क्या बिहार मंत्रिमंडल विस्तार नई चुनौती खड़ी कर देगा?

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हाल ही में बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था! अपने निराले अंदाज के लिए याद किए जाने वाले लालू प्रसाद इन दिनों फिर चर्चा में है। इस बार राजनीतिक गलियारों में उनकी चर्चा का कारण बना इनका एक संदेश। यह संदेश लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को दिया है जिसमे उन्होंने कहा है कि भूमिहार हो, राजपूत हो या यादव या फिर और कोई जाति हो पर किसी दागदार को मंत्री पद नहीं देंगे। बस उनका ये संदेश क्या आया कि एक कहावत मीडिया जगत में फैलने लगी कि सौ चूहे खा कर बिल्ली चली हज को। दरअसल, बेंगलुरु से लौटने के बाद अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू यादव के घर चले गए। इनके घर जाते ही राजनीतिक गलियारों में हरकत तेज हो गई। ऐसे भी अनुमान था कि बेंगलुरु से लौट कर मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। लालू प्रसाद के नीतीश कुमार के घर क्या गए, महागठबंधन के दलों में सक्रियता बढ़ गई। राजनीतिक गलियारों में तब यह बात तेजी से फेल गई कि लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को संदेश दिया कि किसी जाति को बनाएं पर दागी को नहीं!

लालू प्रसाद के मुख से यह संदेश अजीब सा लगा। चर्चा यह हो रही है कि संदेश देने वाले खुद छह मामलों में सजायाफ्ता हैं और अभी बेल पर हैं। वर्तमान डेप्युटी सीएम भी चार्जशीटेड हैं। यहां तक कि इस संदेश के बाद लालू प्रसाद के संदेश के बाद लालू प्रसाद के दौरान मंत्रियों पर चर्चा शुरू हो गई। राजद नेता तस्लीमुद्दीन, शहाबुद्दीन, इलियास हुसैन, भोला राम तूफानी,विद्या सागर निषाद जैसे मंत्री हुआ करते थे।

राजनीतिक जगत में नीतीश कुमार का यूएसपी ही स्वच्छ छवि और सुशासन रही है। वहीं दूसरी ओर मंत्रियों के नाम दल के तरफ से आने हैं। पटना के दौरान राहुल गांधी ने मंत्रिमंडल विस्तार पर कहा था कि कब होगा! नीतीश कुमार ने लालू यादव और तेजस्वी यादव के तरफ किया था। और उसके बाद यह संदेश के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

लालू प्रसाद नीतीश कुमार पर दबाव बना कर रखना चाहते हैं। उनकी दिली इच्छा है कि तेजस्वी सीएम 2025 चुनाव के पहले बन जाएं। दबाव की राजनीति बनाए रखने को ले कर वे नीतीश कुमार को बेंगलुरु ले गए और नीतीश कुमार की पूरी बेइज्जती करा आए। बोल कर ले गए कि संयोजक बना कर लाएंगे और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पटना की बैठक में भी राहुल गांधी को दूल्हा बनाने की बात कह कर नीतीश कुमार के पीएम बनने का ख्वाब भी बड़ी चालाकी से तोड़ डाला। अब जो खुद सजायाफ्ता हो, चारा घोटाला, अलकतरा घोटाला जैसे घोटाले का किंग पिन रहा हो वह यह कहने नहीं जाएगा कि नीतीश जी दागदार को मंत्री नहीं बनाएंगे। पचता नहीं है।

बता दे कि एक महीने पहले राहुल गांधी ने नीतीश कुमार से पटना में हुई विपक्षी एकता की बैठक के बाद पूछा था कि मंत्रिमंडल विस्तार कब कर रहे हैं? तब नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की तरफ ही देखकर पूछा था क्या करना है. हाल ही में एक बार फिर से वही सवाल किया गया तो नीतीश कुमार ने एक बार फिर गेंद तेजस्वी यादव के पाले में फेंक दिया और कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी वजह से देरी नहीं हो रही बल्कि ये तेजस्वी को तय करना है. जाहिर है नीतीश कुमार के इस राजनैतिक बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है? जब मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है तो फिर मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की तरफ क्यों देख रहे हैं? इस पर आरजेडी, जेडीयू की प्रतिक्रिया दिलचस्प है जो कहते हैं मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है!

जाहिर है जब मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है मंत्रिमंडल विस्तार जिसके बारे में आरजेडी और जेडीयू के प्रवक्ता बोल रहे हैं तो फिर मुख्यमंत्री आरजेडी की तरफ क्यों गेंद फेंक रहे हैं? बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार पर कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव जल्द फैसला कर लें. मंत्रिमंडल विस्तार पर जल्द फैसला हो वो सही रहेगा! कांग्रेस को उम्मीद है जल्द से जल्द मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा लेकिन उसे भी पता नहीं कब होगा. बात सिर्फ यहीं नहीं रुकती है बल्कि कांग्रेस दो सीट की मांग पर अड़ी हुई है लेकिन सूत्र बताते हैं आरजेडी और जेडीयू एक से ज्यादा नहीं देना चाहती है. खबर ये भी है कि आरजेडी खासकर नहीं चाहती कि कांग्रेस को एक सीट से ज्यादा मिले इस पर भी आरजेडी और जेडीयू के साथ साथ कांग्रेस के अपने अपने तर्क हैं!