बीजेपी इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ने की फिराक में है! नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों के शासन ने भारतीय जनता पार्टी को उसके उत्तरी आधार से दक्षिण की ओर और पश्चिमी गढ़ों से पूर्व की ओर विस्तार करने का शानदार मौका मुहैया कराया है। हर चुनाव में पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता दिखाई पड़ी है, जिससे वो और मजबूत होते गए हैं। बीजेपी की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि उसने एंटी-इन्कम्बेंसी की आग बुझाने की कला सीख ली है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 303 सीटों के रिकॉर्ड को तोड़ने की कोशिशों में जुटी है। सरकार की उपलब्धियों पर केंद्रित प्रचार अभियान के साथ चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। विपक्ष में चीजें धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं और एजेंडा अभी तक स्पष्ट नहीं है तो बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ डील लगभग फाइनल कर चुकी है। इससे 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा मिल सकता है। 2014 में बीजेपी का नारा था ‘अबकी बार मोदी सरकार’, 2019 में ‘मोदी है तो मुमकिन है’ और ‘एक बार फिर मोदी सरकार’ था। 2024 चुनाव के लिए ‘मोदी की गारंटी’ और ‘फिर आएगा मोदी’ जैसे नारों से आसमान गुंजाने की तैयारी है। ब्रैंड मोदी ने बीजेपी को कई विधानसभा और दो आम चुनाव में जीत दिलाए हैं। मोदी ने हमेशा चुनाव की जिम्मेदारी ली है और अपनी छवि और नाम पर जनादेश मांगा है। सरकारी योजनाओं और पार्टी के कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी ब्रैंड इमेज समाज के हर वर्ग पर अंकित हो गई है। 2024 का आम चुनाव एक तरह से ‘मोदी का चुनाव’ है क्योंकि वो शासन और पार्टी के अभियानों में सबसे आगे हैं। बीजेपी का नारा ‘सपना नहीं हकीकत बुनते हैं, तभी तो हम मोदी को चुनते हैं’ नरेंद्र मोदी पर भरोसे का पैमाना बताता है।’जब पीएम मोदी कहते हैं कि यह ‘मोदी की गारंटी’ है, तो लोगों के बीच एक अलग स्तर का विश्वास पैदा होता है। उनके पास डिलीवरी का ट्रैक रिकॉर्ड है और यह लोगों को सुनिश्चित करता है कि अगर वह वादा करते हैं, तो उसे पूरा भी करेंगे।’
पिछले 10 वर्षों में बीजेपी ही एकमात्र पार्टी है जो अपने मूल मतदाताओं को बरकरार रखने, आधार का विस्तार करने और नए मतदाता वर्ग को जोड़ने में सफल रही है। 2014 में इसे 31% वोट और 282 सीटें मिलीं। 2019 में वोट शेयर बढ़कर 37% और लोकसभा सीटें 303 हो गईं। इस यात्रा में बीजेपी के मूल मतदाताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो उनकी विचारधारा के कारण पार्टी को वोट देते हैं। पार्टी ने अब 2024 के लिए 50% वोट शेयर का लक्ष्य निर्धारित किया है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के खात्मे, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार, उज्जैन में महाकाल लोक से लेकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तक, मोदी सरकार ने बीजेपी और उसके वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस के मुख्य एजेंडे को जमीन पर उतारा है।
बीजेपी का डेवलपमेंट एजेंडा उसे शहरी वोटरों और गांवों के उन युवाओं का समर्थन दिला रहा है जो मोदी के नेतृत्व में भारत के विकास को लेकर आश्वस्त हैं। ये लोग मोदी की ज्यादा तारीफ 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और विकसित राष्ट्र बनने के सपने को सच करने के लिए करते हैं। शहरी वोटर बीजेपी के साथ लगभग दो दशकों से हैं। भाजपा युवाओं को अपनी ओर खींचने के लिए मेहनत कर रही है और मोदी को सुधारों का चेहरा बना रही है। ‘रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म’, ‘मेक इन इंडिया’ जैसे नारे युवाओं को खूब भा रहे हैं। युवाओं का मन जीतकर ही पार्टी कई चुनाव जीत चुकी है।
