भुवनेश्वर कुमार क्यों महत्वपूर्ण है भारतीय क्रिकेट टीम के लिए?

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भारतीय क्रिकेट टीम के लिए उनके भुवनेश्वर कुमार जैसे क्रिकेटर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं! 25 दिसंबर 2012। तब उत्तर भारत कड़ाके की ठंड झेल रहा था। मगर अपने सदाबहार मौसम के लिए मशहूर बेंगलुरु में ठंड की बजाय माहौल थोड़ा गर्म था। भारत-पाकिस्तान आमने-सामने जो थे। एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में पहला टी-20 खेला जा रहा था। इसी मैच में पहली बार दुनिया ने भुवनेश्वर कुमार की झलक देखी। अपने पहले ही मैच में इस पेसर ने बता दिया कि क्यों मीडिया उन्हें अगला स्विंग का सुल्तान कहते आ रही है। ये एक ड्रीम डेब्यू था। भुवी ने टी-20 इंटरनेशनल करियर के पहले ही ओवर में नासीर जमशेद का शिकार किया। फिर अगले ही ओवर में दो विकेट निकाल लिए। रोमांचक मैच भले ही पाकिस्तान ने जीता, लेकिन इधर भारत को ऐसा बेहतरीन पेसर मिल चुका था, जो गेंद को दोनों तरफ हिलाने की कला जानता हो। अब इस बात को 10 साल गुजर चुके हैं। बीते 10 साल में नई गेंद के साथ भुवी आज भी वही जादू चलाते हैं, लेकिन डेथ ओवर्स में मेरठ के इस पेसर पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

भुवनेश्वर कुमार के पास 21 टेस्ट, 121 वनडे और 77 टी-20 इंटरनेशनल का लंबा-चौड़ा अनुभव है। भुवी को लेकर टीम मैनेजमेंट की सोच क्लियर है। उन्हें टेस्ट मैच नहीं बल्कि शॉर्ट बॉल फॉर्मेट में खिलाया जाता है। वर्ल्ड टी-20 के लिहाज से वह अहम सदस्य हैं। जसप्रीत बुमराह के साथ नई गेंद से शुरुआत करेंगे। विकेट निकालकर देंगे। टी-20 इंटरनेशनल में पावरप्ले के दौरान भुवनेश्वर कुमार 5.66 की शानदार इकॉनमी से बॉलिंग करते हैं, लेकिन गेंद थोड़ी पुरानी होते ही भुवी की धार भी कुंद पड़ने लगती है। 5.66 की इकॉनमी रेट डेथ ओवर्स में 9.26 हो जाती है। मतलब डेथ ओवर्स में औसतन हर ओवर 9.26 रन लुटाने लगते हैं। भुवी 60.8% डॉट बॉल पावरप्ले में फेंकते हैं जबकि डेथ ओवर्स में सिर्फ 39.7% बॉल ही खाली डाल पाते हैं।

भुवनेश्वर कुमार स्लॉग ओवर्स में ऑफ-साइड वाइड लाइन यॉर्कर पर भरोसा करते हैं, लेकिन एशिया कप में उनकी एक न चली। अगर उनके पास अर्शदीप जैसी थोड़ी ज्यादा स्पीड या फिर हर्षल पटेल जैसा वेरिएशन होता तो शायद बल्लेबाजों के लिए वह इतने आसान शिकार नहीं बनते। शॉर्ट बॉल फॉर्मेट में 19वां ओवर 20वें से बेहतर होता है। भुवनेश्वर कुमार ने भारत के लिए ये काम कई बार किया है। कुल 129 गेंदें फेंकी हैं। दूसरे नंबर पर जसप्रीत बुमराह (48 गेंद, 7.87 इकॉनमी, 3 विकेट) और उसके बाद हर्षल (36 गेंद, 8.5 इकॉनमी, 2 विकेट) का नाम आता है। बुमराह ने भारत के लिए 20वां ओवर ज्यादा फेंका है।

एशिया कपमें पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ दोनों ही मुकाबलों में भारत को रन बचाने थे। जिताने का दारोमदार गेंदबाजों के कंधों पर था। दोनों ही मैच में 19वें ओवर की जिम्मेदारी भुवनेश्वर कुमार के पास थी।भुवनेश्वर कुमार स्लॉग ओवर्स में ऑफ-साइड वाइड लाइन यॉर्कर पर भरोसा करते हैं, लेकिन एशिया कप में उनकी एक न चली। अगर उनके पास अर्शदीप जैसी थोड़ी ज्यादा स्पीड या फिर हर्षल पटेल जैसा वेरिएशन होता तो शायद बल्लेबाजों के लिए वह इतने आसान शिकार नहीं बनते। शॉर्ट बॉल फॉर्मेट में 19वां ओवर 20वें से बेहतर होता है। भुवनेश्वर कुमार ने भारत के लिए ये काम कई बार किया है। कुल 129 गेंदें फेंकी हैं। दूसरे नंबर पर जसप्रीत बुमराह (48 गेंद, 7.87 इकॉनमी, 3 विकेट) और उसके बाद हर्षल (36 गेंद, 8.5 इकॉनमी, 2 विकेट) का नाम आता है। बुमराह ने भारत के लिए 20वां ओवर ज्यादा फेंका है। एक मैच में 26 तो दूसरे मुकाबले में 21 रन बचाने थे।

मगर भुवी ने 19 और 14 रन लुटा दिए। T20I में सबसे किफायती 19वें ओवर के गेंदबाज (न्यूनतम 36 गेंद) शेल्डन कॉटरेल (5.61), पैट कमिंस (5.83), एनरिक नॉर्टजे (6.00) और ड्वेन ब्रावो (6.83) हैं।टी-20 इंटरनेशनल में पावरप्ले के दौरान भुवनेश्वर कुमार 5.66 की शानदार इकॉनमी से बॉलिंग करते हैं, लेकिन गेंद थोड़ी पुरानी होते ही भुवी की धार भी कुंद पड़ने लगती है। 5.66 की इकॉनमी रेट डेथ ओवर्स में 9.26 हो जाती है। मतलब डेथ ओवर्स में औसतन हर ओवर 9.26 रन लुटाने लगते हैं। भुवी 60.8% डॉट बॉल पावरप्ले में फेंकते हैं जबकि डेथ ओवर्स में सिर्फ 39.7% बॉल ही खाली डाल पाते हैं। सारों के सामने भुवी (9.62) जरूर महंगे हैं, लेकिन वह दुनिया में किसी और की तुलना में अधिक विकेट (12) भी लेते हैं। दुबई में उन 19वें ओवरों में अगर उन्हें आसिफ अली, खुशदिल शाह, भानुका राजपक्षे या दासुन शनाका में से कोई भी मिल जाता, तो इससे रन चेज पर ब्रेक लग सकता था। अगर जसप्रीत बुमराह या हर्षल पटेल फिट होकर खेल रहे होते तो डेथ ओवर्स की जिम्मेदारी उन्हीं के पाले में जाती।