क्या राहुल गांधी से माफी मंगवा के मानेगी बीजेपी?

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राहुल गांधी से बीजेपी अब माफी मंगवा कर ही मानेगी! राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान पर हंगामा बरपा है। सत्ताधारी दल बीजेपी ने राहुल के बयानों की जमकर आलोचना की और अब संसद सत्र शुरू होते ही बवाल खड़ा कर दिया। बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद का सत्र सोमवार शुरू हुआ। लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों में बीजेपी सांसदों ने कार्यवाही शुरू होते ही राहुल गांधी के बयानों को देश विरोधी करार देते हुए उनसे माफी मांगने की मांग की। बीजेपी सांसद अपनी इस मांग को लेकर दोनों ही सदन में अड़ गए। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो देश के खिलाफ हो, इसलिए उनकी तरफ से मांफी मांगे जाने का सवाल ही नहीं उठता है। ‘माफी मांगो, नहीं मांगेंगे’ की खींचतान में दोनों सदनों की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सत्ताधारी दल के हंगामे के खिलाफ राज्यसभा के सभी विपक्षी सांसदों ने विजय चौक का रुख किया और फिर से सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी ने सच में कुछ गलत कह दिया है जो उन्हें नहीं कहना चाहिए? यह सवाल खासकर इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि गौतम अडानी की ग्रुप कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जो सरकार विपक्ष के हमले झेल रही थी, उसी को अब राहुल ने धारदार हथियार सौंप दिया है।

राहुल गांधी पिछले हफ्ते लंदन दौरे पर थे। उन्हें कैंब्रिज लेक्चर का निमंत्रण मिला था। राहुल ने वहां कैंब्रिज लेक्चर से इतर एक मीडिया इंटरेक्शन में कहा कि भारत में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है। वहां लोकतंत्र कब का मर चुका है। राहुल यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि जो अमेरिका और यूरोप खुद को लोकतंत्र का कथित रक्षक बताते हैं, उन्हें यह समझना होगा कि भारत का लोकतंत्र सिर्फ भारत के लिए ही मायने नहीं रखता है, उनके लिए भी महत्वपूर्ण है। बीजेपी इसी बयान को भारत विरोधी बता रही है। उसका कहना है कि राहुल गांधी ने अमेरिका-यूरोप को भारत की राजनीति में दखल का न्योता दिया है जैसा कि उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर कर चुके हैं। अय्यर ने पाकिस्तान में कहा था कि भारत में सरकार बदलकर कांग्रेस को सत्ता दिलाने में उसे (पाकिस्तान को) मदद करनी चाहिए। बीजेपी राहुल के लंदन दौरे को कांग्रेस के भारत विरोधी अभियान का पार्ट टू बता रही है।

राहुल गांधी ने अपने लंदन दौरे में पेगासस का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पेगासस के जरिए विपक्षी नेताओं की जासूसी की गई। ध्यान रहे कि पेगासस का मामला सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है जहां जांच के लिए 29 फोन जमा करवाए गए थे। इनमें पांच फोन में मैलवेयर मिला था, लेकिन यह पेगासस ही था, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ये मैलवेयर नेताओं की जासूसी ही कर रहे थे, इसका भी कोई सबूत नहीं है। बावजूद इसके राहुल गांधी ने लंदन में इस मुद्दे को उछाला। बहरहाल, बीजेपी राहुल गांधी के इस आरोप पर भी भड़की हुई है कि विपक्षी दलों को संसद में बोलने नहीं दिया जाता है। राहुल बार-बार कहते हैं कि वो जब संसद में बोलते हैं तो उनका माइक बंद कर दिया जाता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यही बात लंदन में दोहराई। हालांकि, राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए राहुल गांधी से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा भी था कि आपको (राहुल को) बोलने का हमेशा पूरा मौका मिलता है। बिरला ने राहुल से कहा कि वो ऐसा नहीं बोला करें कि उनका माइक बंद कर दिया जाता है क्योंकि यह सही नहीं है।

उन्होंने रविवार को कर्नाटक में कहा कि दुनियाभर में भारत की छवि खराब करने की कोशिश हुई है। उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय मंच से देश को नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को नहीं हिला सकती है। निश्चित रूप से पीएम का यह बयान का इशारा राहुल गांधी के उस वक्तव्य की तरफ ही है जिसमें उन्होंने भारत में लोकतंत्र की मौत का दावा किया है। बहरहाल, इस वर्ष राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। देखना होगा कि वहां के चुनावों पर राहुल गांधी के लंदन वाले बयानों का क्या असर होता है। लेकिन जिस तरह लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया, उससे बीजेपी के तेवर का अंदाजा तो लग ही रहा है।