भारत में क्यों फैल रहा है ड्रग्स का धन्धा?

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भारत में अब लगातार ड्रग्स का धंधा फैलता जा रहा है! गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर करीब 3,000 किलो ड्रग्स पकड़ाए जाने की घटना का अगले सप्ताह एक साल हो जाएगा। इस बीच देशभर से सैकड़ों किलो ड्रग्स पकड़े जा चुके हैं। मंगलवार को भी दिल्ली और लखनऊ से 322 किलो ड्रग्स पकड़ाए जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 1,200 करोड़ रुपये है। हैरानी की बात है कि नशे के धंधेबाज अब स्टूडेंट्स को अपने जाल में फांस रहे हैं। ठीक वैसे ही, जैसे फिल्मों में दिखाया जाता है। लेकिन क्विंटल के क्विंटल ड्रग्स आते कहां से हैं और आखिर इतने कड़े सुरक्षा कवच को भेद कैसे देते हैं ये नशे के कारोबारी? ये सवाल काफी गंभीर हैं। आप कह सकते हैं कि सुरक्षा एजेंसियां आए दिन भारी-भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ तो रही ही हैं। आए दिन एक के बाद एक गैंग्स के खुलासे हो रहे हैं।हां, यह सही है। लेकिन यह भी सच है कि तमाम कार्रवाइयों के बावजूद देश में ड्रग्स का धंधा खूब फल-फूल रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं- अफगानिस्तान का आतंकी संगठन और अब वहां की सत्ता पर काबिज तालिबान और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज यानी आईएसआई। हमारा पड़ोसी देश अफगानिस्तान, नशीले पदार्थों की खेती में दुनिया में अव्वल है। यूं भी कहा जा सकता है कि ड्रग्स के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में करीब 80 से 85 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अफगानिस्तान का ही दबदबा है। ऐसे में भारत में ड्रग्स की ज्यादातर खेप अफगानिस्तान से आती है। वो अलग बात है कि उसके आने की राह अलग-अलग हो सकती है।

गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर सितंबर 2021 में अफगानिस्तान से आए दो कंटेनरों में टॉक स्टोन पाउडरों के साथ मिश्रित किए गए ड्रग्स की भारी मात्रा पकड़ाई।

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की आशी ट्रेडिंग कंपनी ने अफगानिस्तान में कंधार की हसन हुसैन लिमिटेड नाम की कंपनी से यह खेप मंगवाई थी। यह माल ईरान के बांदर एयरपोर्ट से होते हुए गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पहुंचा था। पहले कंटेनर से 1999.579 किलो जबकि दूसरे से 988.64 किलो हेरोइन मिला। इसकी कीमत 21 हजार करोड़ रुपये है। गुजरात के ही गांधीनगर स्थि फॉरेंसिक लैब (FSL) में हेरोइन की जांच हुई जिसमें पता उसकी हाई क्वॉलिटी का पता चला। मतलब, करीब 3,000 कीलोग्राम हेरोइन की यह खेप कस्टम डिपार्टमेंट और राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के हत्थे चढ़ गई। नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांस एक्ट (NDPS Act), 1985 के तहत हेरोइन को जब्त कर लिया गया। दुनियाभर में नार्कोटिक्स की इतनी बड़ी खेप पकड़ाने का कोई मामला हाल में नहीं आया था।

इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ाने के बाद देशभर में हंगामा मच गया। अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नै जैसी जगहों पर धड़ाधड़ छापेमारी हुई। दो अफगानियों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से ड्रग्स भी बरामद हुई। पता चला कि हेरोइन को दिल्ली पहुंचाया जाना था। इसके लिए दो कंटेनरों में हेरोइन को टॉक स्टोन पाउडर के साथ मीश्रित करके लाया जा रहा था। जिस आशी ट्रेडिंग कंपनी ने अफगानिस्तान से ये दोनों कंटेनर मंगवाए थे, उसका विजयवाड़ा के सत्यमेवपुरम स्थित गडियारामवारी में ऑफिस है। चेन्नै की रहने वाली गोविंदाराजू दुर्गा पूर्ण वैशाली ने अगस्त 2020 में जीएसटी रजिस्ट्रेशन लिया था। माचवराम सुधाकर उसका पति है। दोनों लंबे समय से चेन्नै में रह रहे हैं। ऑफिस बिल्डिंग वैशाली की मां गोविंदराजू तारका के नाम पर है।

दरअसल, अफगानिस्तान में तालिबान राज कायम होते ही सुरक्षा एजेंसियां चौकस हो गई थीं। उनके बीच नशे की तस्करी और घुसपैठ की समस्या पर संभावित असर को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी थीं। हालांकि, तालिबान ने वादा किया था कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद और नशे की खेती के लिए नहीं होगा। अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जे के बाद तालिबान के प्रवक्ता ने जबिहुल्ला मुजाहिद ने काबुल में मीडिया के सामने ऐलान किया था कि उनकी सरकार देश में नशीली वस्तुओं का उत्पादन नहीं होने देगी। उन्होंने कहा था, ‘हम अपने लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि हम नार्कोटिक्स के उप्तादन की अनुमति नहीं देंगे। इसी क्षण से किसी को अफगानिस्तान से हेरोइन का व्यापार या ड्रग स्मलिंग करने की अनुमती नहीं होगी।’ इस ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में हेरोइन और अफीम की कीमतें दोगुनी हो गईं। हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि तालिबान नशे का कारोबार कभी बंद नहीं करेगा क्योंकि इसी फंडिंग पर वह जिंदा है, इसी से हथियार खरीदता है और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है।

अफगानिस्तान के अलावा कुछ अन्य देशों से भी ड्रग्स भारत में मंगवाए जाते हैं। दिल्ली-यूपी में पकड़ाए ड्रग्स केस की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अब ड्रग्स सप्लाई के लिए स्टूडेंट्स का सहारा लिया जा रहा है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) ने तीन ऑपरेशन करके इसका खुलासा किया है। ऑपरेशन में हत्थे चढ़े आरोपियों में बीबीए, बीटेक, आईआईएम ड्रॉप आउट और फैशन डिजाइनर तक शामिल हैं। एलएसडी सप्लाई करने वाला सरगना आईआईएम ड्रॉप आउट है। आरोपी ड्रग की सप्लाई वीओआईपी के जरिए कई ऐप से करते थे। पता चला कि चरस की सप्लाई रूस और कनाडा से ड्रार्क नेट के जरिए हो रही है। इसे फॉरन पोस्ट ऑफिस या नेपाल के जरिए भारत में लाया जा रहा है। फिर वी-फास्ट, ऊबर डिलिवरी, स्विगी जेनी जैसे लोकल कूरियर नेटवर्क सर्विस का सहारा लिया जा रहा है।

गिरोह के टारगेट पर युवा हैं। कॉलेज स्टूडेंट्स को पहले ड्रग की लत लगाी जाती है। फिर उन्हें नशेबाजी के लिए पैसा जुटाने की तरकीब भी सुझाई जाती है। उन्हें सिंडिकेट में शामिल कर लिया जाता और फिर स्टूडेंट्स सप्लाई चेन का हिस्सा हो जाते हैं। इससे नशे के कारोबार को स्कूल, कॉलेज, नाइट क्लब, होटल्स, मल्टी नैशनल कंपनियों तक फैलाया जाता। पुलिस का दावा है कि दिल्ली में एलएसडी की एक स्टैंप 5,000 रुपये, एक ग्राम एमडीएमए 4,000 रुपये और 3,000 रुपये प्रति ग्राम चरस या हशीश बिकता है। एम्स के नैशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर के जरिए भारत सरकार ने हाल ही में एक सर्वे किया था। इससे पता चला कि दिल्ली में करीब 90 हजार लोग ड्रग्स लेते हैं। इनमें 19 से 35 साल की उम्र के बीच के 38.9 फीसदी लोग हैं। इनमें से 47.2 प्रतिशत दसवीं या उससे ऊपर शिक्षित थे।