कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब (Hijab) पहनने के अधिकार को लेकर छात्राओं का विरोध कई कॉलेजों में फैल चुका है.कर्नाटक में कुछ मुस्लिम लड़कियों द्वारा हिजाब पहनकर कक्षाओं में उपस्थित होने देने की मांग को लेकर विरोध के बीच,आज (शनिवार, 5 फरवरी) सुबह, हिजाब पहने लगभग 40 छात्राएं कर्नाटक के उडुपी जिले के एक तटीय शहर कुंडापुर में भंडारकर आर्ट्स एंड साइंस डिग्री कॉलेज के मेन गेट पर तब खड़ी हो गईं, जब कॉलेज कर्मचारियों ने उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया और हिजाब उतारने को कहा लेकिन छात्राओं ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कॉलेज के मेन गेट पर ही जमा हो गए. इस विरोध की वजह से दूसरे दिन भी उनकी क्लास छूट गई.कॉलेज की निर्देश पुस्तिका के मुताबिक, ‘छात्राओं को परिसर के अंदर स्कार्फ पहनने की अनुमति है, हालांकि स्कार्फ का रंग दुपट्टे से मेल खाना चाहिए, और किसी भी छात्र को कैंटिन समेत कॉलेज परिसर के अंदर कोई अन्य कपड़ा पहनने की अनुमति नहीं है.और इसपर हाईकोर्ट 8 फरवरी को सुनवाई करने जा रहा है
छात्रों के एक समूह ने भगवा स्कार्फ पहनकर अपने कॉलेज तक मार्च किया. उडुपी जिले के कुंडापुर के वीडियो में लड़के और लड़कियां कॉलेज की वर्दी पर स्कार्फ पहने हुए और कॉलेज जाते समय “जय श्री राम” के नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस विरोध ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं और राजनीतिक बहस भी शुरू कर दी. कांग्रेस और भाजपा ने एक-दूसरे पर निशाना साधा है. और वही हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भगवा स्कार्फ पहनकर छात्र सड़कों पर उतर आए. जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लेते हुए छात्रों को रोका और किसी भी तरह की झड़प न हो इसको ध्यान में रखते हुए भीड़ को तितर-बितर कर दिया गया. विवाद बढ़ने की आशंका के चलते भंडारकर कॉलेज ने भी शनिवार को छुट्टी घोषित कर दी है. उडुपी जूनियर कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर हुए विवाद में कॉलेज प्रबंधन और छात्राओं ने जहां अपना रुख़ कड़ा कर लिया है, वहीं अब ये विवाद उडुपी ज़िले के दो और कॉलेजों के साथ ही शिवमोगा ज़िले के भद्रावती तक फैल गया है. छात्रों के दो गुटों के बीच हिजाब और भगवा शॉल पहनने का मुक़ाबला कर्नाटक हाईकोर्ट में भी पहुंच गया है.वहीं,
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरस्वती पूजा के दिन ट्वीट करके कहा कि ‘छात्रों के हिजाब को उनकी शिक्षा में आड़े आने देकर हम भारत की बेटियों का भविष्य लूट रहे हैं. मां सरस्वती सभी को ज्ञान देती हैं, वह भेद नहीं करती.’
विवाद के पीछे कौन है : नागेश
शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि हिजाब विवाद के पीछे एक गहरी ‘साजिश’ है. कुछ लोग जो इस देश की प्रगति के खिलाफ हैं वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने और समाचार बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम के आधार पर 2013 और 2018 में नियम बनाए गए हैं. इनके मुताबिक शैक्षणिक संस्थानों तथा स्कूल विकास और निगरानी समिति (एसडीएमसी) को छात्रों के लिए यूनिफॉर्म निर्धारित करने का अधिकार है. इन तमाम पहलुओं पर विचार किया जा रहा है और सरकार जल्द ही इस पर एक निर्णय करेगी.अभी एक परिपत्र जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि शैक्षणिक वर्ष शुरू होने से पहले एसडीएमसी द्वारा निर्धारित और अभी तक छात्रों द्वारा पहनी जा रही यूनिफॉर्म को उच्च न्यायालय का फैसला आने तक जारी रखा जाए. कोई भी शैक्षणिक संस्थानों पर अपना व्यक्तिगत या धार्मिक विचार नहीं थोप सकता. उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई 8 फरवरी को होगी.
बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसला क्यों बन गया है मामला का सुलहदार
नागेश ने कहा कि केरल और बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने पहले के आदेशों में विशेष रूप से कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब नहीं पहना जा सकता है. छात्रों से किसी और के लिए ‘बलि का बकरा’ न बनने की अपील करते हुए कहा कि ऐसे समय में नफरत का माहौल न हो जब परीक्षाओं में दो महीने का समय रह गया है. छात्रों ने जब स्कूलों में नामांकन लिया तब प्रधानाचार्य ने वहां के नियमों के बारे में लिखित रूप में सूचित किया.इनमें यूनिफॉर्म को लेकर भी नियम थे जिसे उन्होंने लिखित रूप में स्वीकार किया और हस्ताक्षर किए. जनवरी के पहले सप्ताह तक सभी छात्रों ने नियमों का पालन किया. लेकिन, उसके बाद किसी ने किस शरारत के कारण उन्हें हिजाब पहनने को लेकर इस तरह का रुख अपनाने और कक्षाओं का बहिष्कार करने को प्रेरित किया. यह समझ से परे है.स्थानीय विधायक और समुदाय के नेताओं द्वारा पिछले एक महीने से कई बार छात्राओं को समझाने की कोशिश की जा रही है.
सरकार का रूख एक सामान कैसे
हिजाब के विरोध में भगवा शॉल के साथ आने वाले छात्रों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ स्वाभाविक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं. लेकिन, वैसे छात्रों को भी अनुमति नहीं दी जाएगी जो भगवा शॉल ओढ़कर आए . उनके प्रति सरकार का रुख कोई अलग नहीं है.
पसंद के हिसाब से यूनिफार्म नहीं : सुनील
कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री वी.सुनील कुमार ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म होती है.धार्मिक पसंद के हिसाब से यूनिफॉर्म नहीं पहनी जा सकती.भाजपा सरकार उडुपी या मेंगलूरु को एक और हिजाब पहनने के तालिबान नहीं बनने देगी.लेकिन वही कही लोगों इसे मौलिक अधिकार से जोडकर देख रहे है .
मौलिक अधिकार का क्यों हवाला दिया जा रहा है
संविधान का अनुच्छेद 25 (1) “अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने के लिए स्वतंत्र रूप से अधिकार” की गारंटी देता है. यह एक अधिकार है जो नकारात्मक स्वतंत्रता की गारंटी देता है – जिसका अर्थ है कि राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि इस स्वतंत्रता का प्रयोग करने में कोई हस्तक्षेप या बाधा नहीं है. हालांकि, सभी मौलिक अधिकारों की तरह, राज्य सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता, नैतिकता, स्वास्थ्य और अन्य राज्य हितों के आधार पर अधिकार को प्रतिबंधित कर सकता है.
वर्षों से, सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्धारित करने के लिए एक व्यावहारिक परीक्षण विकसित किया है कि किन धार्मिक प्रथाओं को संवैधानिक रूप से संरक्षित किया जा सकता है और क्या अनदेखा किया जा सकता है. 1954 में, सुप्रीम कोर्ट ने शिरूर मठ मामले में कहा कि “धर्म” शब्द में धर्म के लिए “अभिन्न” सभी अनुष्ठानों और प्रथाओं को शामिल किया जाएगा. अभिन्न क्या है यह निर्धारित करने के लिए परीक्षण को “आवश्यक धार्मिक प्रथाओं” परीक्षण कहा जाता है। इसको लेकर मुस्लिम पक्ष डटा हुआ है .