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क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में इतिहास रचेगी बीजेपी?
Friday, April 18, 2025
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क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में इतिहास रचेगी बीजेपी?

बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में इतिहास रच सकती है! लोकसभा चुनाव 2024 की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। तमाम राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को पूरा कराने में जुट गए हैं। इस क्रम में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को भी जमीन पर उतारने की तैयारियां तेज हैं। इन तैयारियों के बीच टाइम्स नाउ ईटीजी सर्वे रिपोर्ट ने विपक्ष की ओर से किए जा रहे तमाम दावों की हवा निकाल दी है। लोकसभा चुनाव को लेकर कराए गए टाइम्स नाउ ईटीजी सर्वे में देश की बड़ी तस्वीर निकल कर सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाती इस सर्वे रिपोर्ट में दिख रही है। पार्टी को अपने दम पर देश में 308 से 328 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। वहीं, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. बहुमत से कोसों दूर दिख रही है। I.N.D.I.A. की सबसे प्रमुख दल कांग्रेस को अपने दम पर एक बार फिर 52 से 72 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान जताया गया है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, एक बार फिर भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाने में उत्तर प्रदेश बड़ी भूमिका निभाने वाला है। भाजपा को प्रदेश की 70 से 74 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान जताया गया है। यह विपक्षी गठबंधन के नेता अखिलेश यादव के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले आंकड़े हैं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारी में सत्ता पक्ष- विपक्ष लगातार जुटा हुआ है। विपक्षी धरे की अगुआई समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कर रहे हैं। अखिलेश यादव खुद को विपक्षी गठबंधन का सबसे बड़ा नेता बताते हुए अभी से ही सीट बंटवारे को लेकर अपनी भूमिका तय करने में जुटे हुए हैं। वहीं, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल की अपनी- अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। इन सबके बीच लोकसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी हुई है। पार्टी की ओर से हर जिले में अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। पार्टी चुनाव को ध्यान में रखते हुए उन इलाकों को टारगेट कर रही है, जहां उसकी स्थिति मजबूत नहीं रही है। मोदी की गारंटी के साथ पार्टी के कार्यकर्ता लोगों को जोड़ने के अभियान में जुटे हैं। पार्टी ऐसे इलाकों में मतदाताओं को साध रही है। वहीं, विपक्ष की सारी लड़ाई सीटों के बंटवारे पर टिकी हुई दिख रही है। जमीन पर पकड़ बनाने के प्रयास उस स्तर पर काम करते नहीं दिख रहे हैं।

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के सामने अभी तक सबसे बड़ा संकट रणनीति का अभाव का है। पार्टी केंद्र की नरेंद्र मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने के लिए ठोस मुद्दे तलाश रही है। यूपी चुनाव 2022 के दौरान अखिलेश यादव ने माहौल बनाया था। लेकिन, अंत में सरकार के खिलाफ कोई ठोस मुद्दा नहीं बन पाने के कारण उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिल सकी। पार्टी अपने वोट प्रतिशत में वृद्धि पर ही खुश होती रही है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव अप्रैल- मई हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में विपक्षी गठबंधन के पास रणनीति का अभाव उनकी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

अखिलेश यादव प्रदेश स्तर पर सक्रिय होते हैं, लेकिन निरंतरता का अभाव दिख रहा है। वहीं, जयंत चौधरी खुद को पश्चिमी यूपी में सीमित रखे हैं। कांग्रेस की रणनीति बन ही नहीं पा रही है। इसका कारण पार्टी की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा का डेढ़ साल से गायब होना है। पार्टी अध्यक्ष अजय राय अपने स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, बूथ स्तर को मजबूत करने और कैडर खड़ा करने में पार्टी अभी पिछड़ती दिख रही है। विपक्षी गठबंधन की तैयारी और दावों की पोल खोल कर रख दी है। अभी चुनाव होने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर प्रदेश की 70 से 74 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। वहीं, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को 4 से 8 सीटों पर जीत मिल सकती है। मतलब, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल मिलकर भी भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला कर पाने में प्रदेश में सफल होते नहीं दिख रहे हैं। वहीं, भतीजे को राजनीतिक वारिस घोषित किए जाने के बाद मायावती कोई खास लाभ हासिल करती दिख नहीं रही हैं। आकाश आनंद को सीधे भाजपा से मुकाबले के लिए अभी और तजुर्बा लेना होगा। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर 2014 वाली स्थिति में पहुंचती दिख रही है।

लोकसभा चुनाव 2019 में बसपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर सीटों को डबल डिजिट में पहुंचा दिया था। 2014 में बसपा को किसी सीट पर जीत नहीं मिली थी। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा शून्य से बढ़ते हुए 10 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अपने दम पर उतरने का दावा कर रही है। ऐसे में सर्वे रिपोर्ट में पार्टी को शून्य से 1 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है। अन्य के खाते में एक से तीन सीट जा सकती है।

विधानसभा चुनाव 2017 को देखें तो इसमें सपा- कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में थी। रालोद का भी समर्थन था। अखिलेश यादव तब सीएम थे। लेकिन, भाजपा लहर में सब उड़ गए। भाजपा ने 24.67 फीसदी वोटों का स्विंग हासिल करते हुए 39.67 फीसदी वोट बैंक पर कब्जा जमाया। अकेले दम पर यूपी की 312 सीटें जीत ली। वहीं, सपा- कांग्रेस गठबंधन 7.33 फीसदी वोटों के नुकसान के साथ 21.82 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब हुई। सपा को महज 47 सीटों पर जीत मिली। बसपा को भी इस चुनाव में 3.68 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ। पार्टी 22.23 फीसदी वोट शेयर के साथ 19 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही।

यूपी चुनाव 2022 में भले ही भाजपा की सीटें घटीं, लेकिन वोट स्विंग पॉजिटिव संकेत के साथ आया। पार्टी के पक्ष में 1.62 फीसदी वोट स्विंग दिखा। बीजेपी 41.29 फीसदी वोट शेयर के साथ 255 सीटें जीतने में कामयाब रही। वहीं, सपा के पक्ष में 10.24 फीसदी वोट स्विंग हुआ। रिकॉर्ड 32.06 फीसदी वोट हासिल कर सपा ने 111 सीटें जीती। वहीं, कांग्रेस को 3.92 और बसपा को 9.35 फीसदी वोटों का नुकसान झेलना पड़ा। अब बारी लोकसभा चुनाव की है। ऐसे में दावे भले ही बड़े-बड़े किए जा रहे हों, लेकिन भाजपा को रोकने की रणनीति बड़े स्तर पर नहीं दिखती है।

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