बिहार में अब रेल बजट पर सियासत हो रही है! बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि रेलवे का काफी महत्व है इसलिए पहले की तरह रेलवे के लिए अलग से बजट पेश होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे के बजट में आने-जाने को लेकर एक-एक लोगों को रूचि रहती है। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि देश की आबादी बढ़ रही है तो रेलवे को भी बढ़ना चाहिए और रेलवे के विस्तार के साथ इसमें युवाओं को नौकरी का मौका भी मिलना चाहिए। नीतीश कुमार की इस मांग पर सुशील कुमार मोदी ने आंकड़े पेश करते हुए मुख्यमंत्री को यह बताने की कोशिश की है कि आम बजट के साथ रेल बजट पढ़े जाने की शुरुआत होने के बाद से बिहार को और देश को कितना फायदा हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि न जाने केंद्र सरकार को क्या ऐसा समझा आया कि उन्होंने अलग से पेश किए जाने के लिए बजट को भी आम बजट में मिला दिया। उन्होंने कहा कि हमलोग तो चाहते हैं कि पहले की तरह रेलवे का अलग से बजट होना चाहिए। आपको बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1998 से लेकर 2001 तक रेल मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब रेल बजट अलग से पेश किया जाता था तब उसमें निकलने वाली नौकरियों पर चर्चा होती थी और देश के नागरिकों का ध्यान रेल बजट की ओर रहता था।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार द्वारा रेलवे में नौकरियों पर उठाए गए सवाल का जवाब दिया है। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने 3.74 लाख लोगों को रेलवे की नौकरी देने का काम किया। जिससे विकास की रफ्तार में गति आई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जहाँ नीतीश कुमार के रेल मंत्री रहते रेलवे में 1.37 लाख नौकरियाँ कम हो गई थीं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ साल में 3.74 लाख युवाओं को रेलवे में नौकरी मिली है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि रेल बजट को आम बजट में मिलाने से बिहार में रेलवे का बजट अनुदान यूपीए सरकार की तुलना में 6 गुना बढ़ कर 6,606 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा उन्होंने रेल बजट को आम बजट से अलग करने की मांग करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह भी बताने की कोशिश है कि भारत के अलावा किसी देश में अलग से रेल बजट नहीं होता था। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार कई योजनाओं के जरिए बिहार का विकास कर रही है और रेलवे के विस्तार और इसके विकास का कार्य भी तेजी से कर रही है। सुशील मोदी ने कहा कि इसी का परिणाम है कि बिहार में रेलवे की 57 परियोजनाओं पर काम चल रहा है जिसकी वजह से यहां रोजगार भी बढ़ रहे हैं।
सुशील मोदी ने अलग रेल बजट की परिपाटी समाप्त करने के ऐतिहासिक कदम के लिए प्रधानमंत्री का आभार प्रकट किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके फायदे गिनाये। सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार के समय अलग रेल बजट के दौर ( 2003-04) में रेलवे को बजट सहायता 7 हजार करोड़ रुपये मिलती थी। जो बढकर आम बजट ( 2022-23) में 1.59 लाख करोड़ हो गई है। इसके अलावा अलग रेल बजट के जमाने में हर रेल मंत्री बिना बजट प्रावधान के लोकलुभावन घोषणाएँ कर देते थे। लेकिन वे संसाधन के अभाव में घोषणाओं को लागू नहीं करा पाते थे।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार दस-बीस साल पहले की रेलवे संबंधी घोषणाएं को भी लागू करा रही है। क्योंकि अब बजट सहायता राशि में 484 फीसद की वृद्धि हो चुकी है। सुशील मोदी ने कहा कि लेकिन नीतीश कुमार को ये बदलाव और काम नहीं दिखते। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय रेलवे का विद्युतीकरण 14 किलोमीटर सालाना था। जो मोदी-सरकार के समय 1750 फीसद बढ कर 245 किलोमीटर सालाना हो गया। इसके अलावा मोदी सरकार के पहले साल में केवल तीन आरओबी बनते थे, लेकिन अब हर साल रेलवे 40 आरओबी बनवा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रेल बजट को अलग से पेश किए जाने की मांग का समर्थन राष्ट्रीय जनता दल ने की किया है। आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा की रेल बजट अलग से पेश किए जाने से देश की आम जनता को यह पता लगता है कि रेलवे में कितना विकास हुआ है। रेलवे में क्या कमियां है और उसे दूर करने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है। अलग से रेल बजट पेश किए जाने पर देश की जनता को इन सभी चीजों की जानकारी जाती है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद रेल मंत्री रह चुके हैं इसलिए उन्हें पता है कि रेल का बजट अलग से पेश किए जाने के फायदे क्या है। इसलिए नीतीश कुमार की मांग पूर्ण रूप से जायज है और केंद्र सरकार को चाहिए कि वह रेल बजट को अलग से पेश करें।