यह सवाल उठना लाजिमी है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली की सीटों को लेकर एक हो पाएंगे या नहीं! लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते-आते भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के खिलाफ बना इंडिया गठबंधन अब खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। पंजाब में लोकसभा के सभी सीटों पर अपने कैंडिडेट देने की घोषणा के बाद दिल्ली की सतारूढ़ आम आदमी पार्टी ने अब राजधानी में भी ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने की रणनीति में जुट गई है। पार्टी ने दिल्ली की 7 सीटों में से केवल एक सीट ही कांग्रेस को ऑफर की है। देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए ये किसी झटका से कम नहीं है। आप के ऑफर पर स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं में काफी रोष है। स्थानीय वर्कर तो इसे पार्टी के लिए बेइज्जती तक करार दे रहे हैं। आप के ऑफर के बाद दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि इसपर आलाकमान से बात कर फैसला किया जाएगा। लेकिन जिस तरह से आप ने कांग्रेस को राजधानी दिल्ली में महज एक सीट का ऑफर दिया है, इसे देखते हुए साफ कहा जा सकता है कि देर-सबेर दिल्ली में भी आप और कांग्रेस के रास्ते अलग हो सकते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 46.40 प्रतिशत था। वहीं, आप को उस चुनाव में करीब 33 प्रतिशत वोट मिले थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 57 प्रतिशत हो गया था। आप का वोट प्रतिशत इस दौरान घटकर 18 फीसदी आ गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 22.5 फीसदी वोट मिले थे। इंडिया टुडे के हाल में किए गए मूड ऑफ द नेशन सर्वे में जो आंकड़े आए थे वो भी चौंकाने वाले थे। इसके अनुसार अगर अभी राज्य में लोकसभा चुनाव हो जाए तो बीजेपी को को 56.6 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं जबकि कांग्रेस इस बार दूसरे नंबर पर रहेगी और उसे 25.3 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है। वहीं आप को महज 14.9 प्रतिशत वोट ही मिल पाएगा।
2014 को लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसे कुल 46.63 प्रतिशत वोट मिले थे। 16वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था और उसका वोट प्रतिशत 15.22 रहा था। वहीं आप को भी सभी सीटों पर हार मिली थी लेकिन उसका वोट प्रतिशत कांग्रेस से ज्यादा था। आप को 33.08 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि, 2019 के संसदीय चुनावों में, कांग्रेस ने आप से बेहतर प्रदर्शन किया, सात में से पांच सीटों पर दूसरा नंबर पर रही थी, जबकि आप केवल दो सीटों पर ही दूसरे नंबर पर रही थी। लेकिन अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2019 के आम चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस ने आप से बेहतर प्रदर्शन किया था। बीजेपी ने पिछले चुनाव में सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उसे कुल 56.9 प्रतिशत वोट मिले थे। बीजेपी को कुल 4,908,541 लाख वोट मिले थे। कांग्रेस को 2019 के चुनाव में 22.5 प्रतिशत वोट मिले थे और उसे कुल 1,953,900 लाख वोट मिले। वहीं, आप को पिछले लोकसभा चुनाव में 18.1 फीसदी वोट मिले थे और उसे कुल 1,571,687 लाख वोट मिले थे।
एक वक्त था जब दिल्ली में शीला दीक्षित के समय में राजधानी में कांग्रेस का बोलबाला था। पार्टी लगातार तीन बार राज्य की सत्ता में आई थी। लेकिन आप के उदय और शीला सरकार के पतन के बाद कांग्रेस धीरे-धीरे राजधानी में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। पिछले दो बार के विधानसभा चुनाव में तो पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई। आप के नेता संदीप पाठक ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में सीट बंटवारे में देरी के कारण आप दिल्ली की 6 लोकसभा सीटों पर अपने कैंडिडेट का ऐलान करने के लिए मजबूर होगी। ऐसे में कांग्रेस के लिए केवल एक ही सीट बचेगी। आप नेता ने कहा, कांग्रेस के पास लोकसभा में शून्य सीटें और विधानसभा में शून्य सीटें हैं। पिछले साल एमसीडी चुनावों में, कांग्रेस ने 250 में से नौ वार्ड जीते थे। यदि आप योग्यता के आधार पर और आंकड़ों के आधार पर देखें, तो कांग्रेस एक सीट की भी हकदार नहीं है। लेकिन गठबंधन धर्म का ध्यान रखते हुए हम उन्हें एक सीट की पेशकश करते हैं। लेकिन कांग्रेस इस बेइज्जती को सहन करने के मूड में नहीं है। पार्टी के कार्यकर्ता इस बात के लिए राजी ही नहीं है। ऐसे में कांग्रेस आप के दिल्ली वाले ऑफर को स्वीकार करे इस बात की संभावना बेहद कम लगती है। जिस तरह आप ने एकतरफा फैसला लेते हुए उसे महज एक सीट देने की बात कही है उससे दोनों दलों के बीच रिश्ते में भी कड़वे हो सकते हैं।
आप ने कांग्रेस को केवल एक सीट का ऑफर देने के पीछे विधानसभा और एमसीडी चुनावों का भी हवाला दिया। आप नेता ने कहा कि कांग्रेस ने 250 वार्डों में से कांग्रेस ने 2022 में केवल 9 सीट ही जीत पाई थी। जबकि विधानसभा चुनावों में तो पिछले दो बार से कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई है। आप ने तो यहां तक कह दिया कि मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से तो कांग्रेस पार्टी एक सीट की भी हकदार नहीं है।
जिस तरीके इंडिया गठबंधन के दलों में अभी तनातनी चल रही है ऐसे में साफ कहा जा सकता है कि ये गठबंधन फिलहाल तो नाम की ही रह गई है। दिल्ली में आप के ऑफर के बाद तो साफ कहा जा सकता है कि यहां भी दोनों दलों के बीच गठबंधन की उम्मीदें सफल होती नहीं दिख रही है। पार्टी के कई नेता दबी जुबान स्वीकार कर रहे हैं कि आप का ऑफर मंजूर होना संभव नहीं है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ये लोकसभा चुनाव है और कांग्रेस एक राष्ट्रीय दल है। इसके अलावा 2019 के चुनाव में पार्टी 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट पर वह लड़ने की सोच भी नहीं सकती है।