Friday, February 21, 2025
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क्या अब ऑलंपिक खेलों का भी आयोजन करेगा भारत?

ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या अब भारत आने वाले समय में ऑलंपिक खेलों का आयोजन करेगा या नहीं! जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए अमेरिकी राष्ट्रपति समेत दुनिया के प्रमुख देशों के नेताओं को नवनिर्मित भारत मंडपम में दिल खोलकर स्वागत करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें टीवी पर देखकर हर भारतीय का मन कुलांचे भर रहा था। यह सभी भारतीय नागरिकों को संकेत था कि भारत अन्य शक्तिशाली देशों जैसा ही है। वह इस तरह के एक भव्य शिखर सम्मेलन का आयोजन करने में सक्षम है। चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाला फेंकने वाले नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के बाद यह एक और संकेत था कि भारत विश्व पटल पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है। देश में एक खुशनुमा माहौल है। खासकर हमारी युवा पीढ़ी अब आत्मविश्वास से लबालब है। हालांकि, इंडिया अर्थात् भारत के सामने कई और चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। आराम का सुख लेने से पहले और मीलों दूरी तय करनी है। ऐसे में नई पीढ़ी का यह आत्मविश्वास हमें मंजिल तक पहुंचाएगा। यह हमारे सफल जी20 शिखर सम्मेलन की एक बड़ी उपलब्धि है। चीन और रूस के राष्ट्रपतियों के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में नहीं आने को जल्दी और सही तरीके से खारिज कर दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने घरेलू कारणों से यह फैसला लिया था, न कि भारत को ठेस पहुंचाने के लिए। यह हमारे देश की परिपक्वता, समझदारी और आत्मविश्वास का एक और उदाहरण है। इस तरह का तथ्य आधारित दृष्टिकोण नया, यथार्थवादी और स्वागत योग्य है। अतीत की तरह इस बार भारत ने हाय-हाय नहीं किया। यह समझना कि जिन देशों के शीर्ष नेता अनुपस्थित थे, वो भारत को नुकसान पहुंचाने के बजाय खुद ही नुकसान उठाएंगे, नए आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति है। यह सकारात्मक दृष्टिकोण जो हमारी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने कुछ समय पहले दिखाया था, अब पूरे राष्ट्र में फैल गया है।

दरअसल, कुछ देशों के शीर्ष नेताओं की अनुपस्थिति से भारत को वैश्विक दक्षिण के विचारों को पूरी तरह से आवाज देने में मदद ही की। जैसा कि कहावत है, ‘बातों से ज्यादा काम बोलता है’, नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करना उस महाद्वीप के देशों में भारत के प्रति गर्मजोशी का भाव भर देगा। इसने दुनिया के सामने फिर साबित किया कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ भारत के लिए महज नारा नहीं, बल्कि एक गहन विश्वास है, जिसके आधार पर हम अपनी योजना बनाते हैं और उसे गंभीरता से जमीन पर उतारते हैं। इसलिए, जी20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन ने भारत को वैश्विक दक्षिण का एक सच्चा नेता और मित्र बना दिया है।

नए भारत की क्षमता से दुनिया तब भी रू-ब-रू हुई जब जी20 नई दिल्ली लीडर्स डेक्लेरेशन पर आम सहमति बनी। भारत ने इसके लिए कड़ी मेहनत की और उसे सफलता मिली। हमारे वार्ताकारों ने कमाल कर दिया। यहां भी भारत ने केवल शब्दों से आगे बढ़कर विश्व व्यापार संगठन से जुड़े नियमों को लेकर अमेरिका के साथ पैदा हुए विवादों को सुलझाकर एक उदाहरण पेश किया। निश्चित रूप से, यह बाकियों के लिए एक बड़ा उदाहरण बनेगा।

भारत के प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में स्पष्ट रूप से कहा था कि आज जो दुनिया को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है, वह है राष्ट्रों के बीच विश्वास की कमी। भारत ने जी20 के अपनी सफल अध्यक्षता के माध्यम से यह दिखा दिया कि यह ऐसा देश है जो गंभीर विवाद की स्थिति में भी आम सहमति सुनिश्चित करने के लिए अथक परिश्रम करेगा। यह गुण आज के बिल्कुल बंटे और खंडित जियोपॉलिटिक्स में इतना दुर्लभ है कि यह राष्ट्र-राज्यों के बीच हमारी पहचान एक लीडर के रूप में बनाता है। राष्ट्रों के बीच फिर से विश्वास बहाली के उपाय करने का ऐसा दुर्लभ मौका है जिसे हम लपक सकते हैं। भारत ने जी20 और इसकी बैठकों को भी एक नया अर्थ दिया है। हमने जी20 को केवल राजधानी नई दिल्ली तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि देश के कोने-कोने तक फैला दिया। इस प्रयास में जन भागीदारी के कार्यक्रमों से देश के लोगों को जी20 के बारे में पता चला और वे इसकी गतिविधियों से खूब उत्साहित हुए।

यह एक ऐसा मॉडल है जिसका दूसरे देशों के लिए पालन करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन मेरा अनुमान है कि अन्य सरकारें इस मामले में भारत के नेतृत्व का अनुसरण करने के लिए मजबूर होंगी। यह जी20 के लिए एक अच्छा संकेत होगा क्योंकि सभी सदस्य राज्यों के आम नागरिक इस बहुपक्षीय समूह के बारे में और इसके उद्देश्यों, लक्ष्यों और कार्यों के बारे में जागरूक हो जाएंगे। भारत में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने से हमें न केवल आवश्यक बुनियादी ढांचा बनाने का तरीका मालूम पड़ा, बल्कि ऐसे सफल शिखर सम्मेलन को आयोजित करने के लिए जरूरी ‘सॉफ्ट स्किल्स’ भी सीखनी पड़ी। इसने हमें ऐसे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, जिनके काबिल हम खुद को नहीं समझा करते थे। इसने हमें बड़ा सोचने के लिए मजबूर किया। इसने हमें दिखाया है कि हम इस तरह के आयोजनों की योजना बनाकर उसे पूरी सफलता से लागू करने में किसी से पीछे नहीं हैं। इसने हमें सिखाया है कि हमें अधिक ऊंचाई प्राप्त करने के लिए मानदंडों को हमेशा ऊंचा रखना चाहिए। अब समय आ गया है कि भारत ओलंपिक खेलों के लिए बोली लगाए और उनकी मेजबानी करे।

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