हाल ही में देश के कई किसानों को फिल्डर ने परेशान कर दिया है! बिहार के किसानों का दर्द अनंत है। इस दर्द को सिर्फ किसान झेल रहे हैं। कृषि विभाग और सरकार किसानों के लिए बस कहने भर को है। जब फसल की बर्बादी होती है, तब किसानों के सपने को पलीता लग जाता है। किसान दर्द से कराह उठते हैं। उनकी कराह सिर्फ वे ही सुनते हैं, सरकारी सिस्टम के कानों तक जू नहीं रेंगती। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है सीमांचल के कटिहार जिले से। जहां, सैकड़ों किसानों की फसल ‘फिल्डर’ ने खराब कर दी है। ये किसान किसी को अपनी व्यथा भी सुना नहीं पा रहे हैं। बाजार में बैठा किसानों का गुनहगार कृषि विभाग की लापरवाही से ठठ्ठा मारकर हंस रहा है।पूरी खबर जानने से पहले आपको हम ये बताते हैं कि आखिर ये ‘फिल्डर’ है कौन? इसने कैसे किसानों की नींद उड़ा दी है? ‘फिल्डर’ एक पाउडर है। जिसे कटिहार जिले के अलावा बिहार के अन्य जिलों में फसल को सुरक्षित करने वाला पाउडर बताकर बेचा जा रहा है। किसान कंपनियों के प्रचार के झांसे में आकर ‘फिल्डर’ का प्रयोग अपनी फसल पर करते हैं। उसके बाद फसल पूरी तरह मर जाती है। ‘फिल्डर’ को खरीदकर चूकी किसान खेतों में डालते हैं। इसलिए इसका सारा दोष कंपनी किसानों पर मढ़ देती है।
कटिहार के फलका प्रखंड क्षेत्र के महेशपुर, राजधानी और सालेहपुर एवं गोविन्दपुर बहियार में किसानों ने इसी पाउडर का प्रयोग किया। किसानों की पूरी फसल गल गई। ‘फिल्डर’ फसल को सूखा देता है। फसल गलकर बर्बाद हो जाती है। किसानों ने इस साल मक्के की अच्छी फसल देखकर खुश थे। उन्हें लग रहा था कि इस बार आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। कई किसानों ने कर्ज लेकर खेती की। कई किसानों ने परिवार के गहने गिरवी रखकर मक्का लगाया। ‘फिल्डर’ ने सबके सपनों को मार दिया। किसानों का कहना है कि उन्होंने खुले बाजार से ‘फिल्डर’ की खरीदारी की थी। दुकानदारों ने कहा कि इससे फसल अच्छी होगी। किसानों का कहना है कि दुकानदारों ने उन्हें धोखा दिया।
किसानों का आरोप है कि कई बार आवेदन लेकर कृषि कार्यालय का भी चक्कर काटा, लेकिन वहां सुनवाई नहीं हुई। कृषि विभाग उनकी शिकायत सुनने को तैयार नहीं है। दुकानदार कहते हैं कि उनकी कोई गलती नहीं। किसानों का कहना है कि वे कहां जाएं। किसानों का कहना है कि इस क्षेत्र में 50 एकड़ से अधिक मक्का फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया है। जिन किसानों ने ‘फिल्डर’ का इस्तेमाल किया है। वो घर में बैठकर रो रहे हैं। किसान अपनी फसल को मवेशियों को खिला रहे हैं। इस मामले में प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। किसान आवेदन देते हैं, तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। फलका प्रखंड में हुए फसल बर्बाद हो जाने का मामला सरकार सहकारिता मंत्री सह जिला प्रभारी मंत्री के संज्ञान में भी आया है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
उधर, बेगूसराय में राजकीय नलकूप हाथी के दांत बने हुए हैं। जिले के दर्जनों ऐसे राजकीय नलकूप हैं,जो जर्जर हैं और जिससे सिंचाई नहीं हो रही है। भगवानपुर प्रखंड के भीठसारी पंचायत के चेरिया गांव में गंडक किनारे बना राजकीय नलकूप पिछले 30 सालों से बना हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि आज तक इस नलकूप से एक बूंद पानी नहीं निकला है।
स्थानीय लोगों ने भगवानपुर प्रखंड के अंचलाधिकारी को आवेदन देकर जल्द से जल्द इस नलकूप को चालू कराने की मांग की है ।किसानों का कहना है कि वे कहां जाएं। किसानों का कहना है कि इस क्षेत्र में 50 एकड़ से अधिक मक्का फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया है। जिन किसानों ने ‘फिल्डर’ का इस्तेमाल किया है। वो घर में बैठकर रो रहे हैं। किसान अपनी फसल को मवेशियों को खिला रहे हैं। इस मामले में प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। किसान आवेदन देते हैं, तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। फलका प्रखंड में हुए फसल बर्बाद हो जाने का मामला सरकार सहकारिता मंत्री सह जिला प्रभारी मंत्री के संज्ञान में भी आया है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि 30 साल पहले लाखों रुपए की लागत से इस राजकीय नलकूप का निर्माण कराया गया था। यहां ऑपरेटर की भी तैनाती की गई, लेकिन बिजली के कनेक्शन के लिए ट्रांसफार्मर भी लगाए गए लेकिन आज तक सिंचाई के लिए पानी नहीं निकला।