Friday, September 20, 2024
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क्या उपराष्ट्रपति मामले में बीजेपी को होगा फायदा?

उपराष्ट्रपति मामले में बीजेपी को अब फायदा हो सकता है! उत्तर प्रदेश में इस समय उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अपमान का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस मामले को भारतीय जनता पार्टी व्यापक मुद्दे के रूप में उठा रही है। वहीं, विपक्ष इस घटना को सही तरीके से डिफेंड भी नहीं कर पा रही है। कभी विपक्षी दलों की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी की मिमिक्री के वीडियो लाए जा रहे हैं तो कभी विपक्षी नेताओं के खिलाफ बयान को सामने लाया जा रहा हे। लेकिन, संवैधानिक उप राष्ट्रपति के पद पर बैठे जगदीप धनखड़ के अपमान को किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा रहा है। इस मामले को लेकर हर तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। जाट समुदाय की ओर से इस घटना को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया जा रहा है। वहीं, भाजपा इस मामले को लेकर ओबीसी के अपमान के मुद्दे को उठाया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे खुद के दलित होने की बात करते हुए न बोलने देने की बात करने लगे हैं। संसद के सुरक्षा में चूक का मसला अब जातीय लड़ाई तक पहुंच गया है। ऐसे में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के सहयोगियों को यूपी में परेशानी झेलनी पड़ सकती है। अखिलेश यादव का PDA पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक फ्रंट और जयंत चौधरी की जाट- मुस्लिम एकता की कवायद पर चोट पहुंचती दिख रही है। लोकसभा में सुरक्षा चूक के मामले पर संसद की कार्यवाही को लगातार स्थगित किया जा रहा था। मामले में विपक्ष की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग की जा रही थी। इसी दौरान संसद की सुरक्षा चूक मामले पर कड़े विरोध के बाद हंगामा करने वाले सांसदों के निलंबन की कार्रवाई शुरू हुई। लोकसभा के साथ- साथ राज्यसभा से भी सांसदों को निलंबित किए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। करीब 143 सांसदों का निलंबन हुआ। इसके खिलाफ संसद के बाहर निलंबित सांसदों ने प्रदर्शन किया। इसी क्रम में तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने राज्यसभा के सभापति और पूर्व राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतारनी शुरू कर दी। उप राष्ट्रपति ने इसे चेयर का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा कि ओबीसी समाज से आने के कारण इस प्रकार का अपमान उन्हें झेलना पड़ा है। उप राष्ट्रपति ने साफ कहा कि हम चेयर का अपमान नहीं होने देंगे। उप राष्ट्रपति के अपमान मामले पर पीएम मोदी ने भी उन्हें फोन किया। 20 वर्षों से विपक्ष की ओर से किए जा रहे अपमान की बात उठाई। इसके बाद भाजपा ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाकर विपक्ष को घेरना शुरू कर दिया।

उप राष्ट्रपति के अपमान का मामला जातीय अपमान पर पहुंच गया। जाट संगठनों ने इस मामले में उप राष्ट्रपति का समर्थन किया। इसे समाज के अपमान के रूप में पेश किया गया। विपक्षी दलों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया है। सबसे अधिक असर पश्चिमी यूपी में देखने को मिल रहा है। यूपी की आबादी में जाट जनसंख्या करीब दो फीसदी है। लेकिन, पश्चिमी यूपी में यह आबादी बड़े क्षेत्र में अपना प्रभाव रखती है। इस वर्ग से कई अन्य जातियां जुड़ती हैं, जो जाट वोट बैंक के साथ- साथ आगे बढ़ती हैं। पश्चिमी यूपी की 22 लोकसभा सीटों पर जाट जनसंख्या जीत- हार का अंतर तय करती है। इन सीटों पर किसान आंदोलन के बाद से राष्ट्रीय लोक दल का प्रभाव बढ़ा था। लेकिन, उप राष्ट्रपति के अपमान का मामला गरमा गया है। जाट वोट बैंक सीधे तौर पर बिरादरी के आत्मसम्मान को मुद्दा बनाने की तैयारी में है।

भाजपा ने जाट वोट बैंक को साधने के लिए पहले मुरादाबाद में चौधरी चरण सिंह की जयंती कार्यक्रम को भव्य तरीके से मनाने का निर्णय लिया है। मुरादाबाद के बिलारी कस्बे में अखिल उत्तर प्रदेश जाट महासभा की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 51 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया है। 23 दिसंबर को पूर्व पीएम की जयंती के मौके पर इसका अनावरण होगा। इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और सीएम योगी आदित्यनाथ मुख्य रूप से मौजूद होंगे। इससे पहले जाट आत्मसम्मान का मुद्दा गरमाने लगा है।

अखिलेश यादव ने पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक समाज को साधने की रणनीति पर काम शुरू किया। यूपी चुनाव में करारी हार के बाद उन्होंने माय मुस्लिम- यादव समीकरण में अन्य पिछड़ी और दलित जातियों के वोट को जोड़ने की कोशिश शुरू की। इसको लेकर सपा की ओर से प्रदेश में प्रयास भी किए गए। लेकिन, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के सहयोगी के तौर पर अखिलेश यादव इस मामले में कोई भी बयान नहीं दे रहे हैं। संसद की सुरक्षा और सांसदों के निलंबन पर तो वे भाजपा को घेर रहे हैं। लेकिन, उप राष्ट्रपति के अपमान पर उनका कोई बयान नहीं आया है। अखिलेश ने पिछले दिनों ओबीसी का मुद्दा खूब गरमाया था। ओबीसी को साधने के लिए वे भाजपा पर हमले कर रहे थे। जातीय जनगणना के मुद्दे को उठाकर ओबीसी समाज को सामाजिक न्याय दिलाने की बात कर रहे थे। अब इसी ओबीसी समाज के संवैधानिक पद पर बैठे नेता के अपमान मामले में उनकी ओर से कोई बात नहीं किए जाने को भाजपा मुद्दा बना रही है।

मुजफ्फरनगर के 2013 के दंगों के बाद से जाट वोट बैंक अलग हो गया। जाट- मुस्लिम गठजोड़ हमेशा राष्ट्रीय लोक दल को फायदे में रखता था। किसान आंदोलन के बाद से जाट वोक बैंक का एक वर्ग रालोद के साथ जाता दिखा। लेकिन, अब जगदीप धनखड़ के अपमान का मुद्दा अब जोर पकड़ रहा है। जयंत भी विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. का हिस्सा हैं। ऐसे में वे भी इस मामले में कोई भी बयान नहीं दे रहे हैं। एक तरफ भाजपा जाट और ओबीसी के अपमान के मामले को चुनावी मुद्दा बनाकर जमीन पर उतारने में जुट गई है। यूपी में सपा और रालोद के सामने पहले से मुसीबत बनी भाजपा इस मौके को जमीन पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है। पार्टी की ओर से पहले ही मिशन 80 पर काम किया जा रहा है।

बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले में बीच का रास्ता अपनाया है। उन्होंने संसद में सुरक्षा चूक को गंभीर मामला बताते हुए सरकार को घेरा। भाजपा को कटघरे में खड़ा किया। साथ ही, विपक्ष को भी नसीहत दे डाली। मायावती ने कहा कि उप राष्ट्रपति का पद संवैधानिक होता है। हर दल को इसकी गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अपमान अनुचित है। ऐसे में भाजपा के खिलाफ का वोट बैंक सपा- रालोद- कांग्रेस से छिटककर बसपा की तरफ जा सकता है। I.N.D.I.A. के लिए यह चिंतनीय स्थिति बन गई है।

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