क्या कतर में मिली सफलता के लिए बीजेपी को 2024 में मिलेगी सफलता?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कतर में मिली सफलता के लिए बीजेपी को 2024 में सफलता मिलेगी या नहीं! महंगाई, बेरोजगारी, संसद सुरक्षा चूक समेत कई मामलों को लेकर पीएम मोदी और बीजेपी को घेरने की रणनीति में व्यस्त I.N.D.I.A. गठबंधन के सामने आज फिर एक और नई चुनौती आ गई है। यह चुनौती है पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता जिसका असर ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी दिखाई दे रहा है। दरअसल कतर में पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा पर रोक लग गई है। इसे भारतीय कूटनीति और पीएम मोदी की बहुत बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिसंबर की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की थी और यह बड़ा फैसला उसी मुलाकात का असर है। यह बड़ा फैसला ऐसे में वक्त में आया है, जब देश में कुछ ही महीनों बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कतर पर भारत की कूटनीतिक जीत को बीजेपी पीएम मोदी की बड़ी कामाबाबी के तौर पर भुनाएगी। आगामी लोकसभा चुनावों की रैलियों में बीजेपी इस मुद्दे को देश की जनता के सामने लेकर जाएगी। बीजेपी इस मुद्दे पर चुनावी फायदा लेने की कोशिश करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी से दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने काफी देर तक बातचीत भी की थी। मुलाकात के एक दिन बाद दो दिसंबर को पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया था, ‘कल दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर महामहिम शेख तमीम बिन हमदद अल थानी से मिलने का अवसर मिला। द्विपक्षीय साझेदारी की संभावना और कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर हमारी अच्छी बातचीत हुई।’ कतर की ओर से इस मुलाकात को लेकर कोई खास जानकारी नहीं दी गई।

पीएम मोदी ने हाल ही में कहा था कि ‘जब सभी से उम्मीद खत्म हो जाती है, तब ‘मोदी की गारंटी’ शुरू होती है।’ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी की गारंटी का फॉर्मूला बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। कतर में 8 पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा पर रोक इसका बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है। बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी की गारंटी का जिक्र करते हुए कतर मामला जनता के सामने जरूर उठाएगी। पीएम मोदी कई जनसभाओं में बोल चुके हैं कि देश या देश से बाहर भारत के नागरिकों की सुरक्षा सरकार के लिए पहली प्राथमिकता है। रूस और यूक्रेन युद्द के दौरान भी कई भारतीयों को सुरक्षित भारत लाया था। वहीं हाल ही में इजरायल और हमास युद्ध के दौरान भी भारतीयों की युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित घर वापसी हुई थी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दुनिया में पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता का फायदा बीजेपी लोकसभा चुनाव में मिलना तय है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कतर में इंडियन नेवी के 8 पूर्व कर्मचारियों को मौत की सजा सुनाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकार पर हमला बोला था। तिवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा था कि उन्होंने पिछले साल संसद में भी इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री ने न तो पूर्व नौसैनिकों के परिजनों की बात को गंभीरता से ली और न ही एक्स-सर्विसमेन की बातों को। यहां तक कि संसद सदस्य की बातों को भी गंभीरता से नहीं लिया गया जो त्रासद है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे को कतर सरकार के साथ सर्वोच्च स्तर पर उठाना चाहिए और पूर्व नेवी अफसरों को घर लाना चाहिए।

उधर हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरा था। उन्होंने पीएम मोदी पर भी तंज कसा था कि वह इस बात की ‘शेखी बघारते’ रहते हैं कि इस्लामी देश उनसे कितना प्यार करते हैं। ओवैसी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था, ‘अगस्त में मैंने कतर में फंसे पूर्व नौसेना अधिकारियों का मुद्दा उठाया था। आज उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। नरेंद्र मोदी शेखी बघार चुके हैं कि इस्लामी देश उनसे कितना प्यार करते हैं। उन्हें हमारे पूर्व नौसेना अधिकारियों को वापस लाना होगा।’ लेकिन कतर पर पीएम मोदी को बड़ी कामयाबी मिल गई है, जिससे विपक्षी दलों को करारा जवाब मिला है। कतर की एक अदालत ने अक्टूबर में 7 सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारियों और एक नाविक को मौत की सजा सुनाई। ये लोग अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के कर्मचारी थे, जो एक निजी कंपनी थी जो कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती थी। उन्हें पिछले साल अगस्त से अज्ञात आरोपों के चलते गिरफ्तार किया गया था। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि उन पर कथिक रूप से जासूसी के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

भारत और कतर के बीच दो दिसंबर 2014 को एक संधि हुई थी। इस संधि के तहत भारत और कतर दोनों देश एक-दूसरे की जेलों में बंद नागरिकों को अपनी बाकी बची सजा काटने के लिए उनके देश भेज सकेंगे। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पूर्व भारतीय नौसैनिकों के मामले में भी ऐसा देखने को मिल सकता है। वह अपनी शेष सजा भारत की ही जेल में काट सकते हैं।