2024 में बीजेपी और युवाओं को जोड़कर वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही है। 50% वोट पाने के लिए विकास से प्रभावित मतदाता बहुत जरूरी हैं। जी-20 और चंद्रयान जैसे कार्यक्रमों ने युवाओं का भरोसा बढ़ाया है। सरकार गरीब और कम आय वाले परिवारों के युवाओं के लिए नई लॉन्च की गई विश्वकर्मा योजना के तहत कौशल विकास पर ध्यान दे रही है। चुनाव से पहले भाजपा के शीर्ष नेता अलग-अलग शहरों में समाज के प्रभावशाली लोगों के साथ बंद कमरे में बैठक करेंगे। ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के जरिए सरकार युवाओं को विकसित भारत का ब्रैंड एंबेसडर बनने का न्योता दे रही है। इससे 2024 में पार्टी के लिएभाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार की कई योजनाओं को लागू करके निचले वर्गों के बड़े हिस्सा को अपने वोट बैंक में तब्दील कर दिया है। उन्हें ‘लाभार्थी’ कहा जाता है। सरकार इनकी संख्या करीब 80 करोड़ बताती है जिन्हें मोदी सरकार की कम से कम एक योजना का फायदा जरूर मिला है। यह सालों में जाति से परे पार्टी के लिए एक मजबूत वोट बैंक बन गया है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी इस वोट बैंक को मजबूत करती रहेगी। देशभर में जिला बीजेपी कार्यालयों में लगभग 300 कॉल सेंटर पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। पार्टी इन कॉल सेंटरों के जरिए लाभार्थियों से सीधे जुड़ेगी। सरकार ने लक्ष्य है कि वह चालू ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के जरिए योजनाओं का प्रचार करते हुए पांच से सात करोड़ नए लाभार्थियों को भाजपा से जोड़ेगी। एक मजबूत वोट बैंक बनेगा।
बीजेपी ने उत्तर, पूर्वोत्तर और मध्य भारत में अपनी स्थिति मजबूत की है, लेकिन 2024 के चुनावों के लिए कई राज्यों में राजनीतिक समीकरणों का बदलाव और दक्षिण में कांग्रेस का मजबूत होना पार्टी के लिए चिंता का सबब है। दक्षिण में जीत हासिल करना हमेशा मुश्किल रहा है। 2019 में पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा जहां कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु और पुदुचेरी से 130 लोकसभा सीटों में से 29 सीटें जीती गईं। इनमें से 25 कर्नाटक से और 4 तेलंगाना से थीं। इस साल की शुरुआत में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस को तेलंगाना की जीत से दक्षिण में और मजबूती मिल गई है। इससे लोकसभा सीटों के मामले में कांग्रेस बीजेपी को चुनौती देने लगी है।
भाजपा कर्नाटक में पकड़ कायम रखने के लिए जनता दल सेक्युलर जेडीएस के साथ गठबंधन कर रही है। तेलंगाना में गृह मंत्री अमित शाह ने 17 में से 10 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भाजपा ने तमिलनाडु में एआईएडीएमके के दोनों गुटों को एक करने पर काम कर रही है और पार्टी के साथ गठबंधन की योजना बना रही है। आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की जनसेना के साथ गठबंधन है। शीर्ष बीजेपी नेता दक्षिण पर विशेष ध्यान दे रहे हैं क्योंकि पार्टी अपनी पिछला प्रदर्शन बरकरार रखना चाहती है। नए साल में प्रधानमंत्री मोदी का दौरा 3 और 4 जनवरी को तमिलनाडु, पुदुचेरी और केरल से शुरू होगा।