भारत की बीएमडी मिसाइल अब आयरन डोम बनने जा रही है! भारत ने बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर मिसाइल का ओडिसा तट पर सफल परीक्षण किया है। यह सिस्टम लंबी दूरी तक मिसाइलों और एयरक्राफ्ट को मार गिराने में सक्षम है। दरअसल, चीन और पाकिस्तान की किलर मिसाइलों, फाइटर जेट और विस्फोटकों से लैस ड्रोन विमानों का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसी से निपटने के लिए भारत अब अभेद्य सुरक्षा कवच हासिल कर रहा है और इजरायल की तरह से अपना ‘आयरन डोम’ बना रहा है। भारत अपने बीएमडी सिस्टम को रूस से मिले एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही आगे बढ़ा रहा है। ताजा परीक्षण में बीएमडी की AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल ने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को हासिल किया। बीएमडी सिस्टम को इस तरह से बनाया गया है कि परमाणु हमले को भी विफल किया जा सके।
डीआरडीओ के बनाए बीएमडी सिस्टम की AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम है। इस मिसाइल को वातावरण के बाहर और वातावरण के अंदर मौजूद बलिस्टिक मिसाइलों और फाइटर जेट को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिसाइल दो चरणों वाले सॉलिड मोटर से चलती है। इसमें भारत में विकसित किया गया अत्याधुनिक कंट्रोल और नेविगेशन सिस्टम लगाया गया है। यह नेविगेशन सिस्टम AD-1 मिसाइल को बहुत तेज गति से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करती है। डीआरडीओ ने बताया कि इस मिसाइल परीक्षण के दौरान सभी सबसिस्टम ने बखूबी काम किया और पूरे रास्ते में तैनात किए गए सेंसर ने इसकी पुष्टि की है। वैज्ञानिकों ने बताया कि पूरी तरह से सक्रिय बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम में हाई पावर रेडार लगे होते हैं।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस सिस्टम की मदद से एक बड़े इलाके को दुश्मन के मिसाइल या अन्य हवाई हमलों से बचाया जा सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अत्याधुनिक तकनीक दुनिया में कुछ ही देशों के पास मौजूद है। भारत को इस सिस्टम की सख्त जरूरत कारगिल युद्ध के समय साल 1999 में पड़ी थी। पाकिस्तान अपनी मिसाइल क्षमता को लगातार बढ़ा रहा था। चीन भी पाकिस्तान को मिसाइल कार्यक्रम में लगातार मदद दे रहा था। भारत के बीएमडी सिस्टम का पहला चरण माना जाता है कि साल 2010 के आसपास पूरा हो गया था। इस एयर डिफेंस सिस्टम को पृथ्वी मिसाइल की मदद से तैयार किया गया है। इसकी मदद से दुश्मन की 2000 किमी तक मार करने वाली मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक भारत के बीएमडी कार्यक्रम का दूसरा चरण एक अभेद्य एंटी बलिस्टिक मिसाइल सिस्टम बनाने पर फोकस है। भारत का यह सिस्टम ठीक उसी तरह से हो सकता है जिस तरह से अमेरिका का थॉड है। अमेरिका ने दुनिया के कई देशों में थॉड एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात कर रखा है और यह मध्यम दूरी यानि 5000 किमी की मारक क्षमता वाली बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यही नहीं भारत अब AD-II इंटरसेप्टर मिसाइल को बनाने में जुट गया है जो ज्यादा दूरी तक अपने दुश्मन का शिकार कर सकती है। पृथ्वी मिसाइलों के आधार पर बनाया गया एयर डिफेंस सिस्टम 50 से 80 किमी तक मिसाइलों को हवा में ही तबाह कर सकता है। अब इसकी जगह पर प्रद्युम्न बलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर को बनाया जा रहा है। इस सिस्टम के दूसरे चरण को अडवांस्ड एयर डिफेंस या एएडी कहा जाता है। एएडी निचले स्तर पर उड़ने वाली मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता 15 से 40 किमी है। भारत की आकाश मिसाइल को एएडी का हिस्सा बनाया गया है।
भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को चाक चौबंद करने के लिए रूसी ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले एस-400 सिस्टम को भी खरीदा है। एस-400 को भारतीय वायुसेना में शामिल भी किया जा रहा है। रूस का एस-400 सिस्टम दुनिया के सबसे आधुनिक कहे जाने वाले एयर डिफेंस सिस्टम में शामिल है। यह रूसी सिस्टम हर तरह के हवाई खतरे जैसे मिसाइल, यूएवी और फाइटर जेट को मार गिराने में सक्षम है। इसका बेहद शक्तिशाली रेडॉर पाकिस्तान और चीन से आने वाले किसी भी हवाई खतरे को सूंघने में माहिर है। विशेषज्ञों के मुताबिक एस-400 भारतीय उपमहाद्वीप में गेम चेंजर हथियार है। इन दोनों ही सिस्टम से अब भारत की हवाई क्षमता कई गुना बढ़ गई है। डीआरडीओ के मुताबिक भारतीय बीएमडी सिस्टम की दुश्मन को मार गिराने की संभावना लगभग 99.8 है। भारत ने इसमें आने वाले भारी खर्च और पाकिस्तान के जवाबी कदम उठाने और परमाणु मिसाइलों की संख्या बढ़ाने के खतरे को देखते हुए अभी तक इस सिस्टम को पूरी तरह से ऑपरेशनल नहीं किया है। दुनिया में अमेरिका, रूस, चीन और इजरायल के पास अपना खुद का बीएमडी है। भारत ने अपने बीएमडी सिस्टम को बनाने में इजरायली मदद भी ली है।