वोट पाने के लिए कांग्रेस अब हिंदुओं के खातिर भी सोच सकती है! कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को 138वां स्थापना दिवस मनाया। करीब 8 साल से केंद्र की सत्ता से दूर कांग्रेस 2024 आम चुनाव की तैयारी में है। मल्लिकार्जुन खरगे के रूप में कांग्रेस के पास नया अध्यक्ष है। पार्टी के सांसद और भावी प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट किए जा रहे राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा पर हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कैसे हराया जाए? कांग्रेस की रणनीति कैसी होगी, इसका अंदाजा मिलने लगा है। राहुल समेत तमाम नेता ‘सबको साथ लेकर’ चलने की बात करते हैं। राहुल अपनी यात्रा के दौरान कई मंदिरों में गए। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एके एंटनी ने साफ कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ाई में ‘सिर्फ अल्पसंख्यकों का साथ काफी नहीं है। कांग्रेस को बहुसंख्यक हिंदुओं का समर्थन भी चाहिए होगा।’ एंटनी के मुताबिक, कांग्रेस की ‘सॉफ्ट-हिंदुत्व’ वाली लाइन से केवल मोदी को फायदा होगा। कांग्रेसी यह संकेत दे रहे हैं कि सबके लिए दरवाजे खुले हैं। हिंदुओं को ‘साथ’ लाने पर आम सहमति बनी तो संभव है कि 2024 चुनाव के रनअप में कांग्रेस का और भगवाकरण होता देखने को मिले। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा 108 दिन पूरे कर चुकी है। इस दौरान वह जहां-जहां से गुजरे, वहां के धर्मस्थलों में जरूर गए। फिर वह मैसूर का श्री चामुंडेश्वरी मंदिर हो या उज्जैन का महाकाल मंदिर, शीश नवाते राहुल की तस्वीरें खूब छपीं। महाकालेश्वर में तो राहुल ने दंडवत होकर भगवान शिव को प्रणाम किया। अपनी यात्रा लेकर राहुल जब पिछले दिनों दिल्ली पहुंचे तो कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। भयंकर ठंड में भी राहुल गांधी का केवल टी-शर्ट पहन पदयात्रा करना सुर्खियां बना हुआ है। कांग्रेसी नेताओं में राहुल को ‘तपस्वी’ बताने की होड़ लगी है। इसी यात्रा के दौरान ही, मीडिया से बातचीत में कई नेता राहुल को 2024 में प्रधानमंत्री बनते देखने की ख्वाहिश जता चुके हैं।
पवन खेड़ा ने 24 दिसंबर को ANI से कहा, ‘फैसला 2024 में होगा लेकिन अगर आप हमसे पूछें तो निश्चित ही राहुल गांधी को पीएम बनना चाहिए।’ यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास एक इंटरव्यू में दावा करते हैं कि अगले आम चुनाव के बाद राहुल ही प्रधानमंत्री बनेंगे। इस आस को पूरा करने के लिए कांग्रेस ने रणनीति बदली है। पार्टी में नया निजाम उसी दिशा में बढ़ा कदम है।
वरिष्ठ कांग्रेसी सलमान खुर्शीद का सोमवार को बयान आया जिसमें उन्होंने राहुल की तुलना भगवान राम से की। खुर्शीद ने कहा था कि ‘अगर कोई अच्छे काम के लिए तपस्या करता है, अगर हम किसी के व्यवहार में ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ देखते हैं, तो क्या हम उसकी प्रशंसा नहीं कर सकते?’ खुर्शीद ने आगे कहा कि भगवान राम की ‘खड़ाऊं’ बहुत दूर तक जाती है। कभी-कभी जब राम जी नहीं पहुंच पाते हैं तो भरत खड़ाऊं लेकर जगह-जगह जाते हैं। ऐसे ही हमने यूपी में खड़ाऊं चलाया है। अब खड़ाऊं यूपी पहुंच गया है तो राम जी (राहुल गांधी) भी आएंगे।
एंटनी ने बुधवार को कहा कि 2024 आम चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए कांगेस को बहुसंख्यक समुदाय का साथ लेना चाहिए। बकौल एंटनी, ‘इस लड़ाई में अल्पसंख्यकों का साथ काफी नहीं है।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस की कार्यसमिति के सदस्य हैं। एंटनी ने कहा कि भारत में ज्यादातर लोग हिंदू हैं और ‘नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ाई में’ इस बहुसंख्यक समुदाय को भी जोड़ना चाहिए। एंटनी के मुताबिक- अगर कोई मंदिर जाता है, तिलक या बिंदी लगाता है तो उसे सॉफ्ट-हिंदुत्व लाइन पर चलने वाला बताया जाता है जो कि सही रणनीति नहीं है। एंटनी ने कहा कि ऐसी कोशिशों को कांग्रेस की सॉफ्ट-हिंदुत्व लाइन का हिस्सा दिखाना ‘केवल मोदी को ही फायदा पहुंचाएगा।’
करीब आठ साल पीछे चलते हैं। एंटनी 2014 में हार के कारण पता करने को बनी कांग्रेस की समिति के अध्यक्ष थे। समिति ने कथित रूप से पाया कि चुनाव को सेक्युलरिज्म बनाम कम्युनलिज्म की लड़ाई बनाने से कांग्रेस को नुकसान हुआ क्योंकि उसे प्रो-माइनॉरिटी के रूप में देखा गया। एंटनी की अगुवाई वाली समिति ने कथित रूप से कहा कि ‘अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण की नीति’ भी उलटी पड़ गई। कांग्रेस इस वक्त नए से खुद को जनता के बीच ले जा रही है। पार्टी के सोशल मीडिया से लेकर नेताओं की आक्रामकता में इसकी झलक मिलती है। 2024 में बीजेपी के सामने विपक्ष एकजुट होकर लड़ेगा या अलग-अलग? कांग्रेस के बदलते कलेवर से अगले कुछ महीनों में इस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख एमके स्टालिन उन विपक्षी नेताओं में से हैं जिन्हें राहुल में भविष्य दिखता है।