बीजेपी अब विपक्ष के INDIA गठबंधन को तोड़ सकती है! चुनावों से पहले बहुत कुछ होता है। तमाम तरह के जोड़तोड़ होते हैं। सेंधमारी होती है। कब कौन किधर हो जाए कुछ पता नहीं चलता। सब कुछ अचानक ही होता है। अगला लोकसभा चुनाव भी इससे अछूता नहीं रहने वाला। यही कारण है कि हर ऐक्शन के मायने निकाले जाने लगते हैं। फिर चाहे प्रतिद्वंद्वियों की आपसी मुलाकात हो या उनका एक-दूसरे के लिए सॉफ्ट होना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उदयनिधि स्टालिन से मुलाकात के बाद शुक्रवार को ममता बनर्जी को बर्थडे विश करना उसी चश्मे से देखा जा रहा है। उदयनिधि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम द्रमुक पार्टी के नेता हैं। वह तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे और मंत्री भी हैं। ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस चीफ हैं। दोनों विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के घटक दल हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम के इस जेस्चर की क्या वजह हो सकती है? आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी। बनर्जी इस दिन 69 वर्ष की हो गईं। पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं। मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं।’
इसके पहले तमिलनाडु के मंत्री और द्रमुक पार्टी के नेता उदयनिधि स्टालिन ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने प्रधानमंत्री को इस महीने के अंत में चेन्नई में होने वाले खेलो इंडिया यूथ गेम्स के उद्घाटन समारोह के लिए न्योता दिया। उदयनिधि ने कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात की। पीएम से मुलाकात के बाद उदयनिधि ने पोस्ट में लिखा, ‘हमारे मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के अनुरोध के अनुसार मैंने तमिलनाडु के बाढ़ प्रभावित जिलों में व्यापक राहत, बहाली और पुनर्वास कार्य करने के लिए प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय आपदा राहत कोष को तत्काल जारी करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने हमें आश्वासन दिया कि वह आवश्यक कदम उठाएंगे।’ उदयनिधि स्टालिन की इस मुलाकात से पहले प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कई योजनाओं का उद्घाटन किया था। तमाम की आधारशिला रखी थी। एमके स्टालिन के साथ कई अवसरों पर पीएम मंच साझा करते दिखे थे।
लोकसभा चुनाव से पहले विरोधियों के साथ पीएम के इस रुख के मतलब निकाले जाने लगे हैं। द्रमुक और टीएमसी स्थानीय दल हैं। इनका अपने-अपने क्षेत्रों में जबर्दस्त प्रभाव है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में सीट शेयरिंग का अब तक कोई ठोस फॉर्मूला नहीं निकल पाया है। ऐसे में सभी तरह के विकल्प खुले हुए हैं। ममता वैसे भी कांग्रेस और राहुल गांधी को कुछ खास पसंद नहीं करती हैं। कई मौकों पर यह बात सामने भी आ चुकी है। बंगाल में वह कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बिल्कुल भी नरम नहीं पड़ने वाली हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कई तरह के समीकरण बन सकते हैं। कुछ चौंकाने वाले भी! यह बीजेपी की विरोधी खेमे में फूट डालने की कोशिश का हिस्सा भी हो सकता है। कुछ विरोधी दलों के साथ नरम रुख रखकर बीजेपी की मंशा I.N.D.I.A खासतौर से कांग्रेस में खलबली पैदा करना भी हो सकती है। भगवा पार्टी का यह दिखाने का प्रयास भी हो सकता है कि मौका पड़ने पर वह इनमें से किसी दल के साथ जुड़ने में परहेज नहीं करने वाली है। यही नहीं, दूसरे दलों के नेताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए पार्टी पूरी तरह से खुली हुई है। यहां तक उसने इसके लिए समिति तक बनाई है।
पीएम मोदी का विरोधी दलों के नेताओं के साथ इस तरह का व्यवहार स्वस्थ राजनीति का भी संदेश देता है। इससे लोगों में बीजेपी के लिए अच्छी छवि तैयार होती है। ऐसे में यह बीजेपी की इमेज बिल्डिंग का हिस्सा भी हो सकता है। संसद के पिछले सत्र के दौरान बीजेपी ने बड़ी संख्या में विपक्ष के सांसदों के निलंबन को उनके अनुचित व्यवहार के साथ जोड़ा था। वह दिखाना चाहती है कि विचारों में मतभेद हो सकता है। लेकिन, मनभेद अच्छी बात नहीं। पीएम भी कहते रहे हैं कि सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना देश को नुकसान पहुंचा सकता है। इस बात में शक नहीं कि लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी किसी भी और दल से ज्यादा आक्रामक दिख रही है। वह छोटी से छोटी चीज पर ध्यान देने में लगी है। पार्टी किसी के लिए कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती है। अभी इस तरह की आक्रामकता दूसरे दलों में नहीं दिख रही है।