लोन एप्स ने क्यों बढ़ा दिए हैं क्राइम?

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लोन एप्स ने हाल ही के दिनों में कई क्राइम्स को बढ़ावा दिया है! एक शाम हैरान रह गई जब अचानक उसके बैंक खाते में 9,000 रुपये जमा हो गए। करीब एक घंटे पहले उसने YouTube पर एक लोन ऐप का एड देखा था। एड ने एक बड़े लोन अमाउंट का वादा किया था। इस लोन को 36 महीनों के भीतर चुकाया जा सकता था। भविष्य के लिए एक सिक्योर लोन ऑप्शन देखते हुए, नोएडा की रहने वाली काव्या ने Google Play Store से ‘वंडर लोन’ ऐप डाउनलोड किया। ऐप ने उसकी डिटेल मांगी। इसलिए उसने अपना आधार, स्थायी खाता संख्या (पैन) और बैंक खाता डिटेल जमा किया। ऐप ने उसके फोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट, मैसेज, लोकेशन, गैलरी और अन्य ऐप्स एक्सेस की परमिशन भी मांगी।

इस प्रोसेस के 45 मिनट बाद, पैसे उसके बैंक खाते में जमा कर दिए गए। कुछ गड़बड़ पाकर, वह तुरंत पास के एक साइबर सेल में गई और एफआईआर दर्ज कराई। इसके तुरंत बाद, ब्लैकमेलिंग का काम शुरू हो गया। अगले कुछ हफ्तों में, काव्या को ‘रिकवरी एजेंटों’ से 15,000 रुपये का भुगतान करने या फिर कार्रवाई का सामना करने के लिए कई मैसेज मिले। यह सब यहीं खत्म नहीं हुआ। गाली-गलौज करने के साथ-साथ इन ‘एजेंटों’ ने उसकी फोटो को मॉर्फ कर दिया। इस मॉर्फ्ड फोटो को उसके व्हाट्सएप कॉन्टैक्ट्स को भेज दिया। उसे अन्य लोन ऐप्स के एजेंटों से भी मैसेज आने लगे।

काव्या इस मामले में काफी होशियार थी। उसने पुलिस के पास शिकायत की और कोई पैसा नहीं गंवाया। लेकिन कई अन्य लोगों को एक आसान, परेशानी मुक्त लोन के वादे का लालच दिया गया है। इस साल अगस्त में प्रकाशित द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में, दावा किया कि लाखों भारतीयों को धोखा देकर चीनी लोन ऐप ने हवाला रूट के जरिये 500 करोड़ रुपये का गबन किया। दुख की बात है कि कर्ज के जाल में फंसने वालों में से कुछ लोगों ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। वे लोग लोन लेने के बाद होने वाले उत्पीड़न और अपमान का सामना करने में असमर्थ रहे। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में, विशेष रूप से, लोन ऐप्स से संबंधित कई आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। ज्यादातर मामलों में, पीड़ितों को पैसे की सख्त जरूरत थी।

ऐसा ही एक दुखद मामला मुंबई के सेल्समैन संदीप कोरेगांवकर का है। दीपक ने इस साल मई में खुदकुशी कर ली थी। कोरेगांवकर ने एक लिंक पर क्लिक किया जो उन्हें YouTube पर मिला था। इसके बाद उन्होंने एक लोन ऐप डाउनलोड किया। कुछ दिनों बाद, वसूली एजेंटों की तरफ से उत्पीड़न शुरू हुआ। संदीप की आपत्तिजनक स्थिति में महिलाओं के साथ मॉर्फ्ड तस्वीरें उसके कॉन्टेक्ट लिस्ट में महिला कलीग और रिश्तेदारों को भेजी गईं। तस्वीरों को एक मैसेज के साथ भेजा गया था। इसमें लिखा था: “कोरेगांवकर ने जो लोन लिया था उसे चुका नहीं पा रहे हैं। संदीप के भाई के अनुसार, उसने मॉर्फ्ड तस्वीरें सर्कुलेट होने के 2-3 दिन बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन कुछ दिनों बाद, अपमान सहन नहीं कर पाने की वजह से खुद की जान ले ली। हालांकि, कोरेगांवकर के परिवार यह साफ तौर पर पता नहीं था कि उसने वास्तव में लोन लिया था या नहीं। उनलोगों को संदेह था कि पैसे उनके खाते में धोखाधड़ी के इरादे से जमा किए गए थे।

