आखिर क्यों खास होता है नेवी डे?

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हाल के दिनों में नेवी डे आया था, जिसकी महत्वता का पता लगना बहुत जरूरी है! विश्व के केंद्र हिंद महासागर में तैनात, आकांक्षाओं से भरे नए भारत के सपने साकार करती, राष्ट्र और उसके भविष्य को समर्पित, दोस्त की दोस्त और दुश्मनों की दुश्मन, हर चुनौती को तैयार, आज भारतीय नौसेना के साहस और पराक्रम की कहानी कहते कई वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। समंदर के बाहुबली युद्धपोतों से गरजती मिसाइलों की आवाज आपके रोंगटे खड़े कर देगी। यह बुलंद भारत के बहादुर फौज की दहाड़ है। पूरा देश आज अपनी नौसेना को सैल्यूट कर रहा है। आज नौसेना दिवस है। भारतीय नौसैनिकों की बहादुरी को याद करने का दिन, जब 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान नेवी के एक ऐक्शन ने पाकिस्तान के पराजय की पटकथा लिख दी थी। पाकिस्तान ने वो मंजर देखा था कि उसकी पोर्ट सिटी कराची सात दिन तक आग से धधकती रही। तब बांग्लादेश नहीं, पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था और वहां मुक्ति संग्राम छिड़ चुका था। वो तारीख थी 3 दिसंबर 1971, पाकिस्तान की एयरफोर्स ने पश्चिम भारत में हमले शुरू कर दिए थे। दुश्मन की नेवी ने अपनी सबसे पावरफुल पनडुब्बी गाजी को बड़े मिशन के लिए रवाना कर दिया था। उसे दो टास्क दिए गए थे। पहला, पाकिस्तान ने विशाखापट्टनम बेस पर हमला कर कब्जा करने की रणनीति बनाई और दूसरा, भारत के बाहुबली आईएनएस विक्रांत को ढूंढकर नष्ट करने का मिशन रखा। भारतीय नौसेना को इसकी भनक लग गई। इसके बाद नौसेना ने अपना पराक्रम दिखाया और जंग में पाकिस्तानी बेड़े की कब्र खोद दी।

4 दिसंबर को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। भारतीय वायुसेना आसमान में और आर्मी जंग के मैदान में पाकिस्तान पर गोले बरसा रही थी। आज ही के दिन भारतीय नौसेना के लिए मास्टर प्लान तैयार हुआ। आजादी के बाद पहली बार लड़ाई में नेवी हिस्सा लेने जा रही थी। नेवी ने पश्चिमी फ्रंट पर पाकिस्तान की नौसेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। ऑपरेशन ट्राइडेंट (Operation Trident) के तहत नेवी को पाकिस्तानी पोर्टस को ब्लॉक करने का टास्क मिला। नेवी चीफ एडमिरल नंदा के नेतृत्व में दुश्मन का संहार करने का मिशन तैयार हो गया। ट्राइडेंट का मतलब होता है शिव का हथियार यानी त्रिशूल।

भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के जहाजों पर भारी गोलाबारी की। कराची बंदरगाह पूरी तरह से तबाह हो गया। कराची के पास दुश्मन के तीन जहाजों को डुबो दिया गया। भारत का प्लान था कि पाकिस्तान पानी के जहाजों से हथियारों की सप्लाई न कर पाए और उसके सप्लाई शिप नष्ट कर दिए गए। पाक के ऑइल टैंकर भी उड़ा दिए गए। इस युद्ध में जहाज पर अटैक करने वाली एंटी शिप मिसाइल का पहली बार इस्तेमाल किया गया था। हालांकि इस जंग में नौसेना का INS खुकरी पाकिस्तानी हमले में डूब गया था।

कराची पोर्ट पाकिस्तान के लिए रीढ़ की हड्डी के समान था। नौसेना की प्लानिंग बड़ी कमाल की थी। आज ही के दिन दोपहर के समय द्वारका में एक्टिविटी बढ़ गई। रात होते-होते भारतीय नौसेना का जंगी बेड़ा कराची की तरफ बढ़ चुका था। 250 किमी की दूरी पर बेडे़ को रोका गया और रात होते-होते आगे 150 किमी और बढ़ने का फैसला किया गया। तैयारी कुछ इस तरह की थी कि रात में पूरा मिशन अंजाम देकर सुबह की पहली किरण निकलने से पहले जहाजों को वापस कराची से 150 किमी वापस लौट आना था। इसके पीछे वजह यह थी कि दिन होने पर पाकिस्तान के लड़ाकू विमान जवाबी हमला कर सकते थे।

रात करीब साढ़े 10 बजे कराची बंदरगाह पर पहली मिसाइल गरजी। ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत निपट, निर्घर और वीर मिसाइल बोट गरजने लगीं। एक-एक कर पाकिस्तान के पीएनएस खैबर, चैलेंजर और मुहाफिज धधकने लगे। 90 मिनट के अंदर सारा खेल खत्म हो गया। कराची जल रहा था। बताते हैं कि 60 किमी दूरी से कराची के तेल डिपो में लगी आग देखी गई।

उधर, पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी के खिलाफ नेवी पहले से अलर्ट हो चुकी थी। इसे ‘काली देवी’ कोड नेम से ट्रैक किया गया। पाकिस्तान की पनडुब्बी में बैठे अफसरों को अंदाजा भी नहीं था कि वे भारत के रेडार पर हैं। वे जिस बाहुबली को बंगाल की खाड़ी में ढूंढ रहे थे, वह तो वहां था ही नहीं। जी हां, गाजी के आने से पहले ही INS विक्रांत की लोकेशन बदल दी गई थी। उसे अंडमान निकोबार रवाना कर दिया गया था। इसकी जगह रिटायर किए जा चुके आईएनएस राजपूत को मोर्चे पर लगाया गया। जैसे ही कुछ देर के लिए गाजी समुद्र की सतह पर दिखा, आईएनएस करंज ने उसे उड़ा दिया। खास बात यह है कि गाजी पनडुब्बी पाकिस्तान को अमेरिका से मिली थी। इसकी ताकत पर पाकिस्तान गर्व किया करता था। इसके बाद भी भारत ने कैसे उसे डुबो दिया, यह दर्द पाकिस्तान को आज भी है।

आज उसी जीत की याद में विजय दिवस के तौर पर नेवी डे मनाया जा रहा है। ऑपरेशन को लीड करने वाले कमोडोर बीबी यादव को देश श्रद्धांजलि दे रहा है। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। आगे चलकर बांग्लादेश का उदय हुआ और पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को घुटने टेकने पड़े। लेकिन कराची को वो दर्द भूलने से नहीं भूलता।