की अवहेलना करना चाहता है? केंद्रीय मंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 82 हवाला दिया। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी को महिला आरक्षण विधेयक का श्रेय लेने के प्रयास पर भी घेरा। उन्होंने 2010 में यूपीए सरकार द्वारा राज्यसभा में पास महिला आरक्षण विधेयक की एक प्रति दिखाते हुए कुछ सवाल खड़े किए। स्मृति इरानी ने कहा, ‘ये कथन कि अभी क्यों नहीं? ये भी कि हमारा बिल है तो अभी करिए। ये उस बिल की प्रति है, जिनको वो हमारा कहते हैं। इसी बिल के दूसरे पन्ने पर 2(बी) और 3(बी) पढ़ें। ये वो बिल है जो कांग्रेस पार्टी कहती है कि यूपीए की सरकार में राज्यसभा में पारित हुआ और फिर लोकसभा में प्रस्तुत हुआ। अगर आप इस पृष्ठ पर दोनों क्लाउज पढ़ें तो यूपीए, जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं, उन्होंने कहा है कि तीसरे आम चुनाव में एससी-एसटी से जुड़ी महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की जाएगी। 3बी पढ़ें, उन्होंने प्रस्ताव दिया- तीसरे आम चुनाव में महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की जाएगी।’

स्मृति आगे कहती हैं, ‘यानी, आज की सरकार जब यह अधिनियम लागू होगा, तब के बाद 15 वर्षों तक महिलाओं को रिजर्वेशन गारंटी करती है, मोदी की गारंटी है, लेकिन आप कांग्रेस पार्टी का प्रस्ताव पढ़ें तो उनका प्रस्ताव ये था 2बी और 3बी में। कांग्रेस का प्रस्ताव था कि 10 साल औरतें मेहनत करें लेकिन 15वें साल में आपका अधिकार आपसे छीना जाएगा।’ केंद्रीय मंत्री ने इसके बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लागू करने को लेकर विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘फिर इनका ये वक्तव्य कि इसे अभी क्यों नहीं कराते? हमें पता है कि संविधान को छिन्न-भिन्न करना, कांग्रेस की पुरानी आदत है। लेकिन आज अगर आप इसी गरिमा में संविधान के अनुच्छेद 82 को पढ़ें तो इसमें कहा गया है- जब तक वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं तब तक इस अनुच्छेद के अधीन (i) राज्यों को लोकसभा में 1971 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित स्थानों के आबंटन का; और (ii) प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निवार्चन क्षेत्रों में विभाजन का, जो 2001 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित किए जाएं, पुनः समायोजन आवश्यक नहीं होगा।’ स्मृति ने अनुच्धेद 82 का यह प्रावधान पढ़ने के बाद पूछा, ‘तो क्या ये विपक्ष के नेताओं का मत है कि जो संवैधानिक प्रक्रिया इंगित है संविधान में, उसकी अवहेलना हो?’

केंद्रीय मंत्री ने विपक्ष के इस सवाल पर कि महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी और मुसलमानों के लिए आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘फिर यह आरोप लगाया कि आप ओबीसी और मुस्लिम रिजर्वेशन क्यों नहीं देते? उनको शायद इस बात का आभास नहीं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण वर्जित है।’ प्रत्येक जनगणना की समाप्ति पर राज्यों को लोकसभा में स्थानों के आबंटन और प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निवार्चन क्षेत्र में विभाजन का ऐसे प्राधिकारी द्वारा और ऐसी रीति से पुनः समायोजन किया जाएगा जो संसद विधि द्वारा अवधारित करे :

परन्तु ऐसे पुनः समायोजन से लोकसभा में प्रतिनिधत्व पर तब तक कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जब कांग्रेस की पुरानी आदत है। लेकिन आज अगर आप इसी गरिमा में संविधान के अनुच्छेद 82 को पढ़ें तो इसमें कहा गया है- जब तक वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं तब तक इस अनुच्छेद के अधीन (i) राज्यों को लोकसभा में 1971 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित स्थानों के आबंटन का; और (ii) प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निवार्चन क्षेत्रों में विभाजन का, जो 2001 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित किए जाएं, पुनः समायोजन आवश्यक नहीं होगा।’तक उस समय विद्यमान लोक सभा का विघटन नहीं हो जाता है!