इससे पहले मार्च में मुंबई की रहने वाली दक्षा बोरिचा ने भी खुदकुशी कर ली थी। दिसंबर 2021 में, म्यूजिशियन को अपने फोन पर एक मैसेज के जरिये लिंक मिला था। दक्षा ने लिंक पर क्लिक किया और लोन ऐप डाउनलोड किया। नौकरी छूटने के बाद उसे पैसे की सख्त जरूरत थी। भाई के अनुसार दक्षा ने 5,000 रुपये के लोन के लिए अप्लाई किया। 10 मिनट के भीतर, उसे अपने बैंक खाते में पैसे मिल गए। इसके तुरंत बाद, उसे भुगतान करने के लिए लकी रुपया और सनशाइन लोन नामक दो ऐप सहित कई ऐप के रिकवरी एजेंटों से धमकी भरे कॉल आने लगे। केवल दो दिनों में, उसे 7,000 रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन यह सब यहीं नहीं रुका। उसके पास पेमेंट के लिए फोन आते रहे। हर बार जब उसने पेमेंट में देरी की, तो ऐप उसकी मंजूरी के बिना उसके खाते में 5,000 रुपये से 7,000 रुपये जमा कर देता था।

दक्षा ने अपनी मौत के पहले तक कुल 1.25 लाख रुपये का भुगतान किया। यह राशि उसके अप्लाई किए गए लोन से 25 गुना अधिक थी। जब वह उत्पीड़न सहन नहीं कर सकी तो उसने आत्महत्या कर ली। उसके भाई का कहना है कि यह सिर्फ पैसा ही नहीं था जिसने उसे इस चरम कदम पर पहुंचा दिया। डाउनलोड प्रोसेस के दौरान उसके फोन से उसका पर्सनल डेटा चोरी हो गया था। उसकी तस्वीर को टेक्स्ट के साथ एडिट किया गया था जिसमें लिखा था: “मैं एक चोर हूं, मैंने कर्ज लिया है और चुकाया नहीं है”। इस मैसेज को व्हाट्सएप पर 400 कॉन्टेक्ट्स और रिश्तेदारों को भेज दिया।

जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल रूप से विकसित हो रही है, वैसे-वैसे आसानी से साइबर अपराधी लोगों को ठगने में सक्षम हो गए हैं। जब फोन पर कोई लोन ऐप डाउनलोड किया जाता है, तो बिना किसी संदेह के, कोई भी ऐप को आपके फोन की सामग्री तक पहुंचने की अनुमति देता है। पैसे की सख्त जरूरत वाले लोगों के लिए, ये ऐप तत्काल सेवा के कारण लोकप्रिय रहते हैं। बैंक लोन के उलट यहां फॉर्मेलटीज जैसे वेरिफिकेशन और डॉक्यूमेंटेशन को पूरा करना आसान होता है। साथ ही बैंक लोन के मामले में यदि डॉक्यूमेंटेशन अधूरा है, तो लोन से मना किया जा सकता है, या बैंक छोटी अवधि के लिए थोड़ी सी राशि उधार नहीं देते हैं।

साइबर सेल के अधिकारी का कहना है कि ऐप की ऑथेंटिसीटी को निर्धारित करना महत्वपूर्ण है। लोन अमाउंट का वादा करने वाली कंपनी के पते को फिजिकल रूप से वेरिफाई करें। साथ ही, ऐप डाउनलोड करते समय, अपने फोन कॉन्टेक्ट और गैलरी तक पहुंचने की अनुमति से इनकार करें। क्योंकि एक वास्तव में पैसे उधार देने वाली कंपनी होगी कभी भी अपनी गैलरी तक पहुंच के लिए नहीं पूछेगी। यादव कहते हैं कि लोनलेने में जल्दबाजी न करें। ऐप के डेवलपर की जांच करें, अगर यह प्ले स्टोर (एंड्रॉइड या ऐप्पल) पर उपलब्ध है तो इसे खोजना आसान है। अगर आपको बार-बार कॉल आ रहे हैं, तो पुलिस के पास जाएं और शिकायत दर्ज करें। एक बार जब आप जांच एजेंसी को रिपोर्ट करते हैं, तो वे आम तौर पर आपको परेशान करना बंद कर देते हैं। यादव आपके फोन पर कोई संवेदनशील डेटा न रखने का भी सुझाव देते हैं। इस तरह के फ्रॉड ऐप्स से छुटकारा पाने के लिए, अपने फोन को फॉर्मेट करें या अपना फोन रीसेट करें। इसके अलावा इस तरह के ऐप को अनइंस्टॉल कर दें।