देश में लगातार कैंसर के मामले सामने आते जा रहे हैं! भारत समेत पूरी दुनिया ने पिछले दिनों कोरोना वायरस की तबाही को देखा। कोरोना वायरस तो कुछ साल पहले ही आया, लेकिन एक जानलेवा बीमारी ऐसी है जो सदियों से लोगों को अपना शिकार बना रही है। हम बात कर रहे हैं कैंसर की। कई लोगों को पता भी नहीं चल पाता और उन्हें कैंसर हो जाता है। इस जानलेवा बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसे लेकर नेशनल सेंटर फॉर डिसीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च एनसीडीआईआर और इंडियन काउंसिल और मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर की एक डराने वाली स्टडी सामने आई है। इसके अनुसार भारत में हर नौ में से एक व्यक्ति को कैंसर होने का खतरा है। ये स्टडी देश में आ रहे कैंसर के मामलों की संख्या के विश्लेषण के साथ-साथ आबादी में कैंसर के जोखिम वाले लोगों के डेटा पर आधारित है।
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार, हर 67 पुरुषों में से एक को लंग कैंसर का खतरा होता है। वहीं 29 में से एक महिला को ब्रैस्ट कैंसर का खतरा होता है। कैंसर का खतरा 74 साल के लोगों में देखने को मिला है। स्टडी के अनुसार ये अनुमान लगाया गया है कि भारत में साल 2022 में 14.6 लाख लोग कैंसर से प्रभावित थे।
स्टडी से पता चला है कि पुरुषों में लंग तो महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है। इसके अलावा 14 साल तक के बच्चों में लिम्फोइड ल्यूकेमिया कैंसर का खतरा देखने को मिला। बच्चों में लड़कों में 29.2 फीसदी और लड़कियों में 24.2 फीसदी कैंसर का खतरा था। स्टडी में आगे कहा गया है कि साल 2020 के मुकाबले 2025 में कैंसर के मामलों में 12.8 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि कैंसर के मामलों में तेजी से हो रहा इजाफा बढ़ती आबादी और इसकी गतिशीलता में बदलाव के चलते हो रहा है। उनका मानना है कि भारत में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की आबादी में इजाफा होने की उम्मीद है। विशेष रूप से उनका अनुपात 2011 में 8.6% से बढ़कर 2022 में 9.7% होने की उम्मीद है। जो जोखिम कारकों, मामले के निष्कर्षों में सुधार, स्क्रीनिंग कार्यक्रमों की शुरूआत और कैंसर का पता लगाने और उनके उपाय की तकनीकों पर निर्भर करता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि देश में 2020 और 2022 के बीच अनुमानित कैंसर के मामले और इसके कारण मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग और स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।शोधकर्ताओं का कहना है कि कैंसर के मामलों में तेजी से हो रहा इजाफा बढ़ती आबादी और इसकी गतिशीलता में बदलाव के चलते हो रहा है। उनका मानना है कि भारत में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की आबादी में इजाफा होने की उम्मीद है। विशेष रूप से उनका अनुपात 2011 में 8.6% से बढ़कर 2022 में 9.7% होने की उम्मीद है। जो जोखिम कारकों, मामले के निष्कर्षों में सुधार, स्क्रीनिंग कार्यक्रमों की शुरूआत और कैंसर का पता लगाने और उनके उपाय की तकनीकों पर निर्भर करता है। मंडाविया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राज्यों से प्राप्त प्रस्ताव और संसाधनों की सीमा के अधीन हैं।
मंत्री ने कहा कि कैंसर एनपीसीडीसीएस का एक अभिन्न हिस्सा है, उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्धन और कैंसर की रोकथाम के लिए जागरूकता पैदा करने, शीघ्र निदान, प्रबंधन और इलाज के लिए उचित स्तर की स्वास्थ्य सुविधा के लिए रेफरल पर केंद्रित है।
एनपीसीडीसीएस के तहत, 707 जिला एनसीडी क्लीनिक, 268 जिला डेकेयर सेंटर और 5,541 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं।शोधकर्ताओं का कहना है कि कैंसर के मामलों में तेजी से हो रहा इजाफा बढ़ती आबादी और इसकी गतिशीलता में बदलाव के चलते हो रहा है। उनका मानना है कि भारत में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की आबादी में इजाफा होने की उम्मीद है। विशेष रूप से उनका अनुपात 2011 में 8.6% से बढ़कर 2022 में 9.7% होने की उम्मीद है। जो जोखिम कारकों, मामले के निष्कर्षों में सुधार, स्क्रीनिंग कार्यक्रमों की शुरूआत और कैंसर का पता लगाने और उनके उपाय की तकनीकों पर निर्भर करता है। मंत्री ने कहा कि हरियाणा के झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना और चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, कोलकाता का दूसरा कैंपस भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।