ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर भारत में क्यों मची खलबली?

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ऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर भारत में खलबली मच चुकी है! एशियाई मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। हिंदुओं के खास त्योहार दिवाली के दिन ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी ने प्रधानमंत्री के पद के लिए ऋषि सुनक के नाम का आधिकारिक एलान किया। इसके साथ ही ऋषि सुनक भारत में चर्चा का विषय बन गए। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले नेता को शीर्ष पद पर चुने जाने पर कहा कि इससे भारत को भी सबक लेना चाहिए। वहीं भाजपा ने मंगलवार को इसपर पलटवार किया और एपीजे अब्दुल कलाम के राष्ट्रपति बनने और डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने का उदाहरण दिया।

भाजपा नेता विजय चौथईवाले ने एक ट्विटर यूजर के जवाब में कहा, इटली में जन्मी सोनिया (जिन्होंने राजीव से शादी के बाद कई दशकों तक भारतीय नागरिकता को लेने से इनकार किया) और ब्रिटेन में जन्मे ऋषि में तुलना नहीं कर सकते। बता दें कि साल 2004 में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। तब सोनिया गांधी का नाम प्रधानमंत्री के लिए आगे आया था। तब भाजपा भी इसके खिलाफ थी। हालांकि, बाद में सोनिया गांधी ने इससे खुद दूरी बनाने का फैसला किया था।

भाजपा नेताओं की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने सुनक के उभार की सराहना करते हुए भाजपा पर कटाक्ष किया। पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि यह गर्व का क्षण है कि भारतीय मूल के सुनक को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया, लेकिन इसके एक सबक के रूप में लेना चाहिए कि ब्रिटेन ने एक अल्पसंख्यक समुदाय के नेता को स्वीकार किया है। लेकिन हम अभी भी एनआरसी और सीएए जैसे विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण कानूनों से बंधे हुए हैं।

वहीं कांग्रेस नेता पी. चिंदबरम और शशि थरूर ने भी ब्रिटेन के इस कदम का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारत में भी इस प्रथा को अपनाया जाएगा। इसके अलावा टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस कदम का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि भारत भी और सहिष्णु बनेगा। 

चिदंबरम ने अपने ट्वीट में कहा, पहले कमला हैरिस, अब ऋषि सुनक। अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को गले लगाया है और उन्हें सरकार में उच्च पदों पर चुना है। उन्होंने आगे कहा, मुझे लगता है कि भारत और बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाली पार्टियों को इससे सबक लेना चाहिए। वहीं कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा, मुझे लगता है कि हम सभी को स्वीकार करना होगा कि ब्रिटेन ने दुनिया में बहुत ही दुर्लभ काम किया है। एक अल्पसंख्यक को सबसे ताकतवर कार्यालय में बैठाया है। हम भारतीय ऋषि सुनक के ऊपर पहुंचने का जश्न मना रहे हैं। ईमानदारी से पूछें क्यां यह यहां (भारत) हो सकता है।  वहीं मोइत्रा ने कहा, 10 डाउनिंग स्ट्रीट में ब्रिटिश एशियाई को रखने पर मुझे गर्व है। यूके मेरा दूसरा पसंदीदा देश है। भारत को और सहिष्णु व सभी धर्मों, सभी वर्गों को स्वीकार करने वाला होना चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने महबूबा मुफ्ती पर पलटवार किया और सवाल पूछा कि क्या वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में अल्पसंख्यक को स्वीकार करेंगी। उन्होंने कहा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक के चुनाव बाद कुछ नेता बहुसंक्यवाद के खिलाफ अति सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम और डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व की याद दिलाई। प्रसाद ने कहा, अब आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू हमारी राष्ट्रपति हैं। 

भाजपा नेता ने कहा कि भारतीय मूल के नेता सुनक को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर सभी को उनको बधाई देनी चाहिए। लेकिन, दुखद यह है कि कुछ भारतीय नेता दुर्भाग्य से इस मौके को एक राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।  

भाजपा के आईटी विभाग प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि भारत में तीन मुस्लिम और एक सिख राष्ट्रपति के अलावा एक सिख दस साल प्रधानमंत्री रहे। अल्पसंख्यक शीर्ष न्यायिक पदों और सशस्त्र बलों में हैं। इसे (भारत) किसी अन्य देश की विविधता से सीखने की जरूरत नहीं है। लेकिन महबूबा को इसको लेकर बात करनी चाहिए और जम्मू-कश्मीर के लिए एक हिंदू मुख्यमंत्री का समर्थन करना चाहिए।

भाजपा के पलटवार के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि भारत को किसी अन्य देश से सबक लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अतीत में कई अल्पसंख्यक राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री बन चुके हैं। एआईसीसी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, विविधता का सम्मान करना भारत की पहचान रही है। उन्होंने जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद और एपीजे अब्दुल कलाम के उदाहरणों का हवाला दिया, जिन्होंने कई वर्षों तक देश में शीर्ष संवैधानिक पदों को संभाला था।

रमेश ने कहा, हमारे देश में 1967 में डॉ. जाकिर हुसैन पहले राष्ट्रपति बने, फिर फखरुद्दीन अली अहमद और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बने। बरकतुल्लाह खान मुख्यमंत्री बने और ए.आर. अंतुले भी मुख्यमंत्री बने। अन्य कांग्रेस नेताओं की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, यह आपको उनसे पूछा चाहिए। मैं केवल भारत जोड़ो यात्रा के बारे में बात कर रहा हूं और अन्य नेताओं ने जो कहा, उसपर मैं कुछ नहीं बोलूंगा। आप उनसे पूछें कि उन्होंने क्या कहा है। मैं उनपर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।

रमेश ने आगे कहा, कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है।  जिन्हें जनादेश मिलेगा वे प्रधानमंत्री बनेंगे। लोकतांत्रिक रूप से अगर कोई चुना जाता है, तो हमें कोई समस्या नहीं है। इंग्लैंड की पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया है, इसका हम स्वागत करते हैं।

AIMIM सांसद व प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक में भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हलाल मांस खतरा है, मुसलमान की दाढ़ी खतरा है, मुसलमान की टोपी खतरा है, भाजपा मुस्लिम पहचान के खिलाफ है। दिल्ली में प्रधानमंत्री कहते हैं सबका साथ और सबका विकास लेकिन ये सब जबानी बातें हैं।