कुछ दिनों से श्रीलंका के बारे में आप लगातार खबरों में सुनते आ रहे होंगे! लेकिन यहां सवाल सबसे बड़ा यह है कि श्रीलंका के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ कि आज वह बर्बादी की कगार पर खड़ा है! दरअसल यह मामला अभी का नहीं बल्कि बहुत पुराना है, श्रीलंका की अधिकतर आय पर्यटन पर टिकी हुई है, लेकिन कोरोंना के चलते वहां का पर्यटन पूरी तरीके से ठप्प पड़ गया, जिसका यह नतीजा निकला कि श्रीलंका की आय धीरे-धीरे घटने लगी और वह कर्जे में डूबता चला गया!
श्रीलंका के बर्बाद होने के मुख्य कारण
विदेशी मामलों के जानकार और पूर्व भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे एसपी सिन्हा कहते हैं कि चीन ने यही दांव खेलकर दुनिया के कई देशों को अपने रोड जाल में फंसा लिया। इसमें फंसने वाले देशों में सबसे बुरा हाल श्रीलंका और पाकिस्तान का हुआ। जबकि एशिया के कई मुल्क अभी भी चीन की इस खतरनाक साजिश के शिकार होने की कगार पर हैं!
चीन ने कोविड से पहले ही आधी दुनिया को गुलाम बनाने की बड़ी साजिश रच ली थी। ताकि गरीब और विकासशील देश आर्थिक रूप से टूट जाएं और उसके गुलाम हो जाएं। दरअसल चीन ने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ से दुनिया के सभी छोटे और कुछ बड़े देशों को अपने चंगुल में फंसा लिया है। इन देशों को कोविड से पहले चीन ने निवेश के नाम पर इतना कर्ज दिया कि वहां की अब अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी। कोविड ने अर्थव्यवस्था चौपट की तो ये कर्जदार देश चीन की ग़ुलामी को बढ़ चले। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश तो चीन किसी कुटिल चाल में फंस कर राजनीतक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं। विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि अब चीनी कर्ज से लदे देशों को उसकी कुटिल चाल से बचने के लिए सोचना होगा।
यूरेशियन इकोनॉमिक ट्रेड चेंबर के सलील अरोड़ा कहते हैं कि चीन ने इसी योजना के तहत ऐसे देशों में जमकर निवेश किया। यह निवेश चीन ने इन देशों में बराबर की भागीदारी के तहत क़िया। चीन की इस बराबर भागीदारी का मतलब यह था कि जितना निवेश चीन उस देश में कर रहा है, वह उसे कर्ज के तौर पर माना जाए। जिसे एक तय सीमा के भीतर उस देश को चीन को वापस करना होगा। विदेशी मामलों के जानकार और पूर्व भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे एसपी सिन्हा कहते हैं कि चीन ने यही दांव खेलकर दुनिया के कई देशों को अपने रोड जाल में फंसा लिया। इसमें फंसने वाले देशों में सबसे बुरा हाल श्रीलंका और पाकिस्तान का हुआ। जबकि एशिया के कई मुल्क अभी भी चीन की इस खतरनाक साजिश के शिकार होने की कगार पर हैं। दरअसल चीन ने एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के माध्यम से दुनिया के कई मुल्कों को इस रोड जाल के माध्यम से कर्ज दिलवाया। इसके अलावा बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव से संबंधित दस्तावेजों पर दस्तखत भी करवाए। इसमें श्रीलंका, मालदीव, मलेशिया, सिंगापुर समेत दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के देशों समेत अफ्रीकी महाद्वीप के कई देश शामिल हैं।
चीन की सड़क परियोजना में पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, इस्राइल और रूस में चीन ने अच्छा खासा निवेश भी किया। एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान में 40 अरब डॉलर, नाइजीरिया में 23 अरब डॉलर, बांग्लादेश में 18 अरब डॉलर, इंडोनेशिया में 26 अरब डॉलर, मलेशिया में 30 अरब डॉलर, मिस्र में 16 अरब डॉलर, यूएई में 15 अरब डॉलर, सिंगापुर में 25 अरब डॉलर समेत रूस में 11 अरब डॉलर समेत इस्राइल में 8 अरब डॉलर का बड़ा निवेश किया। इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान में सिल्क रोड फंड के माध्यम से कई परियोजनाओं के लिए 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का न सिर्फ कर्ज दिया बल्कि उसे डेवलपमेंट की योजनाओं का नाम भी दिया।वर्ल्ड एक्सपोर्ट फोरम और वर्ल्ड बैंक के सहयोगी रहे डॉ. गौरव कहते हैं कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट भी बताती है कि चीन 60 फ़ीसदी उधार उन मुल्कों को देता है, जो विकासशील हैं। वह कहते हैं इसके पीछे असली वजह यही होती है कि चीन उन्हें कर्ज देकर उनके ऊपर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। कूटनीतिक विशेषज्ञ तो इस साजिश को भी मानने से इंकार नहीं करते हैं कि चीन ने दुनिया में कोरोना से पहले इतना ज्यादा कर्जा दे दिया कि वायरस की चपेट में आकर कई देश अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में ही टूट गए। ऐसे देशों में चीन का अच्छा खासा निवेश भी था और कर्ज भी था। विशेषज्ञ कहते हैं या चीन की साजिश हो सकती है कि कोविड में आर्थिक रूप से टूटे हुए देश को चीन मदद देकर अपने मन मुताबिक तरीके से आने वाले दिनों के लिए इस्तेमाल करें। श्रीलंका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों के ताजा हालात इसके उदाहरण हैं।