भारत अब विश्व गुरु बन सकता है! मंदी की आशंका में दुनिया की हालत पतली होती जा रही है लेकिन भारतीय इकॉनमी के लिए चारों तरफ से अच्छी खबरें आ रही है। आईएमएफ (IMF) और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं के साथ-साथ दुनियाभर के जानकार भी मानते हैं कि भारत का समय अब आ चुका है। दुनिया में इस समय जिस तरह के हालात बन रहे हैं वे भी आने वाले दिनों में भारत के आर्थिक शक्ति के तौर पर उभरने का संकेत दे रहे हैं। कोरोना की मार से दुनिया के बड़े-बड़े देश पस्त हैं। ऐसी स्थिति में भारत दुनिया का खेवनहार बनकर उभर रहा है। आईएमएफ का कहना है कि भारत काली अंधेरी रात में टिमटिमाते तारे की तरह है। जानकारों की मानें तो अगले सात साल में भारत की इकॉनमी के सात ट्रिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है। इसके बाद 2047 तक भारत की इकॉनमी के 40 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। इस फाइनेंशियल ईयर के अंत तक भारतीय इकॉनमी 3.5 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने की उम्मीद है। सरकार ने 2025 तक इसे पांच ट्रिलियन डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। चीफ इकॉनमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि अगले सात साल में भारत की इकॉनमी सात ट्रिलियन डॉलर पहुंच जाएगी। उनका कहना है कि इस लक्ष्य को पाना नामुमकिन नहीं है। अमेरिकी फेडरल बैंक 2024 या 2025 में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है जिसका फायदा रुपये को होगा। National Statistical Office के मुताबिक 2022-23 में भारत की इकनॉमिक ग्रोथ रियल टर्म में सात फीसदी रहने का अनुमान है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने इस साल भारत की इकनॉमिक ग्रोथ 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। आईएमएफ का कहना है कि भारत 2022 में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और 2023 में भी इसके मजबूती से ग्रोथ करने की उम्मीद है। भारत ने पिछले 10 साल में शानदार आर्थिक विकास दर हासिल की है। एक दशक पहले भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी इकॉनमी था और अब वह पांचवें नंबर पर आ चुका है। देश की इकॉनमी कोरोनाकाल के झंझावातों से निकलकर तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। वहीं दूसरे देश महंगाई और मंदी की आशंका से जूझ रहे हैं।
एसबीआई के ग्रुप चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने हाल में एक लेख में कहा कि कोरोना के बाद इकॉनमी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है और इसका फायदा देश के हरेक वर्ग को मिल रहा है। उनका कहना था कि देश की रियल पर कैपिटा जीडीपी के महामारी के बाद के दौर में (2020-21 से 2022-23) 6.7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है। महामारी से पहले के दौर (2014-15 से 2019-20) में इसका औसत 5.4 फीसदी था। दुनिया के 19 बड़े देशों में भारत महामारी के पहले और बाद के दौर में एवरेज जीडीपी के बीच अंतर के मामले में छठे स्थान पर है।
निक्केई एशिया (Nikkei Asia) के एडिटर-इन-चीफ शिगेसाबुरो ओकुमुरा ने हाल में एक लेख में लिखा कि 2023 को भारत के दुनिया के तीसरे ध्रुव के रूप में उभरने के लिए याद किया जाएगा। ओकुमारा के मुताबिक भारत का उदय इसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई शक्ति देगा। अमेरिका-चीन के बीच अलगाव तथा चीन पर निर्भरता कम करने की दुनिया को कोशिशों से भारत को लाभ होगा। दुनियाभर की कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। इसका भी सीधा फायदा भारत को मिलेगा। दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी एपल (Apple) भारत में आईफोन-14 (iPhone-14) बना रही है।
PRICE के एमडी और सीईओ राजेश शुक्ला ने हाल में एक आर्टिकल में कहा था कि अगर राजनीतिक और आर्थिक सुधारों का अनुकूल असर रहा तो साल 2047 तक भारत के पास दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी बनने की क्षमता है। इस दौरान देश का सालाना ग्रोथ रेट छह से 7.5 फीसदी के बीच रह सकता है। ऐसा हुआ तो 2020-21 के मूल्यों के आधार पर तब हर परिवार के पास औसतन खर्च करने योग्य इनकम (disposable income) 20 लाख रुपये होगी। उनके मुताबिक 2030-31 तक बेहद गरीब परिवारों की आबादी 15 फीसदी से घटकर छह फीसदी रह जाएगी। इस दौरान देश में मिडल क्लास की आबादी 30 फीसदी से बढ़कर 46 फीसदी हो जाएगी।
भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस गौतम अडानी ने हाल में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि 2050 तक भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने में 58 साल लगे, दो ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में 12 साल लगे और फिर अगले पांच साल में भारत तीन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन गई। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में 12 से 18 महीने के दौरान भारत की इकॉनमी एक ट्रिलियन डॉलर बढ़ जाएगी। इससे प्रति व्यक्ति आय बढेगी, विकास से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। आने वाले समय में भारत को कोई रोक नहीं सकता। 2050 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बन जाएगा।
देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का भी कहना है कि 2047 तक भारत 40 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले 25 साल भारत के लिए बेहद अहम रहेंगे। इस दौरान भारत तेज गति से विकास करेगा। इससे देश के लोगों के जीवनस्तर में व्यापक सुधार देखने को मिलेगा। अंबानी का कहना है कि दुनिया 21वीं शताब्दी को भारत की शताब्दी के तौर पर देख रही है।