भारत सरकार चीनी मोबाइल से संबंधित एक नई नीति बना दी जा रही है! मोदी सरकार ने चीनियों की दुखती रग छू ली है। बीते एक दशक में चीनियों ने हर हाथ में अपना मोबाइल थमाकर भारत से खूब कमाया है। बदले में ड्रैगन ने हमारा खून बहाया है। उसकी मोबाइल कंपनियों ने टैक्स चोरी की है। भारत के नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाई हैं। यह सब अब बर्दाश्त के बाहर हो चुका है। शायद यही वजह है कि सरकार ने इसी सेगमेंट में उसे चौतरफा मार देने की योजना बना ली है। भारत का स्मार्टफोन मार्केट कई अरब डॉलर का है। इस मार्केट में चीनी कंपनियों का दबदबा है। यह दबदबा काफी समय से कायम है। सरकार ने ऐसे कई कदम उठाए हैं और उठाने तैयारी में है जिनसे चीनियों की शामत आ सकती है। सस्ते स्मार्टफोन मार्केट में सरकार चीन के हाथ बांध देने वाली है। हाल में एक रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया था कि सरकार बजट स्मार्टफोन सेगमेंट में चीन का वर्चस्व खत्म करने लिए चीनी कंपनियों पर बंदिश लगाने की तैयारी में है। इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने बताया था कि सरकार स्मार्टफोन बनाने वाली कई कंपनियों के खिलाफ जांच कर रही है। भारतीय एजेंसियों के जांच के दायरे में शाओमी , ओप्पो और वीवो हैं। हाल में प्रवर्तन निदेशालय ने वीवो के दफ्तरों पर छापा मारा था। इनमें से एक ऑफिस में 2 किलो से ज्यादा सोना मिला था। यह इशारा करता है चीन के मोबाइल फोनों के लिए आगे की राह आसान नहीं रहने वाली है।
मार्केट से पत्ता साफ होगा
हाल में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें एक बड़ा दावा किया गया था। वह यह था कि सरकार 12,000 रुपये से कम कीमत वाले स्मार्टफोन मार्केट में घरेलू ब्रांडों को बढ़ावा देना चाहती है। इसके तहत इस सेगमेंट में चीन की कंपनियों को मोबाइल फोन बेचने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। अगर सरकार वाकई इस कदम को अमल करने के लिए आगे बढ़ती है तो इससे माइक्रोमैक्स, लावा, कार्बन और अन्य घरेलू ब्रांडों को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट कहती थी कि यह कदम स्मार्टफोन बनाने वाली चीन की कंपनियों के लिए बड़ा झटका होगा। यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल बाजार के लो-एंड से सेगमेंट से उन्हें बाहर कर देगा। इस सेगमेंट शाओमी और रियलमी जैसी चीन की कंपनियों की 50 फीसदी से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी है।
थोड़े आंकड़े और देखते हैं। शायद ये तस्वीर साफ करेंगे कि चीन की कंपनियां किस हद तक भारत में घुसी हैं। साल 2022 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में शाओमी भारत के मोबाइल फोन मार्केट की सबसे बड़ी कंपनी थी। इस ब्रांड ने 24 फीसदी ग्रोथ दर्ज की थी। भारत में इस दौरान 3 करोड़ 80 लाख से ज्यादा के स्मार्टफोनों का आयात हुआ। भारत में बिक्री के लिहाज से टॉप 5 ब्रांडों में रियमी की सबसे तेज ग्रोथ रही। वह इंडियन मोबाइल मार्केट में तीसरे नंबर पर है।
हालांकि, विडंबना देखिए। जो चीनी कंपनियां छप्पर फाड़ के यहां कमा रही हैं, वही जमकर टैक्स चोरी करने में लगी हैं। हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इसका जिक्र किया था। उन्होंने बताया था सरकार ने चीन की तीन मोबाइल फोन कंपनियों को इस मामले में नोटिस भेजा है। इन कंपनियों में ओप्पो, वीवो इंडिया और शाओमी शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक, टैक्स चोरी की रकम करीब 2,981 करोड़ रुपये की है।
बीते दिनों ED ने वीवो और उससे जुड़ी कई कंपनियों के दफ्तरों पर छापा मारा था। इस छापेमारी में उसने 465 करोड़ रुपये जब्त किए थे। इसके अलावा 2 किलो सोना भी जब्त किया था। पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ रहा है। इन कंपनियों ने भारी-भरकम रकम वीवो इंडिया को ट्रांसफर की। भारत में मोबाइल की बिक्री से से जो 1,25,185 करोड़ कमाए गए थे, उसमें से 62,476 करोड़ देश से बाहर चीन में भेज दिए गए। बाहर भेजी गई रकम को घाटा दिखाया गया ताकी टैक्स देने से बचा जा सके।
सरकार चीनी कंपनियों की चालबाजियों से उकता चुकी है। इसके अलावा वह ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहती है। भारत जिस तरह का रुख है, उससे साफ है कि वह आर-पार के मूड में है। वह चीन को गहरी चोट देना चाहती है। लेकिन, इसके लिए वह कोई गाजा-बाजा नहीं बजाना चाहती है। चीन को यह चोट धीरे से दी जाएगी। आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार के ये कदम सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